इंटरनेट मीडिया पर एक फारवर्ड बना सकता है आपको मुजरिम

च्चों के अश्लील वीडियाे देखने,फारवर्ड करने या ऐसे वीडियो प्रसारित करने वाले ग्रुपों में जुड़ा रहना अपराध की श्रेणी!

 इंटरनेट मीडिया पर बाल यौन शोषण के मामले में आपका एक फारवर्ड आपको मुजरिम बना सकता है। बाल यौन शोषण को लेकर हाल ही में सीबीआइ ने देशभर में छापेमारी की। बाल यौन शोषण के मामले में इंटरनेट मीडिया व्हाटसएप,इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म को जरिया बनाया जाता है, ग्रुप्स में लोगों को जोड़ लिया जाता है,ऐसे में चाइल्ड पोर्न से जुड़े वीडियो पोस्ट-लिंक शेयर किए जाते हैं जिन्हें आप देखें या न देखें या अनजाने में क्लिक या फारवर्ड कर दें, तो आप आइटी एक्ट के तहत आरोपित बन सकते हैं। जांच एजेंसी आनलाइन इसको लेकर निगरानी भी करती हैं जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है। सीबीआइ ने जो छापेमारी की है यह इसी आधार पर पड़ताल के बाद की है। इसमें ग्वालियर के पिछोर क्षेत्र के एक युवक को भी कटघरे में लिया गया है और मोबाइल सिम कार्ड टीम अपने साथ जब्त कर ले गई। प्राथमिक पड़ताल में राहुल भी चार से पांच व्हाटसएप ग्रुप में जुड़ा था। वहीं ग्वालियर चंबल अंचल 2020 में ऐसे 129 लोगों पर केस दर्ज किया गया जो मोबाइल या कंप्यूटर पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देख रहे थे।

आपका एक क्लिक,साइबर सेल पर पहुंचता है आइपी एड्रेस और मोबाइल नंबर,करें पहचान

-केंद्रीय गृह मंत्रालय की ट्रिपलाइन विंग के जरिए मानीटरिंग की जाती है, आप बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देखेंगे, फारवर्ड करेंगे या लिंक पर क्लिक करेंगे तो सर्वर उसे ट्रैक कर लेता है। मोबाइल फोन पर किसी भी माध्यम से बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री से जुड़े लिंक आते हैं या कोई व्यक्ति किसी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म में आपत्तिजनक सामग्री को सर्च करता है या फिर अनजाने में भी उस लिंक पर क्लिक करता है तो उसकी जानकारी साइबर सेल के पास पहुंच जाती है। साइबर पुलिस आइपी एड्रेस और मोबाइल नंबर के जरिये उस तक पहुंच जाती है।

-अगर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री से संबंधित वीडियो की लिंक किसी के पास आती है तो उसे उसके यूआरएल (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) से पहचान सकते हैं। लिंक खोलने से पहले उस यूआरएल को गूगल सर्च कर पता लगा सकते हैं कि लिंक में बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री से संबंधित सामग्री तो नहीं है। इस तरह सतर्कता बरत कर साइबर अपराध से बचा जा सकता है।

केंद्रीय गृहमंत्रालय राज्यों को भेजता है जानकारी

भारत सरकार ने दो साल पहले अश्लील सामग्री उपलब्ध कराने वाली 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म संचालित करने वाली कंपनियों से ऐसे उपयोगकर्ताओं की जानकारी साझा करने के निर्देश दिए थे जो मोबाइल, कंप्यूटर या अन्य डिजिटल प्लेटफार्म पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करते हैं। इसके अलावा उनके पास आने वाली आपत्तिजनक वेबसाइट की लिंक को खोलने वालों की जानकारी भी मांगी थी। फेसबुक और वाट्सएप ने गृह मंत्रालय को ऐसे उपयोगकर्ताओं की जानकारी देना शुरू कर दी है। गृह मंत्रालय ने यह जानकारी उपयोगकर्ताओं से संबंधित राज्यों की साइबर सेल से साझा की है।

पांच साल की सजा का प्रविधान

यदि आपके मोबाइल फोन, लैपटॉप या कम्प्यूटर में बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट,वीडियो से जुड़े कंटेंट मिलते हैं तो 5 साल तक की सजा हो सकती है. आईटी एक्ट की धारा 67-बी में यह प्रविधान वर्ष 2000 से है। गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम डाट जीओवी डाट इन पोर्टल के बाद से यह और प्रभावी हुआ है। पोर्टल के जरिए सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप या गैंगरेप से जुड़े कंटेंट शेयर करने वालों के खिलाफ शिकायतें की जा सकती हैं।

बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट देखने वाले 129 लोगों पर केस दर्ज किया जा चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मानीटरिंग की जाती है और राज्य के साइबर सेलों को जानकारी भेजी जाती है। अनजान कंटेंट पर क्लिक न करें न देखें और सावधानी से उसे पहचान लें। इंटरनेट मीडिया के ग्रुप्स पर भी जुडने को लेकर सावधानी बरतें। सुधीर अग्रवाल, एसपी, साइबर सेल

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