अखिलेश के मंत्री गायत्री प्रजापति से डरती थी पुलिस:एक साल तक दबाई थी तहरीर, गायत्री ने 6 साथियों के साथ किया था रेप
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का प्रभाव इतना था कि लखनऊ पुलिस 1 साल तक पीड़िता की तहरीर दबाए रही। वह हर रोज गौतमपल्ली थाने का चक्कर काटती और पुलिस उसे जांच के बहाने टरका देती। आखिरकार पीड़िता कोर्ट गई। तब 18 फरवरी 2017 को गौतमपल्ली थाने में गायत्री समेत उनके 6 सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
ये है पूरा मामला
चित्रकूट निवासी महिला सभासद ने तहरीर में बताया था कि 3 साल पहले गायत्री ने 6 सहयोगियों के साथ मिलकर बेटी का रेप किया। पूरी घटना को मंत्री आवास पर अंजाम दिया गया। 7 अक्टूबर 2016 को उसने गौतमपल्ली थाने में तहरीर दी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह डीजीपी से भी मिली, लेकिन सरकार के दबाव में मुकदमा नहीं दर्ज किया गया। इस पर उसने कोर्ट की शरण ली।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को गायत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर 8 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर गौतमपल्ली पुलिस ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रूपेश व आशीष शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376 डी, 511, 504, 506 व पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी।
खनन का ठेका देने के बहाने बुलाया था
महिला सभासद का आरोप था कि पहली तहरीर देने से 3 साल पहले चित्रकूट में गायत्री से उसकी मुलाकात हुई थी। उनके समर्थकों ने खनन के ठेके लिए मंत्री से बात कराई। मंत्री ने ठेका देने के साथ सपा में महत्वपूर्ण पद दिलाने का आश्वासन देकर लखनऊ स्थित आवास पर बुलाया। यहां 6 अन्य आरोपियों के साथ मिलकर गायत्री ने रेप किया और इसकी वीडियो बना ली। इसके बाद ब्लैकमेल करके वह लगातार मंत्री और विधायक निवास पर बुलाकर उससे रेप करते रहे। आरोपियों ने उसकी नाबालिग बेटी का भी यौन शोषण किया।
कब क्या हुआ
- 2013 में पीड़ित महिला की मुलाकात चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती में गायत्री प्रसाद प्रजापति से हुई।
- 2014 से 2016 तक पीड़िता ने आरोपियों पर अपने और नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
- 7 अक्टूबर 2016 को पीड़िता ने गौतमपल्ली थाने में तहरीर दी जिस पर रिपोर्ट दर्ज नही हुई।
- 17 अक्तूबर 2016 को पीड़िता द्वारा सभी आरोपियों के विरुद्ध सामूहिक दुष्कर्म की लिखित शिकायत पुलिस महानिदेशक से की गई ।
- 16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की विशेष अनुमति याचिका पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
- 18 फरवरी 2017 को कोर्ट के हस्तक्षेप पर गायत्री सहित 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
- 18 जुलाई 2017 को गायत्री प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट समेत सभी धाराओं में आरोप तय किया गया। साथ ही आरोपी अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश के विरुद्ध कई धाराओं में आरोप तय किया गया।
- 10 नवंबर 2021 को अदालत ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी व आशीष कुमार को दोषी करार दिया। जबकि अमरेंद्र, विकास वर्मा चंद्रपाल व रुपेशवर को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।