संविधान दिवस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना बोले- जजों पर शारीरिक ही नहीं सोशल मीडिया के जरिए भी हो रहे हमले

Constitution Day: चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि जजों पर फिजिकली और सोशल मीडिया दोनों जगह अटैक हो रहे हैं. उनकी सुरक्षा बढ़ानी होगी. न्यापलाकिया का भारतीयकरण करना होगा.

विज्ञान भवन में शुक्रवार को संविधान दिवस (Constitution Day) के मौके पर चीफ जस्टिस एन वी रमना (N V Ramana) ने कहा, ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर के कहा था कि संविधान कितना भी बुरा हो लेकिन वह अच्‍छे हाथ में हो तो अच्छा होगा. न्यापालिका लोगों की आखिरी उम्मीद है. लेकिन लोकतंत्र के तीनों अंगों को न्याय दिलाने के लिए एक साथ काम करना होगा. उन्‍होंने कहा कि जब विधायिका और कार्यपालिका भटक जाती है तो न्यायपालिका का काम बढ़ जाता है.

चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि जजों पर फिजिकली और सोशल मीडिया दोनों जगह अटैक हो रहे हैं. उनकी सुरक्षा बढ़ानी होगी. न्यापलाकिया का भारतीयकरण करना होगा. आज आम लोग कोर्ट जाने से डरते हैं. मुकदमा लड़ना महंगा होता जा रहा है. साथ ही कोर्ट में लोकल भाषा में काम होना चाहिए.

‘अभी भी लोग संविधान नहीं जानते’

एनवी रमना ने कहा कि कांस्टीट्यूशन के बारे में गलत धारणा होती है, क्‍योंकि
लोगों को संविधान के बारे में मालूम नहीं है. पढ़े-लिखे लोगों को भी नहीं मालूम है. इसलिए जागरण बढ़ाना होगा. इसलिए कल एक कोर्स भी लॉन्च किया गया है. 1950 और अब के न्यायपालिका में तुलना करना सही नहीं है. अब की न्यायपालिका बिल्कुल अलग है. लोगों की उम्मीद है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे यहां जिस तरह से पीआईएल होता है, सिर्फ एक पत्र लिखने पर ऐसा कहीं नहीं होता है. लेकिन फर्जी याचिका पर लगाम लगाना होगा. लंबित मामले एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए मूलभूत ढांचा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होगा. रिक्त पदों को भरना होगा और नए पद लाने होंगे. मॉडर्न पुलिस थाने और अदालत बनाना होगा. इस पर काम हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इसमें मदद करने की अपील है.

एन वी रमना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आज 4 महिला जज हैं. जिनकी संख्‍या और ज्‍यादा होनी चाहिए. बाकी रिक्त पदों को भरना होगा और प्रधानमंत्री इसमें मदद करें. इसके साथ ही उन्‍होंने कहां कि देश के लॉ मिनिस्टर बहुत कॉपरेट कर रहे हैं.

वहीं, संविधान दिवस पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भारी काम के बोझ से मुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के बीच देश के चार क्षेत्रों में अपील की अदालतें स्थापित करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि अपील की अदालतें एचसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी और यह फैसला अंतिम होगा.

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