33% भारतीय पुरुष मानते हैं कि वो पत्नी से जबरन सेक्स करते हैं, पर भारत में ये क्राइम नहीं; दुनिया के 151 देशों में ऐसे लोगों पर चलता है केस

2021 के अगस्त में भारत की अलग-अलग अदालतों में 3 मैरिटल रेप के मामलों में फैसला सुनाया गया। केरल हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को एक फैसले में कहा था कि मैरिटल रेप क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है।

12 अगस्त को मुंबई सिटी एडिशनल सेशन कोर्ट ने कहा कि पत्नी की इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना गैरकानूनी नहीं है। और 26 अगस्त को छत्तीसगढ़ कोर्ट ने मैरिटल रेप के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि हमारे यहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है।

हम आज मैरिटल रेप के उन 4 मामलों की चर्चा कर रहे हैं, जो कोर्ट तक पहुंचे, उन मामलों को किस कानून के आधार पर खारिज किया गया और ये भी कि ऐसे ही मामले दुनिया के 185 देशों में से 151 देशों में अपराध की श्रेणी में आते हैं। आइए उन मामलों से शुरुआत करते हैं-

जबरन सेक्स के चलते पत्नी को लकवा मार गया, कोर्ट ने कहा- दुर्भाग्यपूर्ण है, पर अपराध नहीं

2 जनवरी 2021 को मुंबई का एक कपल महाबलेश्वर घूमने के लिए गया। रात को पति ने पत्नी के साथ सेक्स करना चाहा तो पत्नी ने मना कर दिया, क्योंकि उसे तबीयत ठीक नहीं लग रही थी, लेकिन पति ने जबरन सेक्स कर लिया। इसके बाद पत्नी की तबीयत बहुत खराब हो गई। डॉक्टर ने कहा कि उसके कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मार गया है।

पत्नी ने पति के खिलाफ मैरिटेल रेप का मामला दर्ज कराया। 12 अगस्त 2021 को मुंबई सिटी एडिशनल सेशन कोर्ट ने कहा- मैरिटल रेप भारत में अपराध नहीं है।

निचली अदालत ने पति को माना रेप का दोषी, हाईकोर्ट ने बरी कर दिया

छत्तीसगढ़ की एक लड़की की 2017 में शादी हुई। कुछ दिन तक सब ठीक चला, लेकिन इसके बाद पति-पत्नी के बीच अनबन शुरू हो गई। पत्नी का आरोप था कि पति उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन संबंध बनाता था।

इसके बाद पत्नी ने अपने पति के खिलाफ रेप, अननेचुरल सेक्स करने का मामला दर्ज कराया। मामला कोर्ट पहुंचा तो निचली अदालत ने पति को दोषी माना, लेकिन 26 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने पति को रेप के आरोप से बरी कर दिया।

पत्नी ने कहा- पति अननेचुरल सेक्स करता है, कोर्ट ने कहा- रेप का मुकदमा नहीं चल सकता

गुजरात हाईकोर्ट में आए एक मामले में महिला ने आरोप लगाया कि पति उसके साथ जबरन अननेचुरल सेक्स करता है। इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस जेपी पर्दीवाला ने कहा कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है तो पति पर IPC की धारा 375 का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

पत्नी का आरोप- वो हर रात खिलौने की तरह खेलता है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक महिला के लिए कानून नहीं बदल सकता

फरवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट तक एक मैरिटल रेप का मामला पहुंचा। दिल्ली में काम करने वाली एक MNC एग्जीक्यूटिव ने पति पर आरोप लगाया- मैं हर रात उसके लिए सिर्फ एक खिलौने की तरह थी, जिसे वो अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करना चाहता था। जब भी हमारी लड़ाई होती थी तो वह सेक्स के दौरान मुझे टॉर्चर करता था। तबीयत खराब होने पर भी अगर कभी मैंने न बोला तो उसे ये बात बर्दाश्त नहीं होती थी।”

25 साल की इस लड़की के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर खारिज कर दिया कि किसी एक महिला के लिए कानून में बदलाव करना मुमकिन नहीं। आइए जानते हैं कि कानून क्या कहता है-

