विधानसभा चुनाव 2022: उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी कितनी मजबूती से पांव जमा सकेगी?

केजरीवाल ने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर नकेल कसकर प्रतिवर्ष 11,000 करोड़ रुपये बचाने की बात की है. इस रकम से महिलाओं को 3,000 करोड़ रुपए देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. केजरीवाल ने महिलाओं को यह गारंटी लिखित रूप में देने की बात कही.

अगले वर्ष की पहली तिमाही में होने वाले पांच विधानसभा चुनावों की घोषणा अब बस लगभग तीन हफ्ते दूर है और राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. चूंकि चुनाव जीतना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं होता था, अभी से मतदाताओं को लुभाने और रिझाने की होड़ से लग गयी है. और इस मामले में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल सबसे ऊपर हैं. दिल्ली में मतदाताओं को मुफ्त की बिजली-पानी देने की जैसी घोषणा की बदौलत लगातार दो बार सफलता पाने के बाद अब पार्टी दिल्ली का फार्मूला अन्य राज्यों में भी आजमा रही है.

पंजाब और गोवा के मुकाबले उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी थोड़ी कमजोर पड़ती दिख रही है. चुनावी सर्वेक्षणों में अनुसार उत्तराखंड में एक बार फिर से टक्कर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के बीच है, जिसमें पाला बीजेपी के पक्ष में झुकता दिख रहा है. पर केजरीवाल उन नेताओं में नहीं हैं जो चुनाव के पहले ही हथियार डाल दें. उनकी हिम्मत और कोशिश काबिले तारीफ हैं. कल केजरीवाल उत्तराखंड के दौरे पर थे. पिछले तीन महीनों में वह उत्तराखंड का चार बार दौरा कर चुके हैं. कल वह काशीपुर के दौरे पर थे. अब साफ़ दिखने लगा है कि आम आदमी पार्टी के पास उत्तराखंड में चुनाव जीतने के लिए किसी ठोस मुद्दे का आभाव होने के कारण दिल्ली मॉडल पर ही काम चल रहा है.

भ्रष्टाचार में कमी करके बचाएंगे 11000 करोड़

कल अपने दौरे में काशीपुर में रैली से पहले केजरीवाल की एक अलग से सभा महिलाओं के साथ हुई जहां उन्होंने अपने वायदों का पिटारा खोलते हुये राज्य में 18 वर्ष से अधिक उम्र की हर एक महिला को एक हज़ार रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की. इस घोषणा के तहत यह राशि प्रतिमाह किसी परिवार को देने की बजाए प्रयेक वयस्क महिला को देने की बात की गयी है. चाहे एक ही परिवार में महिलाओं की संख्या कितनी भी हो. और इस योजना का लाभ सभी महिलाओं को मिलेगा, भले ही वह कामकाजी महिला ही क्यों ना हों या फिर वह किसी धनी परिवार की सदस्य ही क्यों ना हों. केजरीवाल के अनुसार इस योजना पर प्रतिवर्ष 3,000 करोड़ रुपए खर्च होगा. उन्होंने यह भी बताया कि आखिर यह पैसा कहां से आएगा. महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का सालाना बजट 55,000 करोड़ रुपए का होता है. इसमें से कम से कम 20 प्रतिशत रकम भ्रष्ट्राचार के रूप में नेताओं और अधिकारियों की जेब के चला जाता है. केजरीवाल ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसकर प्रतिवर्ष 11,000 करोड़ रुपये बचाने की बात की जिसमें से महिलाओं को 3,000 करोड़ रुपए देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. केजरीवाल ने महिलाओं को यह गारंटी लिखित रूप में देने की बात कही. जिसके तहत आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता सभी महिलाओं को एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देंगे जिससे पार्टी सत्ता में आने के बाद मुकर नहीं पाएगी. केजरीवाल ने खुद कुछ महिलाओं को अपने हस्ताक्षर के साथ सर्टिफिकेट दिया.

