आज की पॉजिटिव खबर ….. 27 साल के इंजीनियर ने बनाई एडिबल स्पून; 27 देशों में मार्केटिंग, करोड़ों में कमाई

चावल, गेहूं, बाजरा, ज्वार और मकई के आटे से बना चम्मच। सुनने में थोड़ा अजीब लगता होगा, लेकिन यह सच है। प्लास्टिक वेस्ट से मुक्ति के लिए देश में कई जगहों पर इस तरह की पहल शुरू हुई है। गुजरात के वडोदरा के रहने वाले कृविल पटेल ने ऐसी ही एक पहल की है। वे फूड ग्रेन से चम्मच और स्ट्रॉ बना रहे हैं। देशभर में वे इसकी मार्केटिंग करते हैं। 4 साल पहले उन्होंने 4 लाख रुपए से अपना स्टार्टअप शुरू किया था। अब उनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गया है। इतना ही नहीं, इसके जरिए वे कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं।

27 साल के कृविल पटेल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पहले से ही स्टार्टअप और खुद के बिजनेस को लेकर उनकी दिलचस्पी थी। चूंकि उन्हें कार और बाइक से लगाव था तो उन्होंने इसका शो रूम शुरू करने का इरादा किया। हालांकि आर्थिक कारणों से उन्हें अपना मन बदलना पड़ा। वे गाड़ियों का शो रूम शुरू नहीं कर सके। इसके बाद वे कुछ अलग आइडिया पर काम करने की प्लानिंग करने लगे।

मां के साथ मिलकर शुरू किया स्टार्टअप

27 साल के कृविल पटेल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। अब वे एडिबल चम्मच बना रहे हैं।
27 साल के कृविल पटेल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। अब वे एडिबल चम्मच बना रहे हैं।

कृविल कहते हैं कि रास्ते में आते-जाते अक्सर मैं सड़क पर पड़े प्लास्टिक के चम्मच और स्ट्रॉ को देखता था। तब मैं सोचता था कि सरकार प्लास्टिक फ्री मुहिम को बढ़ावा दे रही है। हर जगह जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके बाद भी यह हाल है। क्या कोई ऐसा काम किया जा सकता है, जिससे इस परेशानी को कम करने के साथ-साथ खुद की कमाई भी की जा सके और दूसरे लोगों को भी काम का अवसर मिल सके।

इसके बाद कृविल ने इसको लेकर रिसर्च शुरू की। अलग-अलग जगहों से जानकारी जुटाई। फिर उन्हें पता चला कि प्लास्टिक की जगह हम फूड ग्रेन से भी चम्मच और स्ट्रॉ बना सकते हैं। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार में इसको लेकर बात की। शुरुआत में उनके पिता इस आइडिया के खिलाफ थे, लेकिन उनकी मां ने साथ दिया। अपनी मां और रिश्तेदारों से पैसे लेकर 4 लाख रुपए की लागत से उन्होंने 2017 में इस काम की शुरुआत की।

विदेशों से भी मिलने लगे आर्डर

कृविल के मुताबिक उनका चम्मच पूरी तरह एडिबल है, यानी इसे इस्तेमाल के बाद खाया भी जा सकता है।
कृविल के मुताबिक उनका चम्मच पूरी तरह एडिबल है, यानी इसे इस्तेमाल के बाद खाया भी जा सकता है।

भास्कर से हुई बातचीत में कृविल ने बताया कि वडोदरा में किराए का एक कमरा लेकर हमने अपना काम शुरू किया। इसके बाद एक छोटी सी मशीन ली, वो भी किराए पर। इसके बाद हमने अपना प्रोडक्शन शुरू किया। जहां तक मार्केटिंग की बात है, इसके लिए हमने सोशल मीडिया की मदद ली। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाकर हमने वीडियो और फोटो पोस्ट करनाा शुरू किया। इसका हमें फायदा भी मिला और जल्द ही हमें ऑर्डर मिलने लगे। शुरुआत में हम गुजरात में मार्केटिंग कर रहे थे। हालांकि, जैसे-जैसे लोगों को हमारे काम के बारे में जानकारी मिलती गई, देश के दूसरे हिस्सों से भी हमें ऑर्डर मिलने लगे।

