5 सालों में देश के 7 प्रमुख सेक्टर में 3.64 करोड़ लोग बेरोजगार, 7.1% बेरोजगारी दर

  • अगले 5 साल आ सकते हैं 5.3 करोड़ नए जॉब, सरकार के उपायों और जीडीपी सुधरने से बदलेगी स्थिति
  • 1.2 करोड़ लोगों को हर साल चाहिए नौकरी, बजट से पहले पढ़िए सरकार की सबसे बड़ी चुनौती- नौकरियों पर रिपोर्ट

मुंबई/नई दिल्ली . बजट में अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने और नौकरियां बढ़ाने के लिए सरकार क्या प्रयास करती है, इसपर सबकी निगाहें हैं। इस बीच हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर 7.1 फीसदी के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में भास्कर ने अलग-अलग सेक्टर के विशेषज्ञों, इंडस्ट्री बॉडी और सरकारी रिपोर्ट्स के माध्यम से जाना कि देश में नौकरियों की क्या स्थिति है।

रिसर्च में सामने आया कि देश में बीते पांच सालों में 3.64 करोड़ नौकरियां सिर्फ 7 प्रमुख सेक्टर्स में ही जा चुकी हैं। इनमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार शामिल हैं। सर्वाधिक 3.5 करोड़ नौकरियां टेक्सटाइल सेक्टर की हैं। हालांकि अच्छी बात यह है कि सरकारी प्रयास और जीडीपी ग्रोथ की उम्मीद के बीच करीब 5.3 करोड़ से अधिक नई नौकरियां अगले पांच साल में आएंगी।

क्लोदिंग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्य संरक्षक राहुल मेहता बताते हैं कि टेक्सटाइल सेक्टर में अलग-अलग कारणों से पिछले पांच सालों में करीब 3.5 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं। हालांकि अब स्थितियां सुधर रही हैं और अगले 5 सालों में इतने ही नए रोजगार आ जाएंगे। वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार कहते हैं कि देश में जॉब लॉस जैसी बात नहीं है। नए जॉब ग्रोथ की रफ्तार थोड़ी धीमी अवश्य हुई है। केंद्र सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है।  निवेश भी बढ़ेगा। इससे जॉब आएंगे।

देश की प्रमुख जॉब मुहैया करवाने वाली कंपनी टीमलीज की को-फाउंडर ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि देश में टेलीकॉम, ऑटो, मोबाइल, इंफ्रा, जेम्स एंड ज्वैलरी और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में अवश्य नौकरियां घटी हैं लेकिन यह कितनी घटी हैं कह पाना मुश्किल है। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव कहते हैं कि नौकरी चक्रीय होती है। जैसे- एक कार बिकती है तो कार ड्राइवर, पेट्रोल वाले, स्पेयर पार्ट्स, इश्योरेंस आदि से करीब 5 लोगों को रोजगार मिलता है। हम प्रतिवर्ष 15-16 लाख कार बनाते हैं। उम्मीद है रोजगार बढ़ेगा।

सबसे ज्यादा बुरी स्थिति टेक्सटाइल सेक्टर की, लेकिन नई नौकरियां भी सबसे ज्यादा यहीं

टेक्सटाइल 

  • नौकरियां गईं: 3.5 करोड़
  • कारण: वैश्विक मंदी, उत्पादन लागत का बढ़ना, बांग्लादेश में सस्ती लागत में कारोबार, देश में महंगी लेबर और लागत।
  • सुधार के प्रयास: टेक्सटाइल मंत्रालय ने नेशनल टेक्सटाइल पॉलिसी में गाइडलाइन बनाई है कि 2024-25 तक 300 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करेंगे। नई तकनीक का प्रयोग बढ़ेगा जिससे लागत घटेगी।
  • असर क्या होगा: रिकवरी सबसे तेज। पांच सालों में 3.5 करोड़ नए रोजगार की उम्मीद।

जेम एंड ज्वेलरी
नौकरियां गईं: 5 लाख

  • कारण: सोने के बढ़ते दाम, गोल्ड आयात पर ज्यादा कस्टम ड्यूटी, लोग विदेश से सोना खरीद रहे हैं, नगद खरीदी पर सख्ती।
  • सुधार के प्रयास: सरकार जेम एंड ज्वेलरी स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया प्रोग्राम के तहत हर साल 10 हजार कारीगरों को प्रशिक्षण दे रही है। नए जेम ज्वेलरी पार्क बना रही है। बजट में कस्टम ड्यूटी कम होने की उम्मीद।
  • असर क्या होगा: जीडीपी बढ़े और रुपया मजबूत हो तो 25 लाख नए रोजगार आएंगे।

