मुरैना में रेत के खेल में सब मौन:कांग्रेस MLA राकेश मावई बोले- SDO का काम अच्छा नहीं लगा होगा, दिमनी MLA ने कहा- मुट्ठी भर रेत निकालने में क्या हर्ज है
जिले में अवैध उत्खनन करने वालों की नाक में दम करने वाली एसडीओ श्रद्धा पंद्रे के ट्रांसफर मामले में विपक्ष भी मौन है। बताया जाता है कि राजनैतिक दबाव के चलते ही उनका तबादला किया गया है। जिले में कांग्रेस के दो विधायकों ने अप्रत्यक्ष रूप से उत्खनन को स्वीकृति तो दे ही दी। मामले में मुरैना के कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने कहा कि सरकार को एसडीओ का काम अच्छा नहीं लगा होगा, तभी ट्रांसफर किया है। वहीं, दिमनी MLA राकेश भिड़ौसा ने कहा, मुट्ठी भर रेत निकालने में क्या हर्ज है।
जिले में रेत और पत्थर के अवैध उत्खनन के खिलाफ एसडीओ श्रद्धा पंद्रे पिछले कई दिनों से ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही थीं। इस दौरान उनके ऊपर कई बार हमला भी हो चुका है। यही नहीं, अकेली एसडीओ ने पुलिस के साथ भी लोहा ले लिया। जानकारी के अनुसार जिले में चल रही रेत खदानों में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक संरक्षण मिला हुआ है। यही कारण है कि एसडीओ की लगातार कार्रवाई उन्हें खटक रही थी। जाैरा से भाजपा विधायक तो पहले ही उनके विरोध में बोल चुके हैं। अंतत: राजनैतिक दबाव के चलते एसडीओ का ट्रांसफर कर दिया गया।
जनता इस बात को भली-भांति समझ रही है। उन्हें लगा कि शायद विपक्ष इस मुद्दे को उठाएगा, लेकिन विपक्ष भी मौन बैठा है। इस मामले में दैनिक भास्कर ने कांग्रेस के दो विधायकों से बात की।
विधानसभा में पूछेंगे प्रश्न
मुरैना के कांग्रेस विधायक राकेश मावई बोले- सरकार को SDO का काम अच्छा नहीं लगा होगा, तभी ट्रांसफर किया है। जब उनसे पूछा, विपक्ष के नाते क्या आप विरोध करते हैं, तो उनका कहना था कि हम विधानसभा में प्रश्न पूछेंगे। सरकार ईमानदार अफसरों को रुकने नहीं देती।
रेत जरूरी हैै कि रोटी
वहीं दिमनी विधायक रविन्द्र सिंह भिड़ौसा का कहना है, पहले रेत जरूरी है कि रोटी? जो लोग चंबल के किनारे रह रहे हैं। अगर वह मुट्ठी भर रेत निकाल लेते हैं, तो इसमें हर्ज क्या है। सरकार को जलीय जीवों के जीवन की चिंता है, जो आदमी भूख से मर रहे हैं, उनकी चिंता नहीं है। वह सरकार से मांग करेंगे कि कुछ घाटों को खोल दिया जाए। उनसे रेत निकालना शुरू हो, लोगों को रोजगार मिले और सरकार को रॉयल्टी।
रेत के बदले वोट
लोगों की मानें, तो जिले में रेेत के बदले वोट की राजनीति चल रही है। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, कोई नहीं चाहता कि अवैध रेत का खनन रुके। अवैध रेत का खनन यहां के लोगों के लिए एक रोजगार है। इसलिए जो भी जनप्रतिनिधि उसका विरोध करेगा, उसको वोट नहीं मिलेंगे। लिहाजा, जन प्रतिनिधि भी मजबूर हैं। वोट तभी मिलेगा, जब वह लोगों को रेत खनन करने देंगे।
इसलिए रोका गया था अवैध रेत खनन
रेत खनन को लेकर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की वकील राखी शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका वर्ष 2013 में लगाई गई थी। याचिका क्रमांक-8204/2013 में कहा गया था, चंबल में घड़ियाल व कछुए रहते हैं। यहां पाए जाने वाले दुर्लभ घड़ियाल केवल गंगा नदी और चंबल में मिलते हैं। इसी प्रकार, दुर्लभ बाटागुर कछुए भी यहां मिलते हैं। यह जलीय जीव देश की संपत्ति है। अगर समय रहते चंबल के रेत का खनन नहीं रोका गया, तो यह जलीय जीव विलुप्त प्राणी में शुमार हो जाएंगे, इसलिए इस रेत खनन को रोका जाए। कोर्ट ने राज्य शासन को अवैध रेत के खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। इसके बाद से चंबल अभयारण्य से रेत खनन अवैध करार दे दिया गया था। आदेश के बावजूद यहां रेत का खनन चलता रहा।