चंबल में भी महिला बस कंडक्टर …..ग्वालियर में सिटी बसों में महिला कंडक्टरों ने संभाला मोर्चा, मकसद- महिलाओं को बेखौफ सफर करा सकें
चंबल में अब दिलेर महिलाओं की दहाड़ सुनाई देगी। बस संचालक को अभी तक पुरुष प्रधान जॉब माना जाता था, क्योंकि यात्रियों को बैठाने को लेकर झगड़ा, आगे निकलने को लेकर रंजिश और तोड़फोड़ आम बात है। अब स्मार्ट सिटी के नेतृत्व में महिलाएं बसों की कमान संभालेंगी। करीब 12 महिलाओं को बसों पर कंडक्टर बनाया गया है। 8 महिलाएं सिटी बस और 4 महिलाएं इंटरसिटी बस (आसपास के शहर) में चलने वाली बसों पर कंडक्टर हैं। इनको सुरक्षा के टिप्स दिए गए हैं।
साथ ही, जल्द 10 बसों पर महिला चालकों को रखने की योजना है। ऐसा केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सलाह पर किया गया है। उनको यह विचार मिस कॉस्मोपॉलिटन इंडिया-2021 का खिताब जीतने वाली अपूर्वा शर्मा से मिला था। अपूर्वा ने बसों में सिर्फ इसलिए सफर न करने की बात कही थी कि वहां माहौल अच्छा नहीं रहता। महिला कंडक्टर, चालक रखने का मकसद सिर्फ यही है कि महिलाएं बसों में बेखौफ सफर कर सकें। किसी परेशानी की स्थिति में खुलकर महिला कंडक्टर से बात कर सकें।
महिलाएं, सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रहीं
ग्वालियर की महिलाएं बस परिचालक (कंडक्टर) की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन कर महिला सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रही हैं। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने सूत्र सेवा के तहत 12 महिलाओं को शहर के अंदर दौड़ने वाली सिटी (इंट्रा) बस और इंटरसिटी बसों में बतौर कंडक्टर काम पर रखा है। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कलेक्टोरेट परिसर में इन महिला कंडक्टरों का सम्मान किया। उनके हौसले की तारीफ करते हुए इस सेवा का विधिवत शुभारंभ भी किया।
अभी 12 महिलाएं संभाल रहीं कंडक्टर की जिम्मेदारी
स्मार्ट सिटी CEO जयति सिंह ने बताया कि स्मार्ट सिटी की सूत्र सेवा योजना के तहत शहर में 13 सिटी बस चल रही हैं, जबकि 14 इंटरसिटी बसें दूसरे शहरों में आ-जा रही हैं। अभी 8 महिला कंडक्टरों को सिटी बस पर तैनात किया है। जो शहर के अंदर बसों पर तैनात हैं। बाकी 4 महिलाओं को शहर के बाहर जाने वाली ग्वालियर-भिंड, ग्वालियर-गुना और ग्वालियर-शिवपुरी बस में तैनात किया गया है। जल्द ही, 10 महिलाओं को बतौर ड्राइवर नौकरी दी जाएगी।
चुनौती भरा है काम, बखूबी निभा रहीं महिलाएं
बसों पर सबसे कठिन और विवाद का काम होता है कंडक्टर का, क्योंकि कोई भी व्यक्ति बस में सफर करता है, तो उसका बहस से लेकर झ़गड़ा कंडक्टर से ही होता है। अब इस लाइन में महिलाओं ने मोर्चा संभाला है। वह इस चुनौती को बखूबी निभा भी रहीं हैं।
12 हजार मासिक वेतन मिलता है, जिससे अजीविका चलती है
ग्वालियर से गुना जाने वाली इंटरसिटी बस पर कंडक्टर सुनीता सिंह (38) के पति कमलेश में प्राइवेट फैक्ट्री में जॉब करते हैं। यहां एक बेटी और बेटा की जिम्मेदारी उन पर है। बेटी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। बेटा अभी इंटर में है। सुनीता ने मन में ठाना कि वह काम करके पति के साथ कंधे से कंधा मिलाएंगी।
इसके बाद वह सेना से रिटायर्ड राघवेन्द्र सिंह की संस्था से जुड़ीं। उन्होंने स्मार्ट सिटी से संपर्क कर कंडक्टर का जॉब दिलवाया। अब सुनीता कहती हैं कि उनको 12 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। वह इससे पहले सिक्युरिटी गार्ड का काम कर चुकी हैं, इसलिए अपनी रक्षा और महिला पैसेंजर की रक्षा में सक्षम हैं।
चुनौती से लड़ने में मजा आता है
चिरवाई नाका में रहने वाली काजल शर्मा (30) का कहना है कि वह सिटी बस पर कंडक्टर हैं। यह जॉब चुनौती भरा है, लेकिन चुनौती से लड़ने में मजा आता है। उनका कहना है कि महिला कंडक्टर होने से छात्राएं, नौकरी पेशा महिलाएं व अन्य महिलाएं बेखौफ सफर कर सकती हैं। उन्हें परेशानी होती है, तो वह हमसे बात कर सकते हैं। हमको कोई परेशानी आती है, तो 100 DIAL करते हैं।