अपराध पर विवाद:यदि छात्र पर आपराधिक केस दर्ज है तो उसे नहीं मिलेगा कॉलेज में एडमिशन… उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का भाजपा और कांग्रेस दोनों ने किया विरोध

उच्च शिक्षा विभाग ने 15 जुलाई को प्रवेश नियम जारी किए। इन नियमों में शर्त लगाई गई है कि जिन भी छात्रों पर किसी भी तरह का आपराधिक प्रकरण दर्ज है वे कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाएंगे। आदेश के जारी होते इसका विरोध भी शुरू हो गया। विरोध के स्वर बढ़े तो उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने आदेश वापस लेने के निर्देश भी जारी कर दिए। लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक आदेश वापस नहीं हुआ है। दूसरी ओर प्रदेश के कॉलेजों में एडमिशन शुरू हो गए हैं।

दरअसल, प्रदेश के कई बड़े नेता ऐसे हैं जो छात्र राजनीति से ही सक्रिय राजनीति में आए..और अब वे देश और प्रदेश के बड़े मुकाम पर हैं। दरअसल, खुद उच्च शिक्षा विभाग मंत्री मोहन यादव विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई आंदोलन किए । विक्रम विश्वविद्यालय में वे एक बार कुलपति के कक्ष में घुस गए और स्वयं ही कुलपति के रूप में छात्रों की मांग स्वीकार करने की घोषणा कर दी। ऐसे अनेक मामलों में उन पर कई प्रकरण दर्ज हुए।

तीन-चार दिन में जारी होंगे नियम : उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बहुत से छात्रों पर कई बार गलत प्रकरण दर्ज हो जाते हैं। कई बार पारिवारिक मामलों में भी ऐसा हो जाता है। ऐसे में छात्रों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। नियम बदले जा रहे हैं इस संबंध में अगले तीन-चार दिन में आदेश जारी किए जाएंगे।

उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का विरोध शुरू… इधर, पूर्व छात्र नेताओं से लेकर एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों आगे आए

रैगिंग के विरोध के दौरान विवाद हुआ तो मुझ पर केस दर्ज हो गया था
1996 में मैं उज्जैन में विद्यार्थी परिषद का संगठन मंत्री था। रैगिंग का विरोध करने के दौरान मेरी गैर मौजूदगी में विवाद हो गया, परिषद के कई कार्यकर्ताओं के साथ मुझ पर धारा 307 के तहत केस दर्ज हो गया। छात्र शिक्षा क्षेत्र में सुधार से लेकर अनेक मुद्दों पर आंदोलन करते हैं, उन्हें इसका अधिकार है। मेरी जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्री ने इस आदेश को वापस लेने के निर्देश दिए हैं। आदेश वापस होना चाहिए।
– वीडी शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

छेड़छाड़ का विरोध करने पर प्रकरण दर्ज हुआ था
एमवीएम छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हमने छेड़छाड़ का विरोध किया इस पर हबीबगंज थाने में प्रकरण दर्ज हुआ था। ऐसे ही अनेक मामले हैं। मैं तो भोपाल विवि और एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री रहा। यह तो तानाशाही पूर्ण आदेश है।
राजकुमार पटेल, पूर्व मंत्री

आदेश वापस नहीं लिया तो विरोध का विकल्प
हमने उच्च शिक्षा मंत्री के समक्ष आपत्ति जता दी थी। उन्होंने तत्काल सहमति जताते हुए आदेश वापस लेने के निर्देश जारी कर दिए थे। यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो विरोध और आंदोलन का विकल्प खुला है।
प्रवीण शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री, अभाविप

छात्र राजनीति खत्म करना चाहती है भाजपा
भाजपा की सरकार छात्र राजनीति खत्म करना चाहती है। यह एनएसयूआई से जुड़े छात्रों को कॉलेज से बाहर करने का षड्यंत्र है। हम उच्च शिक्षा विभाग के इस आदेश हर स्तर पर का विरोध करेंगे।
– विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, एनएसयूआई

तर्क यह भी…ध्यान रखेंगे, छात्रों को दिक्कत न हो
आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर प्रवेश नहीं देने के संबंध में हम नियम तैयार कर रहे हैं। कई बार गलत प्रकरण दर्ज हो जाते हैं, इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि छात्रों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।
– अनुपम राजन, प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा)

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