देश में पहला प्रयोग जैन समाज का ….समय सार का डिजिटल वर्जन तैयार, ग्रंथ के श्लोक पर सेंसर पेन रखते ही गूंजेंगे प्रवचन और भावार्थ

  • खास तरह की इंक से करवाई प्रिंटिंग, कानजी स्वामी के 19वीं सभा के प्रवचनों की रिकॉर्डिंग

दिगंबर जैन समाज का सबसे प्रमुख ग्रंथ समय सार है। समाज के एक ट्रस्ट ने इस ग्रंथ का कागज के ग्रंथ के आधार पर डिजिटल वर्जन तैयार किया है। पुस्तक के साथ एक सेंसर पेन भी बनाया है। इस पुस्तक के जिस श्लोक पर सेंसर पेन रखेंगे, सेंसर पेन से ऑडियो में श्लोक, उसका भावार्थ और उस पर संत कानजी स्वामी के एक घंटे के प्रवचन सुनाई देने लगेंगे।

इस पेन को ब्लू टूथ से स्मार्ट टीवी या होम थिएटर स्पीकर से भी जोड़ सकते हैं। इस आधुनिक तकनीकी के ग्रंथ को तैयार करने वाले ट्रस्ट गर्जती ज्ञायक आध्यात्मिक ट्रस्ट मुंबई का दावा है कि यह देश का पहला धार्मिक ग्रंथ है जिसमें यह तकनीकी उपयोग की गई है।

समय सार ग्रंथ की रचना करीब 2000 साल पहले कुंद-कुंद स्वामी ने की थी। इसके बाद 100 साल पहले इसकी खोज कानजी स्वामीजी ने की। उन्होंने इस ग्रंथ के प्रचार प्रसार के लिए 45 साल में 19 स्थानों पर प्रवचन किए। ट्रस्ट के हितेश भाई चौवटिया बताते हैं- समय सार के दोबारा प्रकट होने का शताब्दी वर्ष दिगंबर जैन समाज पूरे देश में मना रहा है। इसी क्रम में ट्रस्ट ने अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकी आधारित ग्रंथ तैयार किया है।

सेंसर पेन की मेमाेरी में 575 प्रवचन

श्लोक और भावार्थ जैन दर्शनाचार्य संजय शास्त्री की आवाज में उज्जैन में विक्रांत जैन के स्टूडियो में रिकॉर्ड की जा रही है। इसमें कानजी स्वामी के 19वीं सभा में दिए गए 575 प्रवचन स्वामीजी की मूल आवाज में रिकॉर्ड है। हर प्रवचन 1 घंटे का है। सेंसर की मेमोरी में यह सब रिकॉर्ड है, जो सेंसर पेन के स्पीकर के माध्यम से सुनाई देते हैं।

ग्रंथ के श्लोक पर सेंसर पेन रखते ही भावार्थ व प्रवचन गूंजने लगेंगे…

इसके लिए विदेशी तकनीकी, विदेशी कागज का उपयोग किया गया है। 500 पृष्ठ के इस डिजिटल ग्रंथ का लोकार्पण जनवरी 2022 में होने की संभावना है। इसके बाद इसे कोई भी समाजजन प्राप्त कर सकेंगे। आज समाज के सामने होगा प्रस्तुतिकरण- इस अनूठे ग्रंथ का शुक्रवार सुबह 9.30 बजे क्षीरसागर स्थित सीमंधर दिगंबर जैन मंदिर में समाज के सामने प्रस्तुतिकरण होगा।

जंबू जैन धवल के अनुसार इसकी रिकॉर्डिंग उज्जैन में इसलिए की गई क्योंकि भगवान महावीर स्वामी ने उज्जैन में तपस्या की थी। लोकार्पण के बाद यह ग्रंथ न्यूनतम 5 हजार रुपए की दान राशि पर समाजजन ले सकेंगे। जबकि इसकी लागत 11 हजार रुपए से ज्यादा आ रही है।

बोलते समय सार नाम दिया- इस ग्रंथ को बोलते समय सार नाम दिया है। यह 6 भाषाओं- प्राकृत, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, में सुना जा सकता है। कागज की पुस्तक होने के बाद भी इसे सुनने की तकनीकी का उपयोग किया है इसलिए इसका नाम बोलते समय सार दिया गया है।

50 फीसदी महंगे विदेशी कागज का उपयोग

हितेश भाई के अनुसार इस ग्रंथ के लिए यूएसए से कागज और इंक मंगवाई गई। यह आम कागज से 50 फीसदी महंगे हैं। इसमें कोडिंग तकनीकी का इस्तेमाल किया है। कागज डिजिटल कोडिंग की गई है। छपाई के बाद इसका लेमिनेशन किया है। कोडिंग छपाई को सेंसर पेन पढ़ता है।

सेंसर पेन स्टील बॉडी का है और नार्मल मोबाइल चार्जर से चार्ज हो जाता है। सेंसर कोडिंग को पढ़ते हैं और ऑडियो सुनाई देने लगता है। पेन में ग्रंथ के श्लोक प्राकृत और संस्कृत में, हिंदी और अन्य भाषाओं में भावार्थ और कानजी स्वीमीजी का 1 घंटे का प्रवचन रिकॉर्ड है।

जिस श्लोक पर सेंसर पेन रखा जाता है, ऑडियो में वह श्लोक, भावार्थ और प्रवचन सुनाई देने लगते हैं। सेंसर ब्लू टूथ से लैस है। आवाज कम-ज्यादा की जा सकती है। पॉज बटन भी है ताकि जहां रोका जाए वहीं से फिर से शुरू किया जा सके। इयर फोन की सुविधा भी है। इसे स्मार्ट टीवी, होम थिएटर से जोड़ सकते हैं।

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