ग्वालियर. कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि समन व वारंट जारी होने के बाद कब रिसीव हुआ

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुरैना थानों लंबित वारंट व समन को लेकर पुलिस महानिदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुरैना थानों लंबित वारंट व समन को लेकर पुलिस महानिदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट पूछा है कि प्रत्येक समन, जमानती वारंट, गिरफ्तारी वारंट जो किसी सामान्य व्यक्ति, कर्मचारी को किस दिन जारी किए गए हैं और उन्हें काब रिसीव किया गया है, इस संबंध में संपूर्ण विवरण शपथ-पत्र के साथ दें। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि उन लोगों की जानकारी भी दी जाए, जिनके खिलाफ यह समन, जमानती और गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं क्या वे शासकीय कर्मचारी है, पुलिस कर्मी या अधिकारी है या डॉक्टर्स है। वे आरोपी हैं या गवाह हैं। मुरैना के थानों में 3 हजार 800 समन व वारंट लंबित हैं, जिन्हें पुलिस गंभीरता से नहीं ले रही है। एक स्थायी वारंट 23 साल से अधिक से समय से लंबित है।

भूरि बाई को मुरैना के जिला कोर्ट से जमानत मिल गई थी। उनके ऊपर दहेज हत्या का केस दर्ज है। जब पति ने हाई कोर्ट से पत्नी को मिली जमानत के अाधार पर जमानत मांगी तो उसे संज्ञान में ले लिया। भूरि बाई की जमानत निरस्त करने के लिए नोटिस भेजा गया था, जिससे उन्हें रिसीव नहीं कराया गया। इसके बाद कोर्ट ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया और जब जानकारी मांगी गई तो बड़ी संख्या में वारंट व समन लंबित मिले। एसपी को भी तलब किया था। एसपी कोर्ट के सवालों के जवाब नहीं दे पाए तो डीजीपी से शपथ पत्र मांगा है।

कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी

-जिला मुरैना पुलिस ने प्रत्येक समन, वारंट, जमानती और गिरफ्तारी वारंट के लिए क्या कदम उठाएं।

-पुलिस मुख्यालय ने 30 मार्च 2019 को जारी किए गए सर्कुलर के पालन के लिए क्या कदम उठाए गए। क्या इसका पालन हुआ।

-समय-समय पर पुलिस मुख्यालय द्वारा इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के पालन के लिया क्या कदम उठाए।

-इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने और उन्हें कूडे दान में फैंकने वाले अधिकारियों पर क्या कोई कार्रवाई की गई।

-पुलिस महानिदेशक को एक सप्ताह में शपथ पत्र पर यह जानकारी देना है। न्यायालय ने एसपी मुरैना को भी इस आदेश की प्रति भेजे जाने के निर्देश दिए हैं।

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