सरकार के 3 करोड़ मिट्‌टी में

1 हजार ट्रॉली डंप रेत जब्त करके नीलाम कर सकते थे; जिला प्रशासन ने मिट्‌टी में मिलाया, माफिया उसे भी बेच देगा

गांव में डंप कर लेते हैं रेत
माफिया रेत को चुराकर अपने गांव में डंप कर लेते हैं। फिर स्टॉक में से थोड़ा-थोड़ा कर रेत का परिवहन करते हैं। कुछ लोग तो रेत डंप करने का ही काम करते हैं। वह उस रेत को फुटकर ट्रैक्टर ट्राली चालकों को बेच देते हैं। इस प्रकार पूरे अंचल में चंबल के अवैथ रेत का कारोबार चल रहा है।

मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक से हो चुकी चर्चा
अवैध रेत के खनन को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, कृषि मंत्री कमल पटेल व सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा कर चुके हैं।

विपक्ष मचा चुका है हल्ला
चंबल के अवैध रेत के खनन को लेकर कांग्रेस शासन में मंत्री रह चुके पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह इस मामले में सरकार की पहले ही आलोचना कर चुके हैं। वह इस बात को खुलकर कह चुके हैं कि माफिया के आगे सरकार की भी नहीं चल रही है।

रेत बेचने का नियम नहीं : कलेक्टर

इस मामले में जब कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन से दैनिक भास्कर ने पूछा कि अवैध रेत को बेचा क्यों नहीं गया? तो उन्होंने कहा कि घड़ियाल अभयारण्य के रेत को बेचने का नियम नहीं है। इसका कोई प्रावधान भी नहीं है। अभी तक ऐसा कभी नहीं किया गया है, इसलिए रेत को मिट्‌टी में मिलवाया जा रहा है। जब उनसे कहा गया कि मिट्‌टी में मिले रेत में से माफिया मिट्‌टी को अलग कर रेत फिर से बेच देंगे। इस पर उन्होंने कहा कि वे ऐसा न कर पाएं इसलिए इसका उपाय किया जाएगा।

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