पूर्वांचल को साधने में जुटे सभी राजनीतिक दल:यहां जीतने का मतलब है यूपी की सत्ता पर कब्जा, 6 मंडलों में हैं 165 सीटें

यूपी में विधानसभा चुनाव पास आते ही राजनीतिक दल अपनी ताकत बढ़ाने में जुट गए हैं। पिछले तीन चुनाव (2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा) में राजनीतिक दलों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में वेस्ट यूपी रहा है, लेकिन इस बार स्थिति बदलती दिख रही है। सभी बड़े राजनीतिक दल पूर्वांचल में अपनी ताकत झोंकने में लगे हैं। पार्टी के शीर्ष नेता खुद इसकी कमान संभाल रहे हैं।

दरअसल, 2007 से 2019 तक जिसने पूर्वांचल में ज्यादा सीटें जीतीं, उसी दल ने सत्ता पर कब्जा किया। बसपा और सपा ने भी 40 से 45 प्रतिशत तक सीटें पूर्वांचल से ही जीत कर सत्ता हासिल की थी।

2017 में भाजपा जीती थी 115 सीटें

पूर्वांचल के 6 मंडलों में प्रयागराज से लेकर देवीपाटन तक विधानसभा कुल 165 सीटें हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां की 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद उसने यूपी में बहुमत की सरकार बनाई थी। यही स्थिति 2007 के चुनाव में रही। तब बसपा ने यहां से 97 सीटें जीत कर सत्ता हासिल की थी। हालांकि, 2017 में उसे सिर्फ 14 और सपा को 17 सीटें ही मिल पाई थीं। भाजपा को 2017 में यहां से 115 सीटें मिली थीं। जिसके दम पर वह सत्ता पर काबिज हुई थी।

यहीं से आते हैं PM और CM

भाजपा के लिए पूर्वांचल सबसे महत्वपूर्ण है। यहां की वाराणसी सीट से PM नरेंद्र मोदी सांसद हैं। इसके अलावा CM योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर से आते हैं। उनकी सबसे ज्यादा ताकत पूर्वांचल में ही है। ऐसे में भाजपा के लिए यह इलाका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। यही वजह है कि खुद PM और गृहमंत्री अमित शाह ने यहां की कमान संभाल रखी है। PM 16 नवंबर को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे। अमित शाह ने 13 नवंबर को आजमगढ़ और बस्ती में अलग-अलग पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जीत का मंत्र दिया।

इन जिलों पर है सभी की नजर
वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिजार्पुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर पर सभी दलों की नजर है।

छोटे दलों से गठबंधन करने में जुटे अखिलेश

पूर्वांचल पर फिर कब्जा जमाने के लिए अखिलेश यादव छोटे दलों के साथ गठबंधन करने में जुटे हैं। अभी तक वह संजय सिंह चौहान, ओम प्रकाश राजभर, कृष्णा पटेल समेत कई लोगों से हाथ मिला चुके हैं। उनकी सबसे बड़ी सफलता ओम प्रकाश राजभर का साथ आना है। उन्होंने राजभर के साथ एक मंच पर रैली भी की है। इसके अलावा अखिलेश बसपा के मजबूत किले आंबेडकर नगर को भी ढहाने की कोशिश में हैं। यहां से उन्होंने दो मजबूत नेता लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को सपा में शामिल कराकर बड़ा संदेश दिया है।

प्रियंका भी पूर्वांचल पर दे रहीं जोर

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पूर्वांचल पर जोर दे रही हैं। अभी तक प्रियंका दो बड़े शहर वाराणसी और गोरखपुर में रैली कर चुकी हैं। कांग्रेस यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। गोरखपुर में प्रतिज्ञा रैली के दौरान प्रियंका गांधी ने क्षेत्र की जरूरत और जातिवादी गणित का आकलन करके लोगों को साधने की कोशिश की थी। रैली में अपनी घोषणाओं से निषाद समाज और उत्पीड़न का जिक्र करके उन्होंने अनुसूचित जाति और ब्राह्मण समाज को अपने पक्ष में करने की भी कोशिश की।

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