प्रयागराज पहुंची CBI की 5 सदस्यीय टीम
नरेंद्र गिरि मौत मामले में 15 घंटे पहले हुई थी जांच की सिफारिश; FIR, केस डायरी और अब तक के सुबूत SIT हैंडओवर करेगी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए CBI की टीम गुरुवार दोपहर दो बजे प्रयागराज पहुंच गई है। टीम में पांच सदस्य हैं। योगी सरकार ने संतों की मांग पर बुधवार की रात 11 बजे CBI जांच की सिफारिश की थी। यानी इस हाईप्रोफाइल मामले में महज 15 घंटे के अंदर ही सीबीआई एक्शन मोड में आ गई है।
पुलिस लाइन में CBI अब इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के अफसरों से जानकारी जुटा रही है। CBI को महंत की मौत से संबंधित FIR, केस डायरी और अब तक जुटाए गए साक्ष्य सौंपे जाएंगे। इसके बाद CBI अपने स्तर पर नए सिरे से पड़ताल शुरू करेगी।
आखिरकार CBI जांच का निर्णय क्यों? 9 पॉइंट्स में समझें
- तकरीबन सभी प्रमुख संत-महात्माओं ने महंत की मौत की CBI जांच की मांग प्रदेश सरकार से की है। चुनावी साल में प्रदेश सरकार संत-महात्माओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है।
- महंत एक राष्ट्रीय स्तर की शख्सियत थे। देश के कई राज्यों के अखाड़ों, मठों व आश्रमों में उनकी स्वीकार्यता थी। प्रत्येक राज्य में जाकर पड़ताल करना पुलिस के लिए संभव नहीं है। महंत की मौत के पीछे बड़े पैमाने पर संपत्ति का विवाद भी एक बड़ा कारण कहा जा रहा है।
- संत-महात्माओं को महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट पर भरोसा नहीं है। एक स्वर में सभी का यही कहना है कि महंत लिखने-पढ़ने के मामले में कमजोर थे। वह इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते थे।
- महंत के सुसाइड नोट में काले और नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया है। महंत के सुसाइड नोट में 25 जगह काटा गया है। जहां काटा गया है या डेट बदली गई है, उसके लिए नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया था और बाकी सब कुछ काले रंग के पेन से लिखा है।
- पुलिस के आने से पहले शव को फंदे से नीचे उतार कर क्राइम सीन और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई। एक वायरल वीडियो के अनुसार जिस पंखे के सहारे महंत ने फांसी लगाई थी, वह चल रहा था। महंत ने जिस रस्सी से फांसी लगाई थी, वह 3 टुकड़ों में थी।
- महंत के वह कौन से वीडियो थे जिन्हें वायरल करने की धमकी दी जा रही थी। कौन उन्हें यह सूचना दे रहा था कि उनका शिष्य आनंद गिरि उनके वीडियो वायरल करने की तैयारी में है।
- महंत के कमरे में सल्फास की डिबिया कहां से आई। उसे कौन लाया था। यदि महंत ने ही मंगवाया था तो किससे और क्या कह कर मंगवाया था।
- महंत की मौत के असल गुनहगार कौन हैं। पोस्टमॉर्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार यदि उन्होंने खुद ही फांसी ही लगाई है तो इसके पीछे की वजह क्या थी।
- महंत की मौत के पीछे एक एडिशनल एसपी, सपा के एक पूर्व मंत्री और भाजपा के एक नेता की क्या भूमिका है।
कैसे शुरू होती है CBI की जांच?
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि न्यायालय के आदेश से इतर जब किसी प्रदेश की सरकार किसी मामले की CBI से जांच कराने का निर्णय लेती है तो उसकी ओर से गृह मंत्रालय को चिट्ठी भेजी जाती है। उस चिट्ठी में कारणों के साथ बताया जाता है कि CBI जांच क्यों जरूरी है। गृह मंत्रालय से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास चिट्ठी भेजी जाती है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से CBI मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी जाती है।
CBI मुख्यालय संबंधित राज्य में स्थित अपनी यूनिट के अधिकारी से रिपोर्ट मांगता है कि क्या प्रकरण है और हमारी जांच क्यों जरूरी है। स्टेट यूनिट की रिपोर्ट के आधार पर CBI मुख्यालय प्रकरण की जांच का निर्णय लेता है। इसके बाद संबंधित राज्य सरकार के खर्च पर CBI जांच शुरू करती है। फिर, CBI का राज्य में जो अपना थाना होता है, वहां एफआईआर दर्ज कर पुलिस की तरह ही तफ्तीश शुरू की जाती है।
अब तक कब और क्या हुआ?
- 20 सितंबर की शाम महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज के श्री मठ बाघंबरी गद्दी स्थित अपने कमरे में पुलिस को मृत मिले।
- प्रयागराज के जार्जटाउन थाने में महंत को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके खास शिष्य आनंद गिरि के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
- 21 सितंबर को आनंद गिरि को उत्तराखंड से प्रयागराज लाकर SIT ने पूछताछ शुरू की।
- 22 सितंबर को महंत के पार्थिव शरीर का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद उनके मठ में ही उन्हें भू-समाधि दी गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की प्रारंभिक वजह फांसी लगाना बताया गया।
- 22 सितंबर को आनंद गिरि और पुजारी आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 22 सितंबर की रात आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया। संदीप को आज अदालत में पेश किया जाएगा।
- 22 सितंबर को देर रात प्रदेश सरकार ने प्रकरण की जांच CBI से कराने का निर्णय लिया।
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि?
महंत नरेंद्र गिरि मूल रूप से प्रयागराज जिले के प्रतापपुर ब्लॉक के छतौना गांव के निवासी थे। 4 भाइयों और 2 बहनों वाले नरेंद्र गिरि के बचपन का नाम बुद्धू था। पिता ठाकुर भानु प्रताप सिंह के अचानक घर छोड़ कर चले जाने के कारण नरेंद्र गिरि की परवरिश गिरदकोर्ट स्थित उनके ननिहाल में हुई।
1983 में नरेंद्र गिरि ने घर छोड़ दिया। 1995 के बाद नरेंद्र गिरि का कहीं पता नहीं लगा। 2004 में नरेंद्र गिरि को बाघंबरी गद्दी का पीठाधीश्वर और बड़े हनुमान मंदिर का महंत बनाया गया। इसके बाद 2015 में वह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने।