UP Assembly Election 2022: आगरा दक्षिण विधानसभा सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब BJP, जानिए इससे जुड़ी हर अपडेट
आगरा दक्षिण सीट पर दो बार से भाजपा ने बाजी मारी है. मुस्लिम वोटों के बंट जाने से भाजपा को सीधे तौर पर इसका फायदा मिला.
उत्तर प्रदेश की आगरा दक्षिण विधानसभा सीट (Agra South Assembly) जिले की नौ विधानसभा सीट में से एक है. इस सीट पर पिछले 10 साल से भाजपा का कब्जा है. यहां से विधायक योगेंद्र उपाध्याय हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश करेगी, वहीं अन्य पार्टियां भी इस पर नजर गड़ाए हुए हैं. आगरा दक्षिण विधानसभा सीट 2007 में छावनी विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी, लेकिन परिसीमन के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों के बंट जाने से भाजपा को इसका फायदा हुआ.
2012 विधानसभा चुनाव के आंकड़े
2012 के विधानसभा चुनाव में परिसीमन के बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के योगेंद्र उपाध्याय ने जीत दर्ज की. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के जुल्फिकार अहमद भुट्टो को इस चुनाव में शिकस्त दी थी. भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय को इस चुनाव में 74,324 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के जुल्फिकार अहमद को 51,364 वोट मिले थे. वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के नजीर अहमद थे, जिन्हें 39,962 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी (SP) के मोहम्मद शरीफ उस्मानी चौथे नंबर पर थे और उन्हें 13,408 वोट मिले थे.
2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़े
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के योगेंद्र उपाध्याय लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. उन्होंने इस बार भी बसपा (BSP) के जुल्फिकार अहमद भुट्टो को चुनाव में शिकस्त दी थी. चुनाव में भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय को 1,18,882 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के जुल्फिकार अहमद भुट्टो को 57,657 वोट मिले थे. वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के नजीर अहमद थे, जिन्हें 39,434 वोट मिले थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर पार्टियों का वोट शेयर
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा का वोट शेयर 51.68 प्रतिशत था, जबकि बसपा का वोट शेयर 26.63 प्रतिशत था. वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 18.22 प्रतिशत था.
मुस्लिम वोटों के बंटने से भाजपा को हुआ फायदा
आगरा दक्षिण (साउथ) विधानसभा सीट (Agra South Assembly) पर मुस्लिम वोटों के अलग-अलग पार्टियों के साथ जाने की वजह से इसका फायदा पिछले दोनों चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को हुआ है. 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां इस सीट से बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार जुल्फीकार अहमद भुट्टो को मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस ने भी नजीर अहमद को टिकट दिया था.
2017 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने एक बार फिर जुल्फिकार अहमद भुट्टो को अपना प्रत्याशी बनाया. वहीं कांग्रेस ने भी नजीर अहमद को दोबारा मैदान में उतारा था, जिसका फायदा दोनों ही बार भाजपा को मिला.