हिन्दी के पैदा होने और बड़े होने की पूरी कहानी:आज जिस हिन्दी को हम लिखते-बोलते हैं वो 120 साल की है, लेकिन इसकी जड़ें 3520 साल पुरानी हैं

जिस हिन्दी को आज हम बोलते-सुनते-पढ़ते हैं, वो 3400 साल में बनी है। 1500 ईसा पूर्व में हिन्दी की मां कही जाने वाली संस्कृत की शुरुआत हुई थी। 1900 ईसवी में हिन्दी खड़ी बोली में लिखना-पढ़ना शुरू किया गया।

दरअसल, इंसान कम प्रयास से अध‌िक फायदा पाना चाहता है। जैसे सत्येंद्र को सतेंद्र, सतेंद्र को सतेन और अगर संभव रहे तो सतेन को सिर्फ सत्तू बोलकर काम चलाना चाहता है। हिन्दी के भाषा बनने की वजह यही आसानी है।

हिन्दी दिवस के मौके पर हम इसी हिन्दी भाषा का पूरा इतिहास लेकर आए हैं। इसमें पैदा होने से लेकर बड़े होने तक की पूरी कहानी है।

400 ईसा पूर्व कालिदास की लिखी विक्रमोर्वशियम को अपभ्रंश हिन्दी की पहली रचना मानते हैं।
400 ईसा पूर्व कालिदास की लिखी विक्रमोर्वशियम को अपभ्रंश हिन्दी की पहली रचना मानते हैं।
1100 ईसवी के बाद देवनागरी में हिन्दी लिखी जाने लगी थी। हालांकि पहली बार कहां लिखी गई, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
1100 ईसवी के बाद देवनागरी में हिन्दी लिखी जाने लगी थी। हालांकि पहली बार कहां लिखी गई, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
हिन्दी का सबसे ज्यादा प्रचार अपने लोगों को जोड़ने के लिए लिखे गए ग्रंथों से हुआ।
हिन्दी का सबसे ज्यादा प्रचार अपने लोगों को जोड़ने के लिए लिखे गए ग्रंथों से हुआ।
1805 में पब्लिश हुई लल्लू लाल की प्रेम सागर हिन्दी में पब्लिश होने वाली पहली किताब मानी जाती है।
1805 में पब्लिश हुई लल्लू लाल की प्रेम सागर हिन्दी में पब्लिश होने वाली पहली किताब मानी जाती है।
10 से 14 जनवरी 1975 में पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर में हुआ था।
10 से 14 जनवरी 1975 में पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर में हुआ था।

संदर्भः

1. हिन्दी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल

2. भाषा विज्ञान, भोलानाथ तिवारी

3. हिन्दी भाषा का सं‌क्षिप्त इतिहास, भोलानाथ तिवारी

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