मुल्जिम और पुलिस की डाइट एक …. पुलिस की डाइट 70 से 80 रुपए करने और मुल्जिम की डाइट 70 से 100 रुपए करने की सिफारिश

कानून व्यवस्था की ड्यूटी में कुछ पूड़ी और आलू की सब्जी से हमारी पुलिस आज भी पेट भर रही है। ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मी के खाने के लिए सरकार ने 70 रुपए तय किए हैं। इसमें 20 रुपए का नाश्ता और 25-25 रुपए का दो बार खाना दिया जाता है। इतनी ही रकम का खाना सरकार थाने की लॉकअप में बंद मुल्जिमों को भी देती है।

पुलिसकर्मियों को पौष्टिक आहार भत्ते की मांग करीब आठ महीने से शासन के पास लंबित है। इसी सिफारिश में पुलिस की डाइट 70 रुपए से बढ़ाकर 80 रुपए करने और मुल्जिम डाइट 70 रुपए से बढ़ाकर 100 रुपए करने की भी मांग की गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुल्जिम को पेशी के लिए अन्य जिलों में भी जाना पड़ता है।

बुधवार को प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने होमगार्ड के जवानों को भी ड्यूटी के दौरान भोजन भत्ता देने की घोषणा की है। इससे पहले इन जवानों को भोजन भत्ता नहीं दिया जाता था। पुलिस की तर्ज पर होमगार्ड के जवानों को भी 24 घंटे ड्यूटी करने पर 70 रुपए की दर से भोजन दिया जाएगा।

  • 1400 रुपए हाउस रेंट अलाउंस दिया जाता है सिपाही से लेकर हवलदारों को
  • 70 रुपए में 20 रुपए का नाश्ता और 25-25 रुपए का दो बार खाना

पौष्टिक आहार भत्ते की मांग करीब 8 महीने से शासन के पास लंबित

पीएचक्यू की प्लानिंग शाखा ने पुलिसकर्मियों को मिलने वाला पौष्टिक आहार भत्ता बढ़ाने की सिफारिश शासन से की है। इसके लिए हर पुलिसकर्मी को 650 रुपए मासिक दिए जाते हैं। पीएचक्यू ने इसे 1000 रुपए करने की मांग की है, जो आठ महीने से लंबित है।

विशेष पुलिस भत्ता 18

सिपाही से इंस्पेक्टर तक को 18 रुपए विशेष पुलिस भत्ता दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1979 में कानून व्यवस्था ड्यूटी के दौरान हुई थी, जो आज तक उतना ही है। ऐसे ही पुलिसकर्मियों को राइफल भत्ते के तौर पर 10 रुपए आज भी दिए जाते हैं। इसकी शुरुआत तब हुई थी, जब उनकी तनख्वाह 50 रुपए से भी कम थी।

साइकिल भत्ता 8 रुपए

पुलिस के सिपाही और हवलदारों के लिए वर्तमान में भी आठ रुपए की दर से साइकिल भत्ता दिए जाने का प्रावधान है। इसकी शुरुआत तब हुई थी, जब साइकिल से ही पेट्रोलिंग की जाती थी। हालांकि, ये भत्ता कोई इसलिए नहीं ले पाता क्योंकि इसके लिए बिल लगाना पड़ता है।

पुलिस को दिए जाने वाले भत्तों का आंकलन मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप ही किया जाना चाहिए। पुलिस का भोजन भत्ता बेहद कम है। 70 रुपए में नाश्ता और दो टाइम का खाना बेहद मुश्किल है। इस तरह के जरूरी भत्तों को हर साल समिति बनाकर बदलते रहना चाहिए। -आरएलएस यादव, रिटायर्ड डीजीपी

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