ऑटो

  • नौकरियां गईं: 2.30 लाख
  • कारण: बीएस-6 वाहनों के आने से पहले बिक्री गिरी। जुलाई-2019 में 19 सालों में सबसे खराब दौर रहा। ऑटोमेशन भी कारण।
  • सुधार के प्रयास: कॉर्पोरेट टैक्स कम किया। बीएस-4 की गाड़ियां लाइफ टाइम तक रजिस्टर्ड रहेंगी। सरकारी खरीद को फिर से खोलने का एलान किया। वाहनों के डेप्रिशिएशन को दोगुना किया।
  • असर क्या होगा: इलेक्ट्रिक वाहन और बीएस-6 लागू होने से रोजगार बढ़ सकते हैं।

बैंकिंग

  • नौकरियां गईं: 3.15 लाख
  • कारण: सरकारी बैंकों के मर्जर के कारण ब्रांचों की संख्या में कमी आई है। ऑटोमेशन से काम होने के कारण भी कर्मचारी घटे।
  • सुधार के प्रयास: सरकार ने पेमेंट बैंकों को काम करने की इजाजत दी है। आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस, रोबोटिक्स और रिस्क मैनेजेमेंट में दक्ष लोगों की डिमांड बढ़ाने का प्रयास है। एनपीए घटने से हालत सुधरेगी।
  • असर क्या होगा: 5-6 लाख नई नौकरियां आएंगी। सेक्टर अभी तेजी से बढ़ रहा है।

टेलिकॉम

  • नौकरियां गईं: 90 हजार
  • कारण: प्राइस वॉर के कारण घाटा बढ़ा। सिर्फ 3 निजी कंपनियां बचीं। आईडिया-वोडाफोन मर्जर हो गया। 1.47 लाख करोड़ रुपए के एजीआर बकाए से मुसीबत में।
  • सुधार के प्रयास: कंपनियां लगातार सरकार से कह रह हैं कि एजीआर की रकम के लिए उन्हें दो साल का समय दिया जाए। साथ ही उन्होंने दूसरी राहतों की मांग की है।
  • असर क्या होगा: एआई, बिग डेटा और 5जी के कारण नौकरियां बढ़ सकती हैं।

रियल एस्टेट

  • नौकरियां गईं: 2.7 लाख
  • कारण: नोटबंदी के बाद स्थिति खराब हुई। जीएसटी और रेरा जैसे कानून आने के बाद शुरुआती समय में परेशानी और बढ़ गई।
  • सुधार के प्रयास: फंसे हुए प्रोजेक्ट के लिए सरकार 25 हजार करोड़ रुपए की मदद करेगी। सरकार ने खरीदारों को कर छूट का लाभ दिया है। सेबी ने नियमों को अासान किया। 5 साल में 1.25 लाख करोड़ रु. आ सकते हैं।
  • असर क्या होगा: 1.5 करोड़ नए रोजागार आ सकते हैं अगले 5 वर्ष के अंदर।

एविएशन

  • नौकरियां गईं: 20 हजार
  • कारण: जेट एयरवेज के बंद होने से 15 हजार नौकरियां गई हैं। किंगफिशर बंद होने से भी 5 हजार नौकरियां गई हैं।
  • सुधार के प्रयास: माना जा रहा है कि सरकार अगले चार से पांच साल में इस सेक्टर को उबारने के लिए 35 हजार करोड़ रुपए निवेश करेगी। नई एफडीआई आएगी। 100 नए एयरक्राफ्ट फ्लीट में शामिल होंगे।
  • असर क्या होगा: सेक्टर में निवेश और मांग बढ़ने से 20 हजार नई नौकरियां आएंगी।

इन रिपोर्ट्स में भी नौकरी कम होने के दावे

  • 26% नए रोजागार कम हुए: ईपीएफओ के अप्रैल 2019 के डेटा के आधार पर कहा गया कि सितंबर 2017 से फरवरी 2019 के बीच केवल 4,49,261 नई नौकरियां आईं। 6 माह में 26% नए रोजगार कम आए।
  • एक साल में गए एक करोड़ 10 लाख रोजगार: सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2017 में देश में 40.79 करोड़ रोजगार थे। जबकि दिसंबर 2018 में यह आंकड़ा घटकर 39.7 करोड़ हो गया।
  • घटेंगे 16 लाख रोजगार: एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में 89.7 लाख नए रोजगार आए। जबकि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में इसकी तुलना में 16 लाख कम नौकरियों के सृजन हाेने का अनुमान है

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