इसके बाद हमने सप्लाई चेन पर काम करना शुरू किया। जगह-जगह रिटेलर्स से कॉन्टैक्ट किया। अलग-अलग कूरियर कंपनियों से टाइअप किया। इसके बाद सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों से भी हमें ऑर्डर मिलने लगे। हालांकि, तब हम इस ऑर्डर को पूरा करने में सक्षम नहीं थे। इसलिए मैंने 70 लाख रुपए का लोन लिया और ‘त्रिशुला इंडिया’ के नाम से बड़े पैमाने पर बिजनेस शुरू किया। अब हम अपनी कंपनी को ‘ईट मी’ नाम से ग्लोबली प्रमोट कर रहे हैं।

32 देशों में भेजते हैं प्रोडक्ट

एडिबल चम्मच बनाने की प्रोसेस भी आसान है। चंद घंटों में हजारों की संख्या में चम्मच बनकर तैयार हो जाते हैं।
एडिबल चम्मच बनाने की प्रोसेस भी आसान है। चंद घंटों में हजारों की संख्या में चम्मच बनकर तैयार हो जाते हैं।

कृविल बताते हैं कि हम अपने प्रोडक्ट्स UK, USA, जर्मनी, स्पेन, नॉर्वे, दुबई, कनाडा, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित 32 देशों में भेजते हैं। कृविल बताते हैं कि हमें चीन और पाकिस्तान से भी ऑर्डर मिलते हैं, लेकिन हमारे देश के साथ उनके अच्छे संबंध न होने के चलते हम उन्हें अपने प्रोडक्ट नहीं बेचते। जब तक दोनों देशों के बीच संबंध नहीं सुधरेंगे, हम वहां प्रोडक्ट नहीं भेजेंगे।

कृविल बताते हैं कि हमारा स्टार्टअप अमेरिका के फेमस स्टार्टअप इंवेस्टमेंट शार्क टैंक शो में शामिल हुआ। इस शो में शामिल होना आसान काम नहीं था। इसके क्वालिफिकेशन स्टैंडर्ड्स बहुत कठिन हैं, लेकिन हमारे प्रोडक्ट्स ने शार्क टैंक के 13वें सीजन में एंट्री ली और हमारा प्रेजेंटेशन सिलेक्ट हुआ। सिलेक्शन के बाद हमारी कंपनी में 5 लाख डॉलर का इंवेस्टमेंट मिला। इस फंड का उपयोग कंपनी के विस्तार में किया जाएगा।

खाने के बाद चम्मच को भी खा सकते हैं

कृविल ने आगे बताया कि हमारी चम्मचें ऐसी खाद्य पदार्थों से बनी हैं, जिन्हें आप खाने के बाद खा भी सकते हैं। अगर इन्हें न भी खाएं और कूड़ेदान में फेंक देते हैं, तो चींटियों और कीड़ों-मकोड़ों के खाने के काम आ जाती हैं। इस तरह हमारा उत्पाद पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। हमारी कंपनी में भी प्रोडक्ट का जीरो वेस्ट है, क्योंकि जो बचता है, हम उसकी गोलियां बनाकर तालाब-नदियों में मछलियों के लिए फेंक देते हैं। हमारे प्रोडक्ट बाजरा, गेहूं, चावल, ज्वार और मकई के आटे से बने होते हैं। हमारी कंपनी आने वाले दिनों में खाने योग्य कटोरी और गिलास बनाने पर भी काम कर रही है।

कृविल बताते हैं कि हमारे उत्पाद पर्यावरण और पानी की बचत करने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी है। हमने अपने प्रोडक्ट्स का लैब टेस्ट भी करवाया है। हम इसका पेटेंट भी ले चुके हैं। मैंने इसकी ट्रेनिंग भी ली थी। वर्तमान में हमारा प्लांट वडोदरा के पास लमदापुरा में है और इससे 70 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। आने वाले दिनों में हम एक और प्लांट लगाने की कोशिश में हैं।

अपने इस स्टार्टअप के जरिए कृविल ने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। इसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।
अपने इस स्टार्टअप के जरिए कृविल ने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। इसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *