फर्जी आयुष्मान कार्ड का मामला:फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वाले आरोपी को पुलिस ने छोड़ा, लैपटॉप भी लौटाया

  • सफाई दी- काेई केस कराने ही नहीं आया, मेडिकल काॅर्डिनेटर बाेले- आवेदन दिया है

जयारोग्य अस्पताल में 5 हजार रुपए लेकर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वाले आरोपी कृष्णा कुशवाह पर एफआईआर करने की जगह पुलिस ने उसे छोड़ दिया है। इतना ही नहीं पुलिस ने उसका वह लैपटाॅप भी लाैटा दिया, जिसका उपयाेग फर्जी कार्ड बनाने में किया जाता था। इस सबकाे लेकर पुलिस की कार्रवाई संदेह के घेरे में है। हालांकि जेएएच के चौकी प्रभारी महेंद्र प्रजापति ने दैनिक भास्कर के सवाल पर सफाई देते हुए कहा – अस्पताल की ओर से कोई एफआईआर कराने ही नहीं आया। जबकि इस संबंध में जयारोग्य अस्पताल की ओर से मेडिकल कॉर्डिनेटर डॉ.गजेंद्र पाल सिंह ने शिकायती आवेदन दिया है। इस मामले में एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जांच जारी है, फर्जीवाड़ा आता है तो केस दर्ज करेंगे।ऐसे में सवाल है आयुष्मान फर्जीवाड़े के पूरे रैकेट को कैसे पकड़ा जाएगा?

सीएमएचओ की टीम ने शुरू की जांच: सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा द्वारा मामले की जांच के लिए गठित की गई डीएचओ (जिला स्वास्थ्य अधिकारी) -2 डॉ. शिवराम सिंह कुशवाह की टीम बुधवार सुबह जयारोग्य चिकित्सालय पहुंची। यहां आयुष्मान केंद्र प्रभारी योगेंद्र परमार से संबंधित जानकारी लेने के साथ ही मरीज रामकुमार के बयान लिए फिर कंपू थाने पहुंचे। थाने में न तो आरोपी कृष्णा मिला और न ही कोई साक्ष्य। उनका कहना है कंपू पुलिस ने आरोपी को सामान समेत छोड़ दिया है। पुलिस पता भी नहीं दे रही है कि आरोपी कहां का रहने वाला है, उसका क्या पता है। उधर आयुष्मान के जिला को-ऑर्डिनेटर का कहना है कि बलराम नाम का कोई भी व्यक्ति आयुष्मान में काम नहीं करता है।

कंपू थाने काे दिया है शिकायती आवेदन : अस्पताल प्रबंधन ने आरोपी के साथ-साथ उससे बरामद लैपटॉप, फिंगर प्रिंट स्केनर व 34 आयुष्मान कार्ड पुलिस को सौंप दिए थे। साथ ही मामले का शिकायती आवेदन भी कंपू थाने में दिया था। इसके अलावा जो भी दस्तावेज चाहिए वह हम पुलिसको उपलब्ध करा देंगे।
डॉ. देवेंद्र सिंह कुशवाह, सहायक अधीक्षक व प्रवक्ता जयारोग्य चिकित्सालय समूह

एक्सपर्ट व्यू: मामले में पुलिस खुद भी ले सकती है संज्ञान
अगर मामला फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए जाने का है तो इसमें तत्काल एफआईआर होना चाहिए थी। ऐसे मामले में लिखित शिकायत न होने की स्थिति में भी पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है।
एसएस शुक्ला, रिटायर्ड एडीजीपी

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