विज्ञान के आड़े कानून:करियर संवारने को एग फ्रीजिंग बना ऑप्शन, लेकिन भारत में मां बनने को मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी
करियर को पहली प्रायोरिटी पर रखने वाली इंडिपेंडेंट महिला आज अपनी फैमिली को आगे बढ़ाने के लिए किसी का इंतजार नहीं करती। यहां तक कि बायोलॉजिकल-क्लॉक को भी अपने करियर प्लान के हिसाब से बदलने में विश्वास रखती है। यही कारण है कि देश और दुनियाभर में महिलाओं ने बीते दो-तीन सालों में सबसे ज्यादा एग फ्रीजिंग कराई है। अमेरिका और यूरोप जैसे वेस्टर्न देश ही नहीं बल्कि इंडिया में भी महिलाओं ने महामारी के समय सबसे ज्यादा एग फ्रीजिंग को अपनाया है।
दैनिक भास्कर की वुमन टीम ने एग फ्रीजिंग के ट्रेंड पर उन महिलाओं से बात की जो इसे अपना रही हैं। साथ ही फर्टिलिटी कंसल्टेंट और गायनोकोलॉजिस्ट से बात कर जाना कि आखिर कितनी सेफ है एग फ्रीजिंग, किस एज में एग फ्रीज कराने से मिलता है फायदा।
एग फ्रीजिंग: रिस्क नहीं, प्लानिंग सही
यह एक कॉमन मेथड है जिसमें महिला के गर्भाशय से हेल्दी एग्स को निकालकर मेडिकल सुपरविजन में स्टोर करके रखा जाता है। बाद में जब भी महिला प्रेग्नेंट होना चाहती है तो उन एग्स को फर्टिलाइज करके भ्रूण बनाकर महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसमें किसी तरह का कोई गंभीर खतरा नहीं है और यह बेहद आसान तरीका भी है।
आईवीएफ – टेस्ट ट्यूब बेबी से होता है बच्चा, ये है प्रोसेस
जो महिलाएं एग फ्रीज कराना चाहती हैं उन्हें शुरुआत में करीब 6 से 7 दिन तक इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद उनके हेल्दी एग को लैब में सेफ रखा जाता है। जब महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान करती हैं तब उनके एग को लैब में ही फर्टिलाइज कराकर उसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। अगर महिला हेल्दी होती है तो बच्चों को अपने गर्भ में रखती है। ऐसा न कर ना चाहें तो सरोगेसी या टेस्ट ट्यूब बेबी का सहारा लेती हैं। उनकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सिजेरियन ये महिला की हेल्थ पर ही डिपेंड करता है।
भारत में एग फ्रीजिंग के बाद प्रेग्नेंसी के लिए शादीशुदा होना जरूरी
फ्रांस, ऑस्ट्रिया और सिंगापुर ऐसे देश हैं जहां सिर्फ उन महिलाओं को एग फ्रीज कराने की इजाजत है जिन्हें मेडिकल प्रॉब्लम है। हालांकि इंडिया में एग फ्रीजिंग को लेकर कोई ठोस कानून नहीं बना है। फिलहाल, द असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2014 के मुताबिक क्रायोप्रिजर्वेशन में ‘भ्रूण’ और ‘जयगोटे’ को फ्रीज करने के बारे में लिखा है। इस बिल के सेक्शन 52 में एग और स्पर्म को स्टोर करने की बात कही है।
वेस्टर्न देशों में एग को फर्टिलाइज करने के लिए पार्टनर ढूंढने की परेशानी नहीं होती। वहीं इंडिया में पार्टनर को महिला का पति ही माना गया है क्योंकि अभी तक इसको लेकर कानूनी तौर पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। जितने भी फर्टिलिटी सेंटर हैं वहां एग फ्रीजिंग के बाद उसके फर्टिलाइजेशन के समय महिलाओं को इस बात का ख्याल रखना होता है।
1.5 लाख तक आता है खर्च, कम कंपनियां देती हैं मेडिकल कवर
एग्स के स्टोरेज के लिए हर साल लगने वाले खर्च के साथ ही शुरुआती प्रोसेस में 1 से 1.5 लाख तक का खर्च आ जाता है। भारत में कई एमएनसी कंपनियां इसे मेडिकल कवर में भी शामिल कर रही हैं। असेंचर कंपनी में महिलाओं के मेडिकल कवर में सरोगेसी और फर्टिलिटी की दिक्कत शामिल की गई हैं। वीवर्क अमेरिकन कंपनी ने एक लाख तक का ट्रीटमेंट कवर किया है। इसी तरह देशभर की करीब 11 फीसद कंपनियां एग फ्रीजिंग को मेडिकल कवर में शामिल कर रही हैं।
