राजस्व अफसरों के कमरों से न्यायालय शब्द हटे
राजस्व न्यायालयों की व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती…
कलेक्ट्रेट भवन में चलने वाले राजस्व न्यायालयों की मौजूदा व्यवस्था को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जौरा निवासी कैलाशचंद जैन ने एडवोकेट उमेश बौहरे के माध्यम से मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर इस याचिका में मप्र के सभी जिलों में राजस्व अधिकारियों के कार्यालय में न्यायालय डाइस और उसके पीछे लगे अशोक चक्र की सुविधा काे गलत बताया है। इसके अलावा राजस्व अधिकारी के वाहन पर पदनाम और न्यायालय लिखे जाने काे भी नियम विरुद्ध बताया गया है।
याचिका दायर करने से पहले मप्र के मुख्य सचिव को अभ्यावेदन भेजकर इन सभी व्यवस्थाओं को बदले जाने के लिए आग्रह किया गया। जिसमें ये भी कहा गया कि यदि एक सप्ताह में ऐसा नहीं होता है तो जनहित याचिका के माध्यम से ये मामला हाईकोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। इस याचिका में मप्र के मुख्य सचिव, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव, विधि-विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव और परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका में इन व्यवस्थाओं को बदलने की मांग की
- 1. मप्र भू-राजस्व संहिता के प्रकरणों को राजस्व अधिकारियों द्वारा सुना जाता है। जिसमें विशेष रूप से नामांतरण, सीमांकन एवं बंटवारे के प्रकरण शामिल होते हैं। इसलिए कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार को डाइस पर बैठने का अधिकार नहीं हैं। ऐसे में इनके कार्यालयों से डाइस हटना चाहिए।
- 2. राजस्व अधिकारी जनता की सेवा के लिए होते हैं। जिस कमरे में वे राजस्व संबंधी प्रकरण की शिकायतें सुनते हैं उसके बाहर लगे न्यायालय का बोर्ड हटाकर वहां सेवा सदन लिखा जाए।