सही बात है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार शुरू से ही बेकाबू रहा है. नेता-अधिकारी-ठेकेदारों की सांठगांठ होने की वजह से प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और जो पैसा जनता के हित में खर्च होना चाहिए उसका एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. केजरीवाल की योजना अच्छी है और शायद गरीब तबके की महिलाओं को यह लुभावना ही लगे. पर इसके कार्यान्वयन पर शंका है. अगर उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी सत्ता में आ भी गयी तो क्या रातों रात भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ हो जाएंगे और फिर पूरे राज्य में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाएगा और नयी नियुक्तियां होंगी? ऐसा होना संभव नहीं है. कार्यवाही कुछ अधिकारियों के खिलाफ ही हो सकती है और वह भी तब जबकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हो. भारत में कोई भी ऐसा राज्य नहीं है जिसे भ्रष्टाचार मुक्त होनेकी संज्ञा दी जा सके, दिल्ली भी नहीं जहाँ पिछले साढ़े छः वर्षों से आम आदमी पार्टी की सरकार है. प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि जो काम आम आदमी पार्टी दिल्ली में भी नहीं कर पायी वह इसे उत्तराखंड के कैसे कर पाएगी?

हर विजिट पर एक वादे का तोहफा

केजरीवाल का चुनाव प्रचार करने का तरीका थोड़ा हट कर है. जहां तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी दूसरे दलों से नेताओं को अपने मंच से तृणमूल कांग्रेस में शामिल करती हैं, केजरीवाल मनलुभावन घोषणा करके जनता को रिझाने की कोशिश करते हैं. अपने हरेक दौरे पर वह एक नयी घोषणा करते हैं. पूर्व में उन्होंने उत्तराखंड के हरेक परिवार को प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वायदा किया था और पुराने लंबित बिल माफ़ करने के साथ साथ 24 घंटे बिजली देने की घोषणा की थी. फिर अगले दौरे में उत्तराखंड के सभी बेरोजगार युवा को नौकरी देने की घोषणा की और जब तक उन्हें नौकरी मुहैया नहीं होती, तब तक उन्हें 5,000 रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की थी. तीसरे दौरे में उन्होंने सभी बुजुर्गों को मुफ्त में तीर्थ यात्रा कराने की घोषणा की. और कल प्रत्येक महिला को 1,000 रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा की.

इतना तो साफ़ प्रतीत होता है कि आम आदमी पार्टी के पाद फ़िलहाल उत्तराखंड के विकास की किसी योजना का अभाव है. मुफ्त की बिजली-पानी, मुफ्त में तीर्थ यात्रा, बेरोजगारी भत्ता और महिलाओं की आर्थिक मदद से विकास नहीं हो सकता. जनता को विकास चहिए. विकास होने से उनकी आर्थिक स्थिति स्वयं ही सुधर जाती है. उदाहरण के लिए जहां कहीं भी सड़कों का जाल बिछ जाता है वहां किसानों और स्थानीय उद्योग को फायदा होता है क्योकि उनके लिए नया बाज़ार खुल जाता है.

फिलहाल यह कहना तो मुश्किल है कि सिर्फ घोषणा और पैसों का लालच देना ही चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त होगा या फिर आम आदमी पार्टी राज्य के विकास का भी कोई प्रारूप ले कर जनता के बीच जाएगी. हां, इतना तो तय है कि जिन्हें विकास से अधिक मुफ्त में बिजली-पानी या घर बैठे सरकार से पैसे लेने की योजना अच्छी लगती है, वह तो यही चाहेंगे कि केजरीवाल हरेक हफ्ते उत्तराखंड का एक दौरा जरूर करें ताकि उन्हें सिर्फ वोट देने के लिए ही घर से बाहर जाने की जरूरत पड़े और उनका जीवन चलाने की बाकी सभी सुविधा आम आदमी पार्टी की सरकार मुहैया कर ही देगी.

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