थानों में बंद ‘रसूख’ ?

थानों में बंद ‘रसूख’ को छुड़वाने के लिए छटपटा रहे मुरैना के लोग, 27 हजार से ज्यादा बंदूकें हैं जमा
Chambal Guns मप्र विधानसभा चुनाव की आचार संहिता में मुरैना जिले के सभी 25 थानों में 27 हजार से ज्यादा लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए गए। आचार संहिता खत्म होते ही बंदूकें वापस करना था लेकिन अभी तक नहीं की गई है लोग थानों के चक्कर काटने लगे हैं।
  1. थानों में बंद ‘रसूख’ को छुड़वाने के लिए छटपटा रहे मुरैना के लोग
  2. विस चुनाव के पहले से मुरैना में 27 हजार से ज्यादा बंदूकें थानों में जमा
  3. पुलिस प्रशासन लोकसभा चुनाव तक बंदूकें वापस करने के मूड में नहीं

 मुरैना। चंबल अंचल में बंदूकें रसूख का प्रतीक हैं। इन दिनों शादियों की धूम चल रही है और शादी समारोहों में कंधे पर बंदूक टांगकर जाना चंबल के लोगों में शान की बात है। लेकिन, यह शान और रसूख साढ़े तीन महीने से थानों में जमा हैं। विस चुनाव के बाद बंदूकें वापस मिलनी थीं, लेकिन पुलिस प्रशासन लोकसभा चुनाव तक बंदूकें वापस करने के मूड में नहीं हैं। यानी कम से कम तीन महीने तक चंबल का रसूख थानों में ही जमा रहेगा। यह हालात केवल मुरैना में हैं। भिंड व श्योपुर में लोगों को चुनाव परिणाम के बाद बंदूकें वापस मिल गई हैं।

गौरतलब है कि मप्र विधानसभा चुनाव की आचार संहिता नौ अक्टूबर 2023 को लगी और 20 अक्टूबर तक मुरैना जिले के सभी 25 थानों में 27400 से ज्यादा लाइसेंसी हथियार (बंदूक, पिस्टल, रिवाल्वर) जमा करा लिए गए। कलेक्टर अंकित अस्थाना ने नौ अक्टूबर को बंदूकें जमा कराने का जो आदेश जारी किया, उसमें स्पष्ट उल्लेख था कि आचार संहिता खत्म होते ही बंदूकें वापस की जाएंगी

आचार संहिता खत्म, नहीं मिली बंदूकें

आचार संहिता चुनाव परिणाम आने के दिन तीन दिसंबर 2023 को खत्म हो गई। 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक शादियों का सीजन नहीं था। इसलिए, लोगों को बंदूकों की कमी महसूस नहीं हुई। 15 जनवरी से जैसे ही शादी समारोहों की धूम शुरू हुई तो लोगों को कंधों पर बंदूकों की कमी खलने लगी और थानों के चक्कर काटने लगे।

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लोकसभा चुनाव तक लौटाने के मूड में नहीं है प्रशासन

अब थानों से बंदूकें वापस नहीं मिल रहीं और यह कहकर लौटाया जा रहा कि जल्द ही लोकसभा चुनाव आ रहे हैं, फिर बदूंकें जमा कराने के लिए लाइनें लगानी पड़ेंगी, इसलिए बंदूकें अब संसदीय चुनाव के बाद ही मिलेंगी। जानकारों के अनुसार लोकसभा चुनाव अप्रैल तक होंगे और परिणाम मई तक आ सकेंगे, ऐसे में बंदूकें कम से कम तीन महीने और थानों में रहेंगी।

भिंड़ और श्योपुर में बंदूकें मिलीं वापस

चंबल संभाग के भिंड और श्योपुर में भी विस चुनाव से पहले बंदूकें थानों में जमा करवाई गईं। भिंड जिले में 23450 और श्योपुर जिले में 3800 से ज्यादा लाइसेंसी बंदूकें हैं। भिंड में यह बंदूकें चार दिसंबर से ही वापस मिलने लगीं। वहां की स्थिति यह है कि भिंड कोतवाली में 1640 के करीब बंदूकें जमा थीं, जिसमें से अब थाने में 260 बंदूकें ही रह गई हैं।

वहीं, श्योपुर जिले में भी आचार संहिता खत्म होते ही बंदूकें वापस मिलने लगी थीं। एक पखवाड़े पहले श्योपुर नपा क्षेत्र में एक पार्षद का चुनाव हुआ, तब भी शहरी क्षेत्र में बंदूकें फिर जमा करवाई गईं और पार्षद के चुनाव के बाद थाने से बंदूकें वापस कर दी गईं।

 

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