30 से पहले एग फ्रीज कराना सबसे ज्यादा फायदेमंद
डॉ पल्लवी बताती हैं कि महिलाएं अगर करियर के लिए भी अपने एग को फ्रीज करा रही हैं तो उन्हें इसके बारे में 35 से पहले ही सोच लेना चाहिए, क्योंकि 30 से बाद से ही हेल्दी एग कम होने लगते हैं, ऐसे में उन्हें फर्टिलाइज कराना मुश्किल होता है।
वे बताती हैं कि अगर 30 की उम्र से पहले महिलाएं एग फ्रीज कराती हैं तो डॉक्टर को कम से कम 20 से 25 हेल्दी एग मिल जाते हैं। जिससे प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं।
उम्र से जुड़ा है सक्सेस रेट
ऐसा माना गया है कि 30 से पहले महिलाओं के एग सबसे ज्यादा अच्छे रहते हैं। इसलिए अगर वे 30 की होने से पहले एग फ्रीजिंग कराती हैं तो प्रेग्नेंसी की सक्सेस रेट भी 75-77% पहुंच जाती है। 30 से 35 की उम्र में एग फ्रीजिंग कराने पर 50% तक सफलता देखी गई है। हालांकि ये फॉर्मूला हर महिला पर फिट नहीं होता। ये प्रोसेस तभी सफल है जब ज्यादा से ज्यादा हेल्दी एग महिला के अंदर से निकाले जा सके और वे फ्रीज होने के बाद लंबे समय तक जिंदा रहे। अगर महिला पहले ही किसी गंभीर बीमारी से गुजर रही है तो कई बार उनके एग पहले से ही काफी कमजोर होते हैं। इस केस में सक्सेस रेट 10 से 5% ही रह जाती है।
स्टार्टअप बिजनेस शुरू करने के लिए करा रहीं एग फ्रीज
दिल्ली में रहने वाली 32 साल की पारुल सिंह बतौर कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट एक एमएनसी कंपनी में काम करती हैं। करियर हमेशा से इनकी पहली च्वाइस रहा है, इसलिए पारुल अब कुछ साल में अपना स्टार्टअप बिजनेस शुरू करने जा रही है। जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
उन्हें ये तो पता है कि वे कितने सालों में अपना बिजनेस सेटअप कर लेंगी, लेकिन ये नहीं जानती की क्या तब तक वे अपनी फैमिली शुरू करने की स्थिति में होगी भी या नहीं। शादी और बच्चे उनकी आज की प्रायोरिटी तो नहीं है लेकिन पारुल ने बच्चे की प्लानिंग के लिए आज से ही तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने अपने एग फ्रीज कराने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट किया है और बहुत जल्द वे इसकी प्रोसेस शुरू कर देंगी।
कोरोना काल में परिवार बढ़ाने की चिंता
अन्नया (नाम बदला गया है) दिल्ली की रहने वाली बैंकर हैं। उनका अभी शादी करने या बच्चा पैदा करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान इस साल अप्रैल में उन्होंने अपने दो करीबी रिश्तेदारों को खो दिया। इस घटना ने 37 साल की अन्नया को अपनी बढ़ती उम्र को लेकर चिंता में डाल दिया, क्योंकि उनके आसपास अब उनका कोई करीबी रिश्तेदार जीवित नहीं बचा है।
इस डर के चलते अन्नया ने अपने एग फ्रीज करने का फैसला किया, ताकि आने वाले समय में जरूरत महसूस हो तो वह मां बन सकें। उन्हें नहीं पता कि इन एग्स का वो कब इस्तेमाल करेंगी लेकिन वह भविष्य में अपने संभावित बच्चे को लेकर आश्वस्त हैं।
ये मेडिकल प्रॉब्लम हैं तो एग फ्रीज है बेहतर ऑप्शन
एग फ्रीजिंग से मेडिकल हेल्प पर बात करते हुए क्लाउड नाइन हॉस्पिटल हरियाणा की फर्टिलिटी कंसल्टेंट और गायनोकोलॉजिस्ट डॉ पल्लवी पसरिचा बताती हैं कि चार केस में महिलाएं एग फ्रीज कराती हैं।
