bhind स्कूल चलें हम:डेढ़ साल बाद खुलेंगे स्कूल, छात्रों को लाना होगी पालकों की सहमति, बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए भवनों में हादसे का डर
डेढ़ साल बाद कक्षा 6वीं से 8वीं तक के स्कूल आज 1 सितंबर से खुलने जा रह है। कक्षा में उपस्थिति होने वाले छात्रों को पालकों से सहमति पत्र लाना होगा। बावजूद इसके कक्षा में सिर्फ 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति रहेगी। वहीं लगातार बारिश और बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त हुए भवनों में कक्षाएं संचालित होने से हादसे की भी आशंका रहेगी।
बता दें कि पिछले साल मार्च 2020 में देश के अंदर कोरोना के दस्तक देने के बाद प्रदेश के सभी स्कूल कॉलेजों की छुट्टी हो गई थी। हालांकि कोरोना संक्रमण के मामले जब कम होना शुरु हुए तो धीरे-धीरे रियायतें भी बढ़ती गई। लेकिन करीब डेढ़ साल बाद कक्षा 6वीं से 8वीं तक के विद्यालय अब एक सितंबर से खुलने जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग से यह आदेश प्रसारित होने के बाद मंगलवार को स्कूल भवनों में साफ सफाई होती हुई नजर आई। करीब 17 महीने से बंद चल रहे प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय के भवनों में गंदगी का अंबार लगा हुआ था। वहीं जुलाई और अगस्त महीने में हुई जोरदार बारिश के बाद कई भवनों की दीवारों में सीलन के साथ दरारें आ गई, जिससे उनमें कक्षाएं लगने से खतरा रहेगा।
दूरदर्शन पर कक्षाओं का प्रसारण जारी रहेगा
स्कूल में कक्षावार तय दिन के अलावा अन्य दिनों में भी ऑनलाइन क्लास पहले की तरह संचालित रहेगी। दूरदर्शन और सोशल मीडिया ग्रुप पर शैक्षिक सामग्री का प्रसारण पहले की तरह जारी रहेगा। स्कूलों में भारत सरकार, राज्य सरकार से जारी एसओपी का समय-समय पर पालन करना अनिवार्य होगा। वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों ने इस निर्णय को विद्यार्थियों के हित में बताया।
बाढ़ के पानी से 5500 छात्रों का रिकार्ड खराब
बाढ़ की चपेट में 76 स्कूलों (प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी तक) में करीब 55 सौ से अधिक छात्रों का रिकार्ड भी नष्ट हो गया है, जिसमें उनकी उपस्थिति रजिस्टर सहित रिजल्ट भी शामिल है, जिससे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि स्कूल प्रमुखों ने इस संबंध विभाग को अवगत करा दिया है। लेकिन रिकार्ड खराब होने की वजह से इन छात्रों का भविष्य भी अधर में लट गया है।
स्कूल आने के लिए यह तीन शर्तें अनिवार्य
- स्कूल में कार्यरत सभी स्टाफ को कोरोना से सुरक्षा के लिए टीके का कम से कम एक डोज लगा होना अनिवार्य होगा।
- स्कूल आने वाले छात्रों को पालकों की सहमति लाना होगी। साथ ही कक्षा में 50 फीसदी से ज्यादा की उपस्थिति नहीं होगी।
- कोविड- 19 के प्रोटोकॉल (मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन) का पूरा पालन करना होगा।
बाढ़ की चपेट में आकर 76 स्कूल भवन बर्बाद
अगस्त महीने के पहले सप्ताह में चंबल, सिंध और बेसली नदी में आए उफान से 76 सरकारी स्कूलों के भवन बाढ़ की चपेट में आ गए, जिससे न सिर्फ स्कूल भवनों की नींव हिल गई। बल्कि उनमें रखा फर्नीचर और रिकार्ड भी खराब हो गया। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने इनकी मरम्मत के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है।
बाढ़ में बह गए दस्तावेज, स्कूल को कहां से देंगे
शिक्षा विभाग छात्रों के दस्तावेज जारी करने से पहले छात्रों से पुरानी अंकसूची व अन्य दस्तावेज लेने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में उन छात्रों के सामने संकट खड़ा हो गया है, जिनके घर बाढ़ की चपेट में आने से सबकुछ डूब चुका है। ऐसे में स्कूल से मांगे पुराने दस्तावेज जमा नहीं करा पाएंगे। डीईओ हरभवन सिंह तोमर के मुताबिक जिले के 76 स्कूलों की बिल्डिंग व दस्तावेज नष्ट हुए है।