ई-क्लीनिक की सुविधा:विदेशी कंपनियों की नौकरी छोड़ 3 दोस्तों ने शुरू की ई-क्लीनिक, डेढ़ साल में 3 राज्यों के 3000 मरीजों का टेलीमेडिसिन से किया इलाज
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उनके ही गांव में इलाज की सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से डेढ़ साल पहले तीन इंजीनियर दोस्तों ने मल्टीनेशनल कंपनियों की नौकरी छोड़कर डिजीक्योर ई-क्लीनिक की शुरुआत की थी। ई-क्लीनिक के जरिए अब तक 3 हजार से अधिक मरीजों का उनके ही गांव में इलाज किया जा चुका है।
इतना नहीं ई-क्लीनिक 3 राज्य मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार के 52 ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जा चुकी है। वहीं आने वाले 5 सालों में पांच हजार से अधिक ई-क्लीनिक देशभर में खोलने का लक्ष्य है, इनमें वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीक व अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी किया जाएगा।
ई-क्लीनिक की खास बात यह है कि इसमें गांव में बैठकर न्यूनतम शुल्क पर बड़े शहरों के विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श, स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा आधुनिक उपकरणों से स्वास्थ्य जांच, न्यूनतम दरों पर दवाएं और लैब टेस्ट की सुविधा भी दी जाती है। इतना ही नहीं ग्रामीणों के लिए खास तौर पर दवाओं के पर्चे हिंदी में प्रिंट कराने की सुविधा भी दी गई है। ई-क्लीनिक पर देशभर के 2 हजार से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, जिनसे कहीं भी बैठकर परामर्श लिया जा सकता है।
कोरोना काल में ग्रामीणों की परेशानियों को देखकर लिया था ई-क्लीनिक शुरू करने का फैसला
डिजीक्योर ई-क्लीनिक की शुरुआत मैनिट भोपाल के 3 पूर्व छात्रों अंकुर चौरसिया, आकांक्ष टंडन और साकेत असाटी ने 2018 में की थी। प्रोजेक्ट मैनेजर सौमेन बनर्जी ने बताया कि देश में आज भी महानगरों और गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच ज़मीन-आसमान का अंतर है। जबकि देश की 72% आबादी गांव और छोटे शहरों में ही रहती है।
ई-क्लीनिक के फाउंडर आकांक्ष टंडन ने कहा कि गांव के लोगों को आज भी अच्छे इलाज के लिए बड़े शहर आना-जाना पड़ता है, इसमें काफी समय व पैसा खर्च होता है। कोरोना काल में यात्रा के साधन बंद होने से यह समस्या और गंभीर हो गई थी। इसी को देखते हुए डिजीक्योर ई-क्लीनिक ने गांव-गांव पहुंचकर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का फैसला किया है।
अंकुर चौरसिया बताते हैं कि हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। बदलाव लाना आवश्यक है। आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से मरीज और विशेषज्ञ डॉक्टरों के बीच की दूरी कम करने का यह एक कारगर उपाय है। ई-क्लीनिक के जरिए अब तक 250 से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। हाईटेक मोबाइल वाहन स्वास्थ्य सेतु के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं।