मस्ती की पाठशाला में दे रहे अक्षर ज्ञान; भारत स्काउट एंड गाइड प्रशिक्षण केंद्र ने शुरू की नई पहल

कोरोना के दौरान सरकारी स्कूलों के बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया। इसकी बड़ी वजह सामने आई कि बच्चों काे पढ़ना अच्छा नहीं लगता। ऐसे बच्चों के मन में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाने और उन्हें स्कूल में फिर से एडमिशन दिलाने के लिए भारत स्काउट गाइड ने बीड़ा उठाया है। उन्होंने गांधीनगर के भारत स्काउट एंड गाइड केंद्र में अक्षर ज्ञान विद्यापीठ शुरू की है। जिसमें चिंहित बच्चों को खेल -खेल में अक्षर ज्ञान दिया जा रहा।

करीब 60 बच्चे आ रहे हैं इस विद्यापीठ में

अक्षर ज्ञान विद्यापीठ में बच्चों को पढ़ाने का निर्णय बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य राजीव जैन का हैं। वे यहां बच्चों को अक्षरों का ज्ञान कराते हैं। खेल -खेल में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाने बच्चों को किंडर गार्डन स्टाइल में गेम खिलाते हैं। जैन ने बताया कि जब वे बाल कल्याण समिति के सदस्य थे, तब से मन में था कि बस्ती के वंचित वर्ग और पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए काम करना है। अब इस स्कूल में तकरीबन 60 बच्चे आ रहे हैं।

स्कूल में मन नहीं लगता इसलिए भाग जाते हैं

राजीव जैन ने बताया कि कोराेना संक्रमण के कारण कई बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। कई बच्चों ने बताया कि उन्हें स्कूल जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता।

बाेर्ड पर कराते हैं प्रैक्टिस, ताकि काॅन्फिडेंस बढ़ सके

बच्चों के मन में रुचि जगाने कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। उनको कापी – किताब की जगह सीधे ब्लैक बोर्ड पर ही अक्षर ज्ञान देते हैं। ताकि उनमें आत्मविश्वास पैदा हो सके।

सराहनीय पहल- इस प्रोजेक्ट का विस्तार करेंगे

अक्षर ज्ञान विद्यापीठ की सफलता को देखते हुए स्काउट एंड गाइड के राज्य मुख्य आयुक्त पारस जैन और संस्था के कोषाध्यक्ष रमेश शर्मा ने इसे पूरे प्रदेश में लागू का निर्णय लिया है। पारस जैन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे हर जिले के ब्लाक लेवल तक शुरू किया जाएगा, ताकि वहां के बच्चों को भी प्रोत्साहन मिल सके और वह वापस पढ़ाई से जुड़ सके।

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