UP Assembly Elections 2022: गोरखपुर की पिपराइच विधानसभा पर भाजपा का कब्जा, जानिए क्या है इस सीट का राजनीतिक समीकरण

पिपराइच सीट से महेंद्र पाल सिंह को पहली बार बीजेपी से विधायक बने. उन्होंने 2017 में बसपा के आफताब आलम को हराया था.

यूपी के गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के पिपराइच विधानसभा (Pipraich Assembly Seat) में कभी कांग्रेस का ही सिक्का चलता था लेकिन समय और समीकरण ने पूरी सियासत को बदल कर रख दिया. पिपराइच से महेंद्र पाल सिंह 2017 में पहली बार बीजेपी से विधायक बने. उन्होंने बसपा के आफताब आलम को हराया था, जबकि सपा के अमरेंद्र निषाद तीसरे नंबर पर थे. इस सीट पर 1991 में लल्लन प्रसाद त्रिपाठी बीजेपी के आखिरी विधायक चुने गए थे. जिसके बाद 2017 में भाजपा को कामयाबी मिली. इस सीट पर विधानसभा चुनाव 2022 कौन जीत दर्ज करेगा, यह तो समय बताएगा.

2012  के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की राजमती ने 86,976 मत पाकर विधानसभा गई. बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र को 51,341 वोट पाकर हार का सामना करना पड़ा था. वहीं भारतीय जनता पार्टी के राधेश्याम 29,617 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे.

2007 में बहुजन समाज पार्टी के जमुना निषाद ने निर्दलीय लड़े, जितेंद्र कुमार जायसवाल को हरा अपना परचम लहराया था. भारतीय जनता पार्टी के राधेश्याम सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. जबकि कांग्रेस के दीपक कुमार को चौथे स्थान पर रहना पड़ा था. 2002 में निर्दलीय लड़े जितेंद्र कुमार ने दीपक कुमार अग्रवाल को हराया. बहुजन समाज पार्टी के देवेंद्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे.

जातीय समीकरण

पिपराइच विधानसभा क्षेत्र (Pipraich Assembly Seat) निषाद जाति का बाहुल्य है. 2007 और 2012 में यहां से जमुना निषाद और जनकी राजमती निषाद विधायक चुनी गईं. इसके पहले के चुनाव में यह बिरादरी निर्दलीय जितेंद्र जायसवाल के पक्ष में आकर उन्हें जीत दिलाती रही. 2017 के चुनाव मोदी लहर बीजेपी के पक्ष में माहौल बना तो स्थानीय स्तर पर 20 वर्षों से सक्रिय नेता महेंद्र पाल सिंह निषादों को अपने पाले में करने में कामयाब रहे. ओबीसी जाति यहां निर्णायक है. दूसरे नंबर पर दलित समाज, तीसरे स्थान पर मुस्लिम बिरादरी है. वहीं सवर्ण जाति के लोगों की संख्या यहां सबसे कम है.

आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र (Pipraich Assembly Seat) में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 34 हजार 828 है. इस सीट पर हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों में हर बार अलग पार्टी प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.

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