Delhi: क्राइम ब्रांच को बड़ी सफलता, HDFC बैंक से करोड़ों की ठगी करने वाले 3 धरे, जानें कैसे करते थे फर्जीवाड़ा
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने HDFC बैंक से करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी बैंक में फर्जी डाक्यूमेंट के आधार पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करते थे.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch) ने धोखाधड़ी के एक बड़े मामले का खुलासा किया है. इस मामले में आरोपियों ने HDFC बैंक से करोड़ों रुपए का घोटाला किया है. आरोपी बैंक में फर्जी डाक्यूमेंट (Fake Document) के आधार पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने के लिए लोन लेते थे और क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के नाम EMI बनबाते थे औऱ बिना भुगतान किए फरार हो जाते थे.
इस मामले में पुलिस ने 3 लोग गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन, 20 क्रेडिट और डेबिट कार्ड बरामद किए हैं. वहीं बाकी आरोपियों की तलाश के लिए छापेमारी की जा रही है.
दिल्ली दंगों का ब्योरा मीडिया को कैसे मिला ?
दिल्ली पुलिस ने एक स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि जांच में यह पता नहीं चल सका है कि दिल्ली दंगों की तहकीकात का ब्योरा मीडिया को कैसे मिला था. पुलिस ने यह रिपोर्ट आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा की उस याचिका पर दायर की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित अदालत द्वारा संज्ञान लेने से पहले ही आरोप पत्र की सामग्री को लीक कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में मिली दिल्ली पुलिस की जांच रिपोर्ट पढ़ेंगी और तन्हा की याचिका को सुनवाई के लिए 11 अगस्त को सूचीबद्ध कर दिया गया है. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील रजत नायर ने अदालत को सूचित किया कि मामले में स्थिति रिपोर्ट भी दायर कर दी गई है. स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि अदालत के आदेश के तहत अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ने आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ की लेकिन यह पता नहीं चल सका कि जानकारी कथित रूप से कैसे लीक हुई.
मीडिया ने अपने सूत्रों के बारे में बताने से मना किया
स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, जांच अधिकारी तफ्तीश के दौरान उन अधिकारियों/कार्यालयों का पता नहीं लगा सके जहां से जांच का विवरण मीडिया के साथ साझा किया गया था. अदालत को बताया गया कि प्रक्रिया के दौरान विभिन्न मीडिया कर्मियों से पूछताछ की गई लेकिन उन्होंने ‘अपने सूत्रों का विवरण’ देने से मना कर दिया और निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि मामलों की फाइलों को अधिक मुस्तैदी से संभाला जाए ताकि ऐसे मुद्दे भविष्य में न उपजें.