प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने तैयार किया विंटर एक्शन प्लान, 30 सितंबर से हो सकता है लागू

विंटर एक्शन प्लान (Winter Action Plan) में 10 मुख्य बातों को शामिल किया गया है. इसमे पराली को सबसे ऊपर रखा गया है. पराली, व्हीकल, डस्ट पॉल्यूशन, वेस्ट बर्निंग, हॉट स्पॉट ( ज्यादा पॉल्यूशन क्षेत्र) , स्मॉग टॉवर को लगाना, पड़ोसी राज्यों से बात, वॉर रूम को और बढ़ाना, ग्रीन एप को अपडेट, सेंट्रल गवर्मेंट / कमीशन के साथ बात शामिल है.

दिल्ली वासियों को लगातार बीते कई सालों से प्रदूषण (Pollution) की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. आने वाले दिनों में दिल्ली वालों को इस समस्या का सामना न करना पड़े, इसको लेकर  दिल्ली सरकार की तरफ से विंटर एक्शन प्लान तैयार किया गया है. इसे एजेंसियों और पड़ोसी राज्यों की सरकारों से बात करने और उनके सुझाव जानने के बाद 30 सितंबर से लागू किया जाएगा.

विंटर एक्शन प्लान में 10 मुख्य बातों को शामिल किया गया है. इसमे पराली को सबसे ऊपर रखा गया है. पराली, व्हीकल, डस्ट पॉल्यूशन, वेस्ट बर्निंग, हॉट स्पॉट ( ज्यादा पॉल्यूशन क्षेत्र) , स्मॉग टॉवर को लगाना, पड़ोसी राज्यों से बात, वॉर रूम को और बढ़ाना, ग्रीन एप को अपडेट, सेंट्रल गवर्मेंट / कमीशन के साथ बात शामिल है.

14 सितंबर को होगी रिव्यू मीटिंग

आम आदमी पार्टी मंत्री गोपाल राय ने कहा कि, पराली दिल्ली के प्रदूषण की मुख्य वजह है. हमने लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए ” विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है. दिल्ली के अंदर मल्टीपल एजेंसी काम करती हैं. 14 सितंबर को हम ऑल डिपार्टमेंट के साथ रिव्यू मीटिंग करेंगे.  इसमें एनडीएमसी, तीनों mcd, पीडब्ल्यूडी, फ्लड डिपार्टमेंट, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर उनसे उनके सुझाव मांगेंगे और उनकी इस विंटर एक्शन प्लान में शामिल करेंगे. बता दें,  15 सितंबर के बाद से पराली जलाना शुरू हो जाएगा.  वहीं दिल्ली सरकार के इस एक्शन प्लान को 30 सितंबर को फाइनल रूप देने के बाद लागू किया जाएगा.

कुछ महीनों पहले आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली लगातार तीसरे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी रही. यह बात स्विश ग्रुप IQ Air की स्टडी में सामने आई थी. दरअसल, स्विस ग्रुप ने फेफड़े को नुकसान पहुंचाने वाले एयरबोर्न पार्टिकल PM2.5 के आधार पर वायु गुणवत्ता मापकर रिपोर्ट जारी की थी. IQ Air की 2020 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत के थे.

रिपोर्ट में कहा गया था कि 106 देशों के डेटा एकत्र किया गया था. यह रिपोर्ट देश के वार्षिक औसत पार्टिकुलेट मैटर PM2.5 पर आधारित थी, जिसमें 2.5 माइक्रोन से कम व्यास वाले एयरबोर्न पार्टिकल्स होते हैं. PM2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर और हृदय संबंधी समस्याओं सहित जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

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