मुफ्त इलाज के लिए घपला:एक लाख फर्जी आयुष्मान कार्ड, अब कार्ड के जरिए इलाज ले रहे मरीजों के हर एक कागज की जांच

गरीबों को फ्री और अच्छे इलाज के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना में सख्ती के बावजूद फर्जीवाड़ा रुक नहीं रहा। आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए लोग तरह-तरह के फर्जी दस्तावेज लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश में ऐसे फर्जी दस्तावेज वाले एक लाख से ज्यादा कार्ड पकड़ में आए हैं। दरअसल, आयुष्मान कार्ड से जो लोग अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे हैं।

उनके दस्तावेजों की जांच इन दिनों आयुष्मान भारत निरामय मध्यप्रदेश की टीम कर रही है। इसी जांच में पता चला है कि कार्ड बनवाने के लिए किसी मरीज ने खुद की जगह दूसरे की समग्र आईडी लगा दी तो किसी ने पहचान बदलने के लिए दूसरे के घर का पता लिखवा दिया। गड़बड़ी करने वाले इतने शातिर हैं कि उन्होंने एसईसीसी डाटा 2011 की सूची में दिए डाटा के आधार पर खुद की नई आईडी तक जनरेट करवा ली। ऐसे लोगों की संख्या एक लाख है। जांच के बाद इनके कार्ड डी-एक्टिव कर दिए गए।

मप्र में 2 करोड़ कार्ड : निजी अस्पतालों में कई अपात्र करवा चुके इलाज
इस योजना से गरीबों को 5 लाख रु. तक का इलाज मुफ्त मिलता है। मप्र में इससे 881 अस्पताल जुड़े हैं। इनमें 453 सरकारी और 428 प्राइवेट हैं। 1400 से ज्यादा बीमारियां इसमें शामिल हैं। अफसरों ने बताया कि 23 सितम्बर 2018 में आयुष्मान योजना लागू हुई थी। प्रदेश में इसके करीब 4 करोड़ 70 लाख हितग्राही है। करीब 2 करोड़ के कार्ड जनरेट हो चुके हैं। नए आवेदकों के आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कैंप लगवाए जा रहे हैं।

काफी ज्यादा संख्या में जब लोग कार्ड बनवाने लगे तो हमने इनकी जांच शुरू की। इसी दौरान निजी अस्पतालों में अपात्र व्यक्तियों द्वारा इलाज करवाने की शिकायतें मिलीं। इनके दस्तावेजों की जांच की तो ऐसे एक लाख फर्जी कार्ड सामने आए। फिलहाल सभी को डी-एक्टिव कर दिया है। अभी संदिग्ध लोगों के करीब एक हजार कार्ड की रोज जांच कर रहे हैं। अब ये देख रहे हैं कि मरीज द्वारा इलाज के वक्त दिए जा रहे समग्र आईडी और आधार अलग-अलग हैं या नहीं।

केस-1 : दूसरे की आईडी पर खुद का इलाज कराया
चांदबड़ के मुकेश अहिरवार के पेट का ऑपरेशन होना था। भर्ती होने से पहले उन्होंने कार्ड बनवा लिया था। इसके लिए उन्होंने किसी को दो हजार रुपए दिए थे। एक हफ्ते में कार्ड बन गया। जब वो अपना इलाज निजी अस्पताल में करवाने के लिए पहुंचे तो दस्तावेजों की रैंडम जांच में गड़बड़ी पकड़ा गई। दरअसल, मुकेश ने किसी दूसरे की समग्र आईडी पर कार्ड बनवा लिया था।

केस-2 : इनकम टैक्स देते हैं, फिर भी कार्ड बनवाया
मोहित विश्वकर्मा कोलार के राजहर्ष में रहते हैं। उनके घर में चार पहिया वाहन है। पक्का मकान है। लेकिन इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बनवा लिया। इसमें उन्होंने अपने वर्तमान पते को छिपाया। दूसरे के पते को अपना बताया। इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। जांच में उनकी गड़बड़ी पकड़ में आई। जांच में ये बात भी सामने आई कि जिनका कार्ड बना है, वो इनकम टैक्स भी जमा करते हैं।

केस-3 : अच्छी खासी खेती है, फिर भी गरीब
गांधी नगर में रहने वाले सुरेश अहिरवार की बैरसिया रोड पर अच्छी खासी खेती है। खुद का फार्म हाउस भी है। बावजूद इसके सैटिंग कर आयुष्मान कार्ड बनवा लिया था। खुद चार पहिया वाहन से चलते हैं। लेकिन इलाज के लिए सरकार की योजना का लाभ लेने के लिए ये कार्ड बनवाया था। उनको नहीं पता था कि इलाज के समय ये पकड़ में आ सकता है।

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