रेत की राजनीति!:चंबल से रेत निकालने के लिए हर क्षेत्र से एक-एक घाट शामिल करने की मांग
- पूर्व विधायक गजराज सिंह ने कहा-1996 में ही हमने किया था आंदोलन
चंबल नदी में पाए जाने वाले घड़ियालों की प्रजाति एक ही है। लेकिन नदी से निकलने वाली बेशकीमती रेत का उत्खनन करने वाले लोग अलग-अलग समाज/बिरादरी के हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्योपुर के पालि से यूपी के पचनदा तक घड़ियालों के लिए संरक्षित 435 किमी लंबी नदी के 30 से अधिक घाटों से रावत, जादौन, सिकरवार, गुर्जर, ब्राह्मण, तोमर, कुशवाह बिरादरी के लोग रेत निकालते हैं। लेकिन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को रेत उत्खनन को वैध करने के लिए चंबल नदी के प्रतिबंधित 8 घाटों से रेत निकालने की अनुमति के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात क्या की, मुरैना में जातिगत राजनीति गरमाने लगी है। इसके पीछे वजह भी स्पष्ट है श्योपुर के पालि से भिंड-इटावा के पचनदा तक जहां जिस जाति का बहुल, वहां उसी जाति के लोग रेत निकालकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।
एक नजर में जानिए क्या है विवाद की वजह
- 1. श्योपुर/सबलगढ़: जलालपुरा, दलारना, बटेश्वरा, बरोठा घाट
- 2. गुर्जरघार: बरवासिन, पिपरई घाट
- 3.तंवरघार: उसैथ (अंबाह) रानीपुरा (अटेर जिला भिंड)
नोट: इन 8 घाटों में सिकरवार बहुल जौरा-सुमावली का एक भी घाट शामिल नहीं है। जबकि इस इलाके में 12 से अधिक घाटों पर रेत बहुतायत पाई जाती है।
पिपरई व राजघाट घड़ियालों के लिए मुफीद
चबल से रेत के उत्खनन को लेकर जातिगत वोटबैंक भी है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जिन 8 घाटों से रेत उठाने का प्रस्ताव सीएम को सौंपा, उनमें श्योपुर, गुर्जरघार व तंवरघार, भिंड के घाट हैं। जबकि सिकरवारी क्षेत्र की बड़ी आबादी चंबल नदी के किनारे बसी है। ऐसे समझिए कि गुर्जरघार के जिस घाट पिपरई को खनन के लिए शामिल किया गया है, वह राजघाट के बिल्कुल नजदीक है और वहां घड़ियालों का मूवमेंट भी अधिक है। जबकि सिकरवारी क्षेत्र में सुमावली व जौरा के गुढ़ा चबल व चिन्नौनी घाट पर घड़ियालों का मूवमेंट सबसे कम है, फिर भी इन्हें शामिल नहीं किया गया।
हमने 1996-2014 में उठाया था मुद्दा
1996 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार के समय पर चंबल अभयारण्य से रेत उत्खनन पर रोक लगी थी, उस वक्त हमने आंदोलन चलाया और किसानों के खेतों को अधिग्रहीत होने से बचाया। हमने 2014 में भी हमें सीएम शिवराज सिंह ने आश्वासन दिया कि सुनवाई होगी। जिले के सभी ब्लॉक से एक-एक घाट चिन्हित हो। ताकि हर वर्ग को लाभ मिले। – गजराज सिंह सिकरवार, पूर्व विधायक सुमावली।