एक थैले ने फेरा, मंसूबों पर पानी:अब, गरीबों को कम और खराब राशन नहीं थमा सकेंगे वितरक
- गरीबों को भी सम्मानपूर्वक मिलेगा राशन, घर से थैला व कपड़ा लाने से मिली मुक्ति
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर कम राशन दिए जाने की शिकायतें मिलती हैं। सरकार ने, गरीबों के हक पर डाका डालने वाले वितरकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। गरीबों को राशन अब, पैक थेले में दिया जाएगा। जिससे उन्हें अच्छा और पूरी मात्रा में राशन मिलेगा। इसके साथ ही गरीब अब, सम्मान से अपने राशन का थैला लटकाकर घर लौटेगा। अब, उसे घर से मैला कुचैला थैला या कपड़ा लाने की जरूरत नहीं है। सरकार नवंबर माह से व्यवस्था लागू करने जा रही है। गरीबों के हिस्से का अनाज, खाने की शिकायतें मिलना आम बात हो गई है। सार्वजनिक वितरण की दुकानों पर जहां लोग घण्टों लाइन में लगे रहकर अपने आपको अपमानित महसूस करते है वहीं उन्हें घर से थैला या कपड़ा लाना पड़ता है। इसके बावजूद उन्हें पूरा राशन मिल जाएगा, इसकी गारंटी नहीं है। इस वजह से कई लोग तो राशन की दुकानों पर जाना ही छोड़ गए है। इसका पूरा फायदा राशन विक्रेता उठ रहे हैं। वह उनके हिस्से का भी राशन पचा जाते है। लेकिन अब, वह ऐसा नहीं कर सकेंगे। राशन थैले में ससम्मान पूर्वक दिया जाएगा और थैला पैक होने के कारण उसमें से राशन कम करने की भी गुंजाइश नहीं रहेगी।
एक थैला तीन काम
1-पैक थैले में गरीब को पूरा राशन मिलेगा। कम की गुंजाइश खत्म।
2-गरीब को अच्छी क्वालिटी का राशन मिलेगा। वितरक उसमें गड़बड़ी नहीं कर सकेगा।
3-गरीब को घर से थैला या कपड़ा लाने में जो शर्मिंदगी महसूस होती थी, वह अब नहीं रहेगी।
10 किलो के पैक थैले में मिलेगा राशन
अन्नपर्णा योजना के तहत प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं या चावल, एक रुपए किलो में दिया जाता है। इसके साथ ही एक किलो नमक की थैली दी जाती है साथ ही एक किलो शक्कर दी जाती है। इसमें भी राशन वितरक कम तौल रहे हैं। लेकिन अब, कम देने की गुंजाइश नहीं रहेगी। 10 किलो के पैक थैले में राशन दिया जाएगा।
1 करोड़, 13 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ
इस नई व्यवस्था से प्रदेश के एक करोड़, 13 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। प्रदेश में 25 हजार उचित मूल्य की दुकानें हैं। चार करोड़, 81 लाख हितग्राही हैं। हर महीने सरकार 2 लाख, 62 हजार मीट्रिक टन अनाज, 1450 मीट्रिक टन शक्कर और 11 हजार 326 मीट्रिक टन नमक देती है। लेकिन इसके बावजूद कई हित ग्राहियों को सामान नहीं मिलता है। उचित मूल्य की दुकान संचालक राशन न कहकर उनके हिस्से का राशन पचा जाते हैं या फिर कम राशन तौलते हैं। इस नई व्यवस्था से काफी कुछ हद तक कम राशन देने की गुंजाइश खत्म हो जाएगी