UPTET Paper Leak …… क्या है पेपर लीक होने का रूट, कहां किस दरवाजे से होती है सेंधमारी, यहां जानिए
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिरकार सॉल्वर गैंग ऐसा करने में सफल कैसे हुए. कहां चूक हुई. कहां से पेपर लीक हुए. agritpatrika.com ने UP TET पेपर लीक कांड में इन्वेस्टिगेशन करने की ठानी.
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपीटेट का पेपर लीक (UPTET Paper Leak) होने के बाद यूपी सरकार सख्त रवैया अपना रही है. सरकार की तरफ से रासुका और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. अब दोबारा यूपीटीईटी परीक्षा दिसंबर, में हो सकती है.पेपर लीक को लेकर जानकारी सामने आ रही है कि पेपर..एग्जामिनेशन सेंटर से लीक नहीं हुआ है. तो सवाल है कि पेपर कहां से लीक हुआ. ये जानने के लिए हमने हर स्टेज पर की पड़ताल की. तो आइए जानते हैं कि क्या है पेपर लीक होने का रूट. कहां किस दरवाजे से होता है पेपर लीक.
जिस एग्जाम से 20 लाख छात्रों का भविष्य जुड़ा था. जिस एग्जाम में सफल होकर लाखों छात्र नौनिहालों का भविष्य बनाते हैं और जिस एग्जाम में सफलता ही इस बात की गारंटी होती है कि आने वाले सालों में बच्चे की पूरी शिक्षा उनके हाथों में होगी. इतनी बड़ी और प्रतिष्ठित परीक्षा में सेंधमारी हुई है. UPTET यानी Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test.एग्जाम में सॉल्वर गैंग फिर सफल रहा. पेपर लीक हो गया.
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिरकार सॉल्वर गैंग ऐसा करने में सफल कैसे हुए. कहां चूक हुई. कहां से पेपर लीक हुए…….. UP TET पेपर लीक कांड में इन्वेस्टिगेशन करने की ठानी ताकी आप पेपर रूट को समझ सके और ये भी समझ सके कि कहां कहां से पेपर सॉल्वर गैंग के हाथ में पहुंच सकती है.
यूपी टेट परीक्षा को कराने का जिम्मा बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण अनुसंधान परिषद
यानी एससीईआरटी का होता है. प्रयागराज से पूरी व्यवस्थाओं को अमली जामा पहनाया जाता है. एससीईआरटी एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए एक एजेंसी का चुनाव करती है. एससीईआरटी और एजेंसी मिलकर एक पैनल के जरिये पेपर सेट करती है और उसके बाद उस पेपर को प्रिंट कराया जाता है. प्रिंटिंग प्रेस का नाम भी सार्वजनिक नहीं किया जाता.
परीक्षा से एक दिन पहले कोषागार से सेंटर्स तक पहुंचते हैं पेपर
पेपर के प्रिंट होने के बाद उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिला कोषागार में रखवाया जाता है. एग्जाम की तारीख से एक दिन पहले कोषागार से पेपर्स को सेंटर तक पहुंचाने की बारी आती है. जिलाधिकारी की देखरेख में हर सेंटर के लिए सेंटर्स की संख्या के हिसाब से मजिस्ट्रेट बनाये जाते है और वो मजिस्ट्रेट ड्यूटी के हिसाब से सेंटर्स पर पेपर्स पहुंचाते हैं.
एग्जाम सेंटर पर तैनात स्टेटिक मजिस्ट्रेट की मौंजूदगी में पेपर का सील बदं लिफाफा खोला जाता है. पेपर छपने से लेकर सेंटर तक पहुंचने के हर स्टेज को फुल प्रूफ बनाया जाता है. यहां तक की इसकी टाइमिंग का एक प्रोटोकॉल बनाया गया है. सुबह 7.15 से लेकर 7.30 बजे तक पेपर को सेंटर तक लाया जाता है. परीक्षा केंद्र पर तैनात अधिकारी के सामने सुबह 9 बजे पेपर का लिफाफा खोला जाता है. डिपार्टमेंट की तरफ से हर स्टेप पर कड़ी निगरानी रखी जाती है.
पश्चिमी यूपी के किसी सेंटर से पेपर लीक होने की आशंका
लेकिन यूपी टेट एग्जाम पेपर लीक होने की चूक इन्हीं कड़ियों में से किसी एक के कमजोर होने का नतीजा है. यूपी एसटीएफ को आशंका है कि पश्चिमी यूपी के किसी सेंटर से पेपर लीक हुआ है. साथ ही एग्जाम कराने वाली एजेंसियों की भूमिका की जांच की जा रही है जिनके जिम्मे पेपर सेट करने, प्रिंट करने और उसे कोषागार तक भेजने का काम था. क्योंकि इन्वेस्टिगेशन में खुलासा हुआ है कि सबसे पहले पर्चा मथुरा से लीक हुआ.
परीक्षा से एक दिन पहले शाम 6.30 बजे मथुरा से पर्चे की फोटो शामली के गिरोह के हाथ लगी. 5 लाख रुपए में ये पर्चा लिया गया. इस गिरोह ने 60 छात्रों को 50-50 हजार रुपए एडवांस लेकर पर्चा दिया. इसके बाद रात 10 बजे तक आगरा-प्रयागराज में भी पर्चे की बिक्री शुरू हो गई.
पुलिस को भनके लगते ही सर्विलांस बढ़ाई गई और जैसे ही पेरर कैरियर्स के पास पेपर पहुंचा उन्हें बोच लिया गया. लेकिन पुलिस की पकड़ से अभी सरग़ना फ़रार है. पुलिस को मास्टरमांड का नाम पता तक नहीं पता है.
हालांकि टीईटी पेपर लीक कांड में जिस गिरोह ने 50-50 हजार रुपए एडवांस लेकर पर्चा दिया उनमें से एक आरोपी धर्मेंद्र के घऱ ……की टीम जरूर पहुंची. दो साल पहले तक धर्मेंद्र दिल्ली के बैंक में नौकरी करता था और अबतक असका कोई आपराधि इतिहास भी नहीं रहा है.
धर्मेन्द्र को रात में कुछ लोग बुलाकर ले गए सुबह पता चला की वो गिरफ़्तार हो गया है.लेकिन ये गिरफ्तारी नाकाफी है और पुलिस किंगपिन की पहुंच से दूर है क्योंकि सॉल्वर गैंग का मोडस ऑपरेंडाई भी खतरनाक है.
ये फिक्र इसलिए बड़ी है कि अबतक ये गैंग ना जाने कितने अयोग्य छात्रों को सफल बना चुके होंगेऔर ना जाने कितने योग्य छात्रों की हकमारी हो गई है.