अजय मिश्र की पत्रकार को धमकी ….. मंत्री को जानने वाले बोले- हिस्ट्रीशीटर, हत्या और तस्करी के आरोपी के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं

मंत्रीजी आपके बेटे पर जो धाराएं लगी हैं, उस पर क्या कहेंगे? पत्रकार के इस सीधे सवाल का टेढ़ा जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा, ‘जो काम है उस काम के बारे में बात करो, ये धाराओं-वाराओं के बारे में क्या पूछ रहे हो।’ मंत्री के इस तेवर पर संभलते हुए पत्रकार ने फिर पूछा, ‘नहीं-नहीं SIT की जांच हो रही है…’

पत्रकार अपना सवाल पूरा भी नहीं कर पाया था कि मंत्री बिदक गए। उन्होंने कहा, ‘ऐसा है ये बेवकूफी के सवाल मत करा करो, दिमाग खराब है क्या बे, ऐं?’ इसके बाद अजय मिश्रा टेनी ने वीडियो रिकॉर्ड कर रहे दूसरे पत्रकार का मोबाइल छीना। उनके समर्थकों के तेवर भी गरम थे। टेनी के इस व्यवहार से बहुत से लोग हैरान हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या एक मंत्री को इस तरह एक सड़क छाप गुंडे की तरह व्यवहार करना चाहिए? हालांकि, जो लोग टेनी को जानते हैं, वे इससे बिलकुल भी हैरान नहीं है। वे बस इतना कहते हैं, टेनी जैसे थे, मंत्री बनकर भी वैसे ही हैं।

उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से सटे लखीमपुर खीरी जिले से आने वाले अजय मिश्रा टेनी पर राजनीति में आने से पहले तस्करी करने के आरोप लग चुके हैं और तिकुनिया थाने में उनकी हिस्ट्रीशीट भी खुल चुकी है।

3 अक्तूबर को तिकुनिया में शांतिपूर्ण मार्च कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ाए जाने से कुछ दिन पहले ही अजय मिश्रा ने किसान आंदोलन में शामिल किसानों को धमकाते हुए कहा था, ‘ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि सुधर जाओ…नहीं तो सामना करो आकर, हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल। मैं केवल मंत्री नहीं हूं, या सांसद-विधायक नहीं हूं। जो विधायक और सांसद बनने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे उनको यह भी मालूम होगा कि मैं कौन हूं।’

इस धमकी के कुछ दिन बाद ही अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने शांतिपूर्ण मार्च कर रहे किसानों पर पीछे से अपनी कार चढ़ा दी। अजय मिश्र के काफिले में शामिल तीन गाड़ियां किसानों को रौंदते हुए आगे बढ़ीं, दो वहीं फंस गईं और एक भागने में कामयाब रही। इस हिंसा में चार किसानों की मौत हो गई। एक पत्रकार रमन कश्यप भी कार की चपेट में आकर मारे गए। गाड़ियों में सवार 3 हमलावरों को भीड़ ने वहीं पीट-पीट कर मार दिया।

इस हत्याकांड की जांच SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) कर रही है। SIT ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये हिंसा सोची-समझी साजिश थी और जानबूझकर कार किसानों पर चढ़ाई गई थी। पत्रकार ने टेनी से इसी जांच के संबंध में सवाल पूछा था जिससे वो बिदक गए।

टेनी की हिस्ट्रीशीट

टेनी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के नेपाल सीमा से बिलकुल सटे बनवीरपुर गांव के रहने वाले हैं। इस इलाके में टेनी का खौफ ऐसा है कि कोई उनके खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोल पाता। साल 2000 में राजनीति की शुरुआत करने वाले टेनी पहले जिला पंचायत सदस्य बने। फिर विधायक चुने गए और फिर सांसद बनकर सीधे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री। टेनी ने राजनीति का सफर जिस रफ्तार से तय किया उससे कई लोग हैरान होते हैं। सिर्फ दो दशकों में ही वो पार्टी के मामूली कार्यकर्ता से केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंच गए।

राजनीति में आने से पहले टेनी की पहचान एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी की थी। उन पर तिकुनिया कोतवाली में कई मुकदमे दर्ज थे और यहां उनकी हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर साल 1996 में अजय मिश्र टेनी की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई थी।

हत्या के आरोप

साल 2000 आते-आते टेनी की पहचान ऐसे व्यक्ति के रूप में बन चुकी थी जिससे आसपास के लोग डरते थे। अपराध जगत में नाम कमा चुके टेनी राजनीति में जमीन तलाश रहे थे। इसी क्षेत्र में समाजवादी युवजन सभा से जुड़े प्रभात गुप्ता भी राजनीति में अपनी जड़े जमाने की कोशिशें कर रहे थे।

ये समाजवादी युवजन सभा से जुड़े प्रभात गुप्ता की तस्वीर है। 2000 में इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप टेनी पर लगा था।
ये समाजवादी युवजन सभा से जुड़े प्रभात गुप्ता की तस्वीर है। 2000 में इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप टेनी पर लगा था।

8 जुलाई 2000 को प्रभात गुप्ता की घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप अजय मिश्र टेनी पर लगा। अजय मिश्रा टेनी इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया। टेनी का राजनीतिक कद और प्रभाव बढ़ता गया और बाद में स्थानीय अदालत ने उन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया। फिलहाल इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में अपील लंबित है।

प्रभात गुप्ता के भाई राजू गुप्ता कहते हैं, ‘जो वीडियो सामने आया है वो साबित करता है कि वो गुंडई कर रहे हैं।’ गुप्ता कहते हैं, ‘आज पत्रकारों के साथ जो इन्होंने किया है, ये हमेशा से ऐसा ही करते रहे हैं। भले ही ये एक पद पर पहुंच गए हैं, लेकिन लेकिन इनका मूल चरित्र नहीं बदला है। ये चाहते हैं कि सभी को इनसे डर लगें।’ गुप्ता आरोप लगाते हैं, ‘टेनी के लड़के ने मुझे भी रोका था और धमकाया था। मैंने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी, पुलिस ने नहीं दी तो मैं अदालत गया वहां से मुझे सुरक्षा मिल गई है।’

तस्करी के आरोप

प्रभात गुप्ता हत्याकांड के जांच अधिकारी आरपी तिवारी ने अभियोजन रोजनामचे के आखिरी पन्ने पर अजय मिश्र के बारे में लिखा है, ‘अजय मिश्र उर्फ टेनी भाजपा पार्टी का महामंत्री है तथा क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री श्री राम कुमार वर्मा का खास व्यक्ति होने एवं दबंग होने के कारण इसके आतंक एवं भय से क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति सही एवं सत्य बात कहने की हिम्मत नहीं कर रहा है। विश्वस्त सूत्र सूचनानुसार यह नेपाल क्षेत्र पास होने के कारण तस्करी के कार्यों में भी लिप्त है जिससे इसकी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी है।’

लखीमपुर खीरी के स्थानीय पत्रकार नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहते हैं कि राजनीति में आने से पहले टेनी क्या थे ये जगजाहिर है। सब जानते हैं कि सीमा के इस पार और उस पार उनके क्या-क्या धंधे थे। हालांकि तस्करी के आरोपों पर अब कोई भी खुलकर बात नहीं करता है।

दबी जबान में लोग यहां होने वाली तस्करी से भी टेनी का नाम जोड़ते हैं। दो दशक पूर्व टेनी पर तस्करी का भी आरोप लगा था, लेकिन बाद में मामला दब गया।
दबी जबान में लोग यहां होने वाली तस्करी से भी टेनी का नाम जोड़ते हैं। दो दशक पूर्व टेनी पर तस्करी का भी आरोप लगा था, लेकिन बाद में मामला दब गया।

SIT जांच में सच आएगा सामने?

तिकुनिया हिंसा की जांच अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में SIT कर रही है। राजू गुप्ता कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि SIT मुख्य अभियुक्त को बचाना चाहती है। जब से रिटायर्ड जज के निर्देश में जांच हो रही है तब से सही जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के कारण पूरा सच सामने आ रहा है। तिकुनिया हिंसा की साजिश सामने आ रही है।’

वहीं हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप कहते हैं, ‘लखीमपुर के कुछ पत्रकारों ने जिलाधिकारी को मंत्री के खिलाफ ज्ञापन दिया है। ऐसे ही कुछ पत्रकारों ने तिकुनिया हिंसा के समय जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर किसानों को खालिस्तानी कहा था और आशीष मिश्रा का बचाव किया था। ढाई महीने के भीतर ही इन पत्रकारों को भी समझ में आ गया है कि मंत्रीजी कैसे हैं। अब SIT की जांच में सच भी सामने आने लगा है।’

ये लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन हैं। वे कहते हैं कि जब तक मंत्री का इस्तीफा नहीं होता है तब तक पूरी जांच नहीं हो पाएगी।
ये लखीमपुर हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन हैं। वे कहते हैं कि जब तक मंत्री का इस्तीफा नहीं होता है तब तक पूरी जांच नहीं हो पाएगी।

अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग उठती रही है। अब पत्रकार के साथ बदसलूकी की घटना के बाद से विपक्षी दल उनका इस्तीफा मांग रहे हैं। तिकुनिया हिंसा के पीड़ितों का भी कहना है कि जब तक मंत्री पद पर हैं, मामले की जांच निष्पक्ष नहीं हो सकेगी। पवन कहते हैं, ‘मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हमें ये लगता है कि जब तक मंत्री का इस्तीफा नहीं होगा तब तक खुल कर पूरी जांच नहीं हो सकेगी।’ पवन कहते हैं, ‘मैं किसी भी तरह के दबाव को नहीं मान रहा हूं और जब तक मेरे भाई को इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’

टेनी पर पीछे हटे किसान संगठन?

किसान संगठन भी टेनी का इस्तीफा मांगते रहे थे, लेकिन केंद्र सरकार के 3 विवादित कृषि कानून वापस लेने के बाद किसान संगठन उनके इस्तीफे की मांग से पीछे हट गए हैं। किसानों और केंद्र सरकार के बीच जो समझौता हुआ है और जिसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ उसमें टेनी को पद से हटाया जाना शामिल नहीं है। किसान आंदोलन से जुड़े भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि जब सरकार ने किसानों की अधिकतर मांगे मान ली तो वो टेनी के इस्तीफे की मांग से पीछे हट गए। पत्रकारों ने जब संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस वार्ता में टेनी से जड़ा सवाल पूछा था तब किसान नेताओं ने चुप्पी साध ली थी और कहा था कि इस विषय में कुछ नहीं कहा जाएगा।

टेनी का राजनीतिक सफर

61 वर्षीय अजय मिश्र उर्फ टेनी ने कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से साइंस (BSc) और डीएवी कॉलेज कानपुर से लॉ (LLB) की डिग्री हासिल की है। बचपन से ही पहलवानी से जुड़े रहे टेनी को पावर लिफ्टिंग और क्रिकेट का भी शौक था। उन्होंने छात्र जीवन में जिला स्तर और यूनिवर्सिटी स्तर पर कई खेल मुकाबले जीते हैं, लेकिन वो हमेशा से ही राजनीति में आना चाहते थे और 90 के दशक में ही स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए थे।

टेनी ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्हें जीत भी मिली। इसके बाद हाल ही में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया है।
टेनी ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्हें जीत भी मिली। इसके बाद हाल ही में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया है।

BJP की जिला इकाई में कई पदों पर रहे टेनी को कल्याण सिंह सरकार के दौरान जिला सहकारी बैंक का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक उस दौर में टेनी की छवि एक दबंग व्यक्ति की थी। टेनी को राजनीति में पहली कामयाबी साल 2005 में जिला पंचायत चुनाव में मिली जब वो खीरी जिला पंचायत के सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने BJP की टिकट पर साल 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें वो चौथे नंबर पर रहे।

हालांकि, तीन साल बाद ही 2012 में वो BJP की टिकट पर निघासन विधानसभा सीट से जीते। इसके बाद पार्टी ने उन्हें विधायकी से हटाकर 2014 का लोकसभा चुनाव खीरी सीट से लड़वाया और तब से ही वो खीरी से सांसद हैं। अभी तीन महीने पहले जुलाई में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। विधायक बनने के सिर्फ नौ साल के भीतर ही वो केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। स्थानीय राजनीति में सक्रिय टेनी का जैसे-जैसे कद बढ़ा उनका रुतबा भी बढ़ता गया। इलाके के लोग उन्हें टेनी महाराज कहने लगे।

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