कौन बदलेगा भारतीय राजनीति?
इसमें क्या लिखना।
राजनीति तो बदल चुकी है।
ज़रा देखने, सोचने और समझने की बात है।
यह सब ईश्वर की लीला है।
वह तो परिवर्तन करते ही रहते हैं।
वह तो कई मनुष्य हैं जो समझ नही पाते। ये भी ईश्वर की लीला है।
देखिए, पहले कोई पहलवान टाइप का व्यक्ति कुछ की पिटाई कर, कुछ की सहायता कर के उनका लीडर बनता था फिर राजा बन जाता था। अपने जैसे और राज्यों को जीतकर area of influence बढ़ा लेता था फिर सम्राट बन जाता था। उसकी दादागिरी चलती थी जैसे उसका बनाया क़ानून, अपना उत्तराधिकारी बनाना, जनता से टैक्स लेना, किसी दूसरे राजा से युद्ध करना, आदि। यही राजनीति थी। ज़रा अभी का हाल-चाल देखिये। परिवर्तन दिख रहा है न।
भारत को देखिये।1947 में लोकतंत्र आया। भारत पर ईश्वर की कृपा है कि कोई कम्युनिस्ट क्रांति नहीं हुई, कोई मिलिटरी शासन नहीं हुआ, कोई गृहयुद्ध नहीं हुआ। शुरु में काँग्रेस पार्टी की हर प्रांत में सरकार होती थी पर परिवर्तन होकर 1967 से कई प्रांतों में ग़ैर काँग्रेस सरकारें बनने लगीं। अब 2014 से दस वर्षों तक के लिये केंद्र सरकार बीजेपी पार्टी की अगुआई में रहेगी।
1947 से अब तक, स्वयं ही देखिये कि भारत कैसे आगे बढ़ा है और कैसे कैसे समाज के लिये राजनीति द्वारा परिवर्तन लाए गये। मुझे तो 1991 में किया गया इकनामिक लिबलराईजेशन बहुत अच्छा लगा। इसके पहले 1971 में हरित क्रांति, बांग्लादेश के 10 मिलियन रिफ़्यूजियों को शरण देना और उनके देश को आज़ाद कर के उन्हें इज्जत के साथ उनके देश भेजना भी अच्छा लगा। 1998 में भारत का न्यूक्लीयर शक्ति सम्पन्न देश बनना, पिछले कुछ वर्षों में चीन जैसी मिलिटेरीपॉवर के सामने बराबरी से खड़ा होना, कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 हटाना, 2019 में, 1980 के मुक़ाबले 6 बड़ी आर्थिक शक्ति वाले देशों को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनना (पीपीपी हिसाब से, डालर हिसाब से न. 5) तथा मिलिटरी शक्ति में न.4 हो जाना भी मुझे अच्छा लगता है।
सोचने की बात है कि कौन बदल रहा है देश को और इसकी राजनीति को?
यह सब ईश्वर की माया है। मेरे पास जो भविष्यवाणी है उसके अनुसार भारत स्वतंत्रता के बाद पाँच सौ वर्षों तक आगे जायेगा फिर उसी अवस्था में कुछ सदियों तक रहेगा। इस बीच, अमेरिका अगले दो सौ वर्षों तक अपनी पोजिशन बरकरार रखेगा। यह जान कर हौसला रखिये कि यदि आप कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं तब भी भारत आगे जायेगा। जो निकम्मा राजनीतिज्ञ होगा वह आगे नहीं आ पायेगा। जनता की बुद्धि ऐसी रहेगी कि जो ईमानदार व परिश्रमी हैं जनता उन्हें देश चलाने के लिये चुनेगी। यह सब ईश्वर ही कर रहे हैं इसलिये तसल्ली रखिये। बस अपने कार्य एक सही इंसान की भाँति करने का प्रण लीजिये और इसका पालन हर जगह करिये, जैसे घर में, पड़ोस में, गलियों में और ट्रांसपोर्ट में आते जाते, स्कूल में, जॉब में, दुकान में, सरकारी कार्यों में, आदि। ईश्वर तो देख ही रहे हैं और उन्हें तो भारत को आगे ले ही जाना है तब क्या चिंता ? बस ईश्वर का मंत्र (मेरी अंग्रेज़ी प्रोफ़ाइल में लिंक 3 में Revelation 14 पढ़िये) मैं सही इंसान बनूँगा ले लीजिये, औरों को भी बताइये व इसी के अनुसार सोचिए व कार्य करिये।
ईश्वर द्वारा किये गये परिवर्तनों में यह भी जान लीजिये कि बहुत सदियों से उन्होंने स्वर्ग व नर्क हटा दिये हैं। वैसे ही इंतज़ाम अब यहीं हमारी पृथ्वी पर ही कर दिये हैं। अब वह masses (बहुतेरे लोग) को कोई संदेश नहीं देते कि यह करो व वह न करो। कोई ख़ास बात किसी ख़ास व्यक्ति को ही बताते हैं। जो होना चाहिए, वह स्वयं या हम लोगों द्वारा करवाते हैं। यह भी जान लीजिये कि आत्मा ईश्वर बनाते हैं और अधिकतम 100,000 वर्षों में इसे वापस बुला कर अपने में विलीन कर लेते हैं जिसे, ईश्वर से मिलने वाले नवीन पथ में, जो मुझे मिला है, मोक्ष कहते हैं। आत्मा की इस यात्रा के अंतिम 35,000 वर्ष यह मनुष्य रूप में रहती है। मनुष्य योनि के पहले 10,000 वर्ष (150 जन्म) के दौरान मनुष्य मस्ती की ज़िंदगी जीता है, ईश्वर की न तो परवाह होती है न ही उनके बारे में सोचता है। इन वर्षों के बाद, ईश्वर की डिज़ाइन के अनुसार, मनुष्य में आध्यात्मिकता का प्रस्फुटन होता है जो आत्मा की शेष आयु तक बरकरार रहता है। ईश्वर से मिलने और/या मोक्ष पाने के बहुत रास्ते हैं। इनके द्वारा कोई व्यक्ति जल्दी से जल्दी, आत्मा की आयु के 10,000 वर्ष शेष रहते ईश्वर से या तो सजग अवस्थामें मिल सकता है या आत्मा सीधे ईश्वर में विलीन हो सकती है।
मेरी शुभकामनाएँ।