भारतीय दंड संहिता यानी IPC में मैरिटल रेप अपराध नहीं, अपवाद है

IPC की धारा 375 में रेप को परिभाषित किया गया है, लेकिन ये कानून मैरिटल रेप को अपवाद बताता है। इसमें कहा गया है कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है तो पुरुष का अपनी पत्नी के साथ सेक्शुअल इंटरकोर्स रेप नहीं माना जाएगा। भले ये इंटरकोर्स पुरुष ने जबर्दस्ती या पत्नी की मर्जी के खिलाफ किया हो।

एक-तिहाई पुरुष मानते हैं कि वो जबरन संबंध बनाते हैं

इंटरनेशनल सेंटर फॉर वुमेन एंड यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की ओर से साल 2014 में कराए गए एक सर्वे के अनुसार एक-तिहाई भारतीय पुरुषों ने खुद यह माना है कि वह अपनी पत्नी के साथ जबरन सेक्स करते हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 के मुताबिक भारत के 28 राज्यों में 10% महिलाओं ने कहा कि उनके पति जबरन उनके साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। जबकि ऐसा करना दुनिया के 151 देशों में अपराध है।

भारत के पड़ोसी देश भूटान में भी मैरिटल रेप अपराध है

साल 1932 में पोलैंड ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा। 1970 तक स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क, सोवियत संघ जैसे देशों ने भी मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया था। 1976 में ऑस्ट्रेलिया और 80 के दशक में साउथ अफ्रीका, आयरलैंड, कनाडा, अमेरिका, न्यूजीलैंड, मलेशिया, घाना और इजराइल ने भी इसे अपराध की लिस्ट में डाल दिया।

संयुक्त राष्ट्र यानी UN की प्रोग्रेस ऑफ वर्ल्ड वुमन रिपोर्ट 2018 के मुताबिक दुनिया के 185 देशों में से 77 देश ऐसे हैं जहां मैरिटल रेप को अपराध बताने वाले स्पष्ट कानून हैं। जबकि 74 ऐसे हैं जहां पत्नी को पति के खिलाफ रेप के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। भारत के पड़ोसी देश भूटान में भी मैरिटल रेप अपराध है।

चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत जैसे 34 देशों में मैरिटल रेप अपराध नहीं

34 देश ऐसे हैं जहां न तो मैरिटल रेप अपराध है और न ही पत्नी अपने पति के खिलाफ रेप के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इनमें चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सउदी अरब और भारत प्रमुख हैं।

आखिर में हम ये चर्चा कर लेते हैं कि अगर शादी के बाद जबरन शारीरिक संबंध बनाना अपराध नहीं है तो ऐसे में किसी शादीशुदा महिला के पास क्या-क्या विकल्प बचते हैं, वो किस तरह से न्याय के लिए गुहार लगा सकती है-

मैरिटल रेप तो अपराध नहीं, लेकिन तलाक लेने से लेकर बच्चा गिराने तक का अधिकार है

तलाक का अधिकार: हिंदू मैरिज एक्ट सेक्शन 13, 1995 के तहत पत्नी अपने पति की सहमति के बिना भी तलाक लेने का अधिकार रखती है। अगर पति ने उसके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया हो।

अबॉर्शन का अधिकार: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के अंतर्गत एक पत्नी अपनी प्रेग्नेंसी को किसी भी समय खत्म कर सकती है, इसके लिए प्रेग्नेंसी का 24 सप्ताह से कम का होना जरूरी है। कुछ स्पेशल केस में 24 सप्ताह के बाद भी अबॉर्शन कराने का अधिकार हैं। इसके लिए पत्नी को अपने ससुराल या पति की सहमति की जरूरत नहीं होती है।

घरेलू हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट करने का अधिकार: घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत कोई भी शादीशुदा महिला पति या ससुराल वालों की ओर से शारीरिक, मानसिक, सेक्शुअल या आर्थिक रूप से सताए जाने पर शिकायत दर्ज करा सकती है।

आज जानना जरूरी है में इतना ही। अगर आप किसी और विषय पर जानना जरूरी है देखना चाहते हैं तो अपनी डिमांड हमें हमारी ईमेल आईडी curationteam@gmail.com पर भेज दीजिए।

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