ग्वालियर-चंबल में बाढ़ से नुकसान:शिवराज सरकार ने केंद्र को भेजी 140 पेज की फाइनल रिपोर्ट; 2000 करोड़ रुपए का राहत पैकेज मांगा

राज्य सरकार ने ग्वालियर-चंबल की बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन कर फाइनल रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। 140 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है, बाढ़ से 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश को राहत पैकेज उपलब्ध कराए। इसके साथ ही राज्य आपदा राहत कोष की लंबित 728 करोड़ रुपए की दूसरी किस्त की राशि जारी करने का अनुरोध भी किया है।

ग्वालियर-चंबल संभाग के श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना और अशोकनगर के अलावा विदिशा में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। इसमें 1.14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसल चौपट हुई है। केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इसमें सोयाबीन, मक्का, मूंग, धान, बाजरा और मूंगफली की फसल खराब होने से किसानों को 577 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बता दें, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का योगदान 29% है।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पिछले माह बाढ़ ने तबाही मचा दी थी। अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन लोग सरकारी राहत मिलने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार ने आवास की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए अभी 6-6 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है। ज्यादातर लोगों तक यह राहत नहीं पहुंची है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रावधानों के अनुसार आवास बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए देने का ऐलान भी किया है।

राज्य सरकार ने अब केंद्रीय अध्ययन दल की रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ में हुए नुकसान का आकलन किया है। इसके मुताबिक 62 हजार से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसमें से 35 हजार पक्के व कच्चे मकान ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जो अब रहने लायक ही नहीं हैं। बाढ़ की चपेट में आए अभी भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पूरी तरह से बिजली बहाल नहीं हो पाई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 9 जिलों के 1,228 गांवों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई थी। 8, 473 बिजली के पोल टूट गए, जबकि 3, 453 ट्रांसफार्मर को नुकसान पहुंचा। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान सड़कों को हुआ है। सरकारी आकलन के मुताबिक 1874 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं।

राहत और बचाव कार्य में 10 करोड़ खर्च
राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य पर 10 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने का दावा किया है। इसके अलावा राहत शिविर, खाने की सामग्री, कपड़े और दवाओं पर एक करोड़ 63 लाख रुपए खर्च होना बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है, सभी जिलों में प्रशासन ने 226 राहत शिविर स्थापित कर 9 हजार से ज्यादा लोगों को यहां रखा गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *