gwa… 4 करोड़ खर्च फिर भी सड़कों से नहीं हट पाई ….. विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बताया सड़कों पर उड़ती धूल को
शहर की सड़कों से धूल खत्म करने के लिए पहले डेढ़ साल में इंदौर से दो रोड स्वीपिंग मशीन किराए पर लेकर 90 लाख रुपए खर्च किए गए। एक साल पहले 1.91 करोड़ से 3 रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी गई, जिनके मेंटेनेंस व चलाने का ठेका 5.90 करोड़ में कंपनी को दिया गया। इसके बाद भी शहर में बढ़ते प्रदूषण का कारण धूल ही रही।
पिछले दिनों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 60 लाख खर्च कर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों से पहले चरण में सिटी सेंटर, मोतीझील, महाराजपुरा, गोला का मंदिर व महाराज बाड़ा क्षेत्र में प्रदूषण के कारणों की जांच कराई थी। 15-15 दिनों तक उक्त स्थानों की जांच करने के बाद विशेषज्ञों ने रिपोर्ट प्रदूषण बोर्ड को भेजी है। इसमें वायु प्रदूषण के अलग-अलग कारण क्षेत्रवार हैं, लेकिन प्रदूषण बढ़ाने का एक कारण धूल को माना है।
सड़कें जल्दी ठीक हो जाएंगी
सड़कों को बनाने का काम चल रहा है। अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि गुणवत्ता वाली सड़कें बनें और समय पर बनाई जाएं। इसका ध्यान रखा जा रहा है। शहरवासियों को जल्दी बेहतर सड़कें मिलेंगी। -किशोर कन्याल, निगमायुक्त
कैसे खर्च की गई राशि
2019 में निगम ने इंदौर से दो स्वीपिंग मशीनें किराए पर मंगाई गईं। इनके रखरखाव और चलाने पर 5 लाख प्रतिमाह खर्च किए गए। डेढ़ साल तक इन मशीनों से सड़कों की सफाई की। पिछले साल निगम ने 1.91 करोड़ खर्च कर 3 स्वीपिंग मशीन खरीद लीं। इनके ऑपरेशन व मेंटेनेंस के लिए 5 साल के लिए 5.90 करोड़ का ठेका दिया गया है।
रोड रेस्टाेरेशन का काम समय पर नहीं
शहर में अमृत योजना के तहत बिछाई जा रहीं सीवर व पानी की लाइनों के लिए सड़कों को खोदने का काम जारी है, लेकिन भराव कर डामर या सीमेंट-कांक्रीट करने की जिम्मेदारी अनुबंध में भले ही ठेका कंपनी के पास थी, लेकिन कंपनी ने ये काम नहीं किया। इससे धूल की मात्रा बढ़ गई। उधर, स्मार्ट सिटी के कारण लश्कर क्षेत्र की अधिकांश सड़कें खस्ताहाल हैं।
एक्सपर्ट व्यू- विनोद शर्मा, पूर्व निगमायुक्त
पहले सड़कों की मरम्मत जरूरी है
शहर की सड़कों को डस्ट फ्री बनाने के लिए सबसे पहले अमृत के कार्य के बाद रोड रेस्टोरेशन का काम कराना जरूरी था। एक तरफ खुदी हुई सड़कों पर धूल उड़ना स्वाभाविक है। मशीनों से सफाई तो इंदौर और भोपाल में भी कराई जा रही है, यहां उनके परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। लेकिन मशीन से सफाई उन पक्की सड़कों की होती है, जहां कहीं से उड़कर धूल आई हो। यहां मशीनों की नहीं बल्कि उस फील्ड स्टाफ की गलती है, जिसने मशीनों का रूट तय किया है।