1 – कैंसर पेशेंट – जिन महिलाओं को किसी भी ऑर्गन में कैंसर हुआ है और वे कीमोथेरेपी करा रही हैं, तो उनकी ओवरी निकालनी पड़ती है। कैंसर के इलाज में महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर काफी असर पड़ता है। इसलिए डॉक्टर ऐसी महिलाओं को एग फ्रीज करने की सलाह देते हैं ताकि भविष्य में उन्हें मां बनने का मौका मिल सके।
2 – एंडोमेट्रियोसिस – जिन महिलाओं के गर्भाशय में दिक्कत आने लगती है। यूट्रस और ओवरी में लेयरिंग हो जाती है। ओवरी में एग नहीं बनते, उनके लिए भी अपने बचे हुए हेल्दी एग को सेफ करने का सबसे सही तरीका एग फ्रीजिंग माना गया है।
3 – पीसीओडी और जल्दी मेनोपॉज – खराब लाइफ स्टाइल और एनवायरनमेंट की वजह से आजकल महिलाओं को जल्दी मेनोपॉज होने लगा है। 35 की उम्र में महिलाओं में एग फॉर्मेशन में दिक्कत आने लगी है। इनके अलावा पीसीओडी की दिक्कत झेल रही महिलाओं के लिए भी ये एक विकल्प बना है।
4 – पुरुष में स्पर्म काउंट कम – जो कपल्स आईयूआई और आईवीएफ का तरीका अपना रहे हैं लेकिन स्पर्म काउंट कम होने के कारण उन्हें ज्यादा समय लग रहा है। ऐसे केस में महिलाएं अपने हेल्दी एग को सेफ रखने के लिए एग फ्रीजिंग तकनीक अपना रही हैं। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है उनमें हेल्दी एग की संख्या घटती जाती है।
अमेरिका के बाद भारत में बढ़ा एग फ्रीजिंग का ट्रेंड
कोरोना क्राइसिस के दौरान एग्स फ्रीजिंग और इससे जुड़ी सूचना पाने का ट्रेंड बढ़ गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन फर्टिलिटी क्लीनिक्स में एग्स फ्रीजिंग की दर करीब 25 फीसदी बढ़ गई है ताकि करियर ओरिएंटेड महिलाओं के बच्चे पैदा करने के विकल्प खुले रहें। ये ट्रेंड सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन में भी देखा गया।
टाइम मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में कोरोना संकट के दौरान एग फ्रीजिंग बढ़ी है। हालांकि अमेरिका में इसे लेकर कोई संस्थान डेटा नहीं जुटा रहा है लेकिन डेनवर, अटलांटा और सिएटल सहित प्रमुख अमेरिकी शहरों में 54 क्लीनिकों ने बताया कि एग्स फ्रीज करने वाली महिलाओं की संख्या में साल-दर-साल वृद्धि हुई है। अमेरिका में स्थित शैडी ग्रोव फर्टीलिटी पूरे देश में 36 क्लीनिक संचालित करता है जहां 2019 के बाद से महिलाओं के एग्स फ्रीजिंग में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। एनवाईयू लैंगोन के डॉक्टरों ने अपने यहां एग्स फ्रीजिंग में साल-दर-साल 41% की वृद्धि देखी और सिएटल रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ने 2019 के 242 की तुलना में 2020 में 289 एग-फ्रीज किए। यह लगभग 20% की छलांग है।
ब्रिटेन में एग्स फ्रीजिंग कोरोना काल में बढ़ी
ब्रिटेन के कुछ फर्टिलिटी क्लीनिकों में एग फ्रीजिंग के बारे में महिलाओं की पूछताछ में पिछले साल के मुकाबले इस साल 50% तक की वृद्धि हुई है। इसे कोरोना वायरस महामारी के लंबे प्रभाव की वजह से देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते 35 वर्ष की आयु ने महिलाओं को अपनी अपनी प्रजनन क्षमता को लेकर चिंता में डाल दिया है। हालांकि ब्रिटेन में महामारी से पहले से ही एग फ्रीजिंग का ट्रेंड बढ़ रहा था, लेकिन कोरोना वायरस ने इस रफ्तार को बढ़ा दी है। ब्रिटेन में 2018 में, 1933 एग्स फ्रीज किए गए थे जो 2013 में 569 थे। यानी 2018 में एग फ्रीजिंग में 240% की वृद्धि दर्ज की गई।