भारत के हर नागरिक पर 32 हजार रुपए कर्ज, पिछले 7 साल में हर व्यक्ति पर 6 हजार रुपए कर्ज बढ़ा
भारतीय दार्शनिक चार्वाक की एक पंक्ति है- ‘यावज्जीवेत सुखं जीवेद, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत।’ इसका अर्थ है कि जब तक जिएं सुख से जिएं और कर्ज लेकर घी पीएं।
9 दिसंबर 2021 को एक बार फिर से भारत ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से 2645 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार इस साल 12 लाख करोड़ रुपए तक कर्ज लेने की योजना बना रही है। 2021 में देश के हर आदमी पर विदेशी कर्ज बढ़कर 32 हजार रुपए हो गया है।
ऐसे में जानते हैं कि क्या NDA सरकार ने बीते 7 सालों में UPA सरकार की तुलना मे कितना ज्यादा कर्ज लिया है? या फिर UPA सरकार ने 7 सालों में ज्यादा कर्ज लिए। साथ ही जानेंगे कि देश के हर लोगों पर आज के समय में कितना कर्ज है? सरकार किन संस्थानों से और कैसे कर्ज लेती है? किसी देश पर कितने तरह के कर्ज होते हैं? सबसे ज्यादा कर्ज किस देश के लोगों पर है?
भारत पर 43 लाख करोड़ रुपये विदेशी कर्ज, कहां खर्च होता है पैसा?
आजादी के बाद 1950 में भारत पर विदेशी कर्ज करीब 380 करोड़ रुपए का था। इन 73 सालों में सरकारें बनती और गिरती रहीं, लेकिन हर सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज बढ़ता ही रहा। हाल यह है कि 2021 में भारत पर 43.32 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज है। अब आप सोच रहे होंगे कि बेतहाशा कर्ज लेकर सरकार कहां खर्च करती है, तो बता दें कि सरकार यह पैसा- ब्याज चुकाने, केंद्रीय योजना में, रेवेन्यू के लिए बाजार में, वित्त आयोग को अनुदान के लिए, बजट में, सब्सिडी के लिए खर्च करती है।
कर्ज के मामले में UPA सरकार के 7 साल VS NDA सरकार के 6 साल
2014 में भाजपा ने सरकार बनाने से पहले जनता से वादा किया था कि वह देश के विदेशी कर्ज को कम करेगी, लेकिन पिछले 7 सालों में देश का कर्ज कम होने की जगह बढ़ा ही है। 2014 से अब तक मोदी सरकार ने विदेश से कुल 10 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2006 से 2013 तक 7 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया।
2006 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, 7 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा। 2014 से 2021 तक 33 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 43 लाख करोड़, यानी इन 7 साल में 10 लाख करोड़ रुपए कर्ज बढ़ा।
इससे एक बात साफ होता है कि 2014 के बाद NDA सरकार ने देश का कर्ज कम नहीं किया है। हालांकि, एक अच्छी बात यह है कि UPA सरकार की तुलना में 7 साल में कोरोना महामारी के बावजूद कम विदेशी कर्ज लिए हैं।
भारत के हर आदमी पर 7 साल में बढ़ा 6 हजार रुपए विदेशी कर्ज
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में सितंबर 2021 को एक रिपोर्ट जारी किया। इस रिपोर्ट में सरकार ने बताया कि इस साल विदेशी कर्ज देश पर 43.32 लाख करोड़ रुपए है। देश की जनसंख्या 130 करोड़ मानकर सरकार ने बताया कि हर व्यक्ति पर कर्ज करीब 32 हजार रुपये है। 7 साल पहले 2014 में देश पर विदेशी कर्ज 33.89 लाख करोड़ रुपए था। 2014 में देश की जनसंख्या 129 करोड़ थी। ऐसे में 2014 में हर व्यक्ति पर विदेशी कर्ज करीब 26 हजार रुपए था। 7 साल में 6 हजार रुपए देश के हर आदमी पर कर्ज बढ़ा है।
एक्सपर्ट ने बताया देश पर कर्ज और महंगाई के बीच का रिलेशन
एक सवाल जो हर किसी के मन में उठता है वह यह है कि क्या देश पर कर्ज बढ़ने से महंगाई बढ़ती है। इस मामले में केयर रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘देश पर कर्ज बढ़ने का महंगाई से कोई सीधा संबंध नहीं है। सरकार कर्ज के पैसे को आय बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। कर्ज का पैसा जब बाजार में आता है तो इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है।’
साथ ही उन्होंने कहा कि कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल हो तो महंगाई बढ़ भी सकती है। जैसे- कर्ज लेकर पैसा आम लोगों में बांट दिया जाए तो लोग ज्यादा चीजें खरीदने लगेंगे। इससे बाजार में चीजों की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के बाद आपूर्ति सही नहीं रहा तो चीजों की कीमत बढ़ेगी।
भारत पर कुल विदेशी कर्ज GDP का 75% से 80%
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में भारत पर कुल कर्ज (एक्सटर्नल, इंटरनल, दूसरे माध्यमों से) 147 लाख करोड़ रुपए था। इसमें विदेशी कर्ज 43 लाख करोड़ रुपए है। 2020 में GDP का 20.6% विदेशी कर्ज देश पर था। ज्यादातर देशों पर जो कुल कर्ज है, वह उनकी GDP की तुलना में 40-50 पर्सेंट है, भारत पर यह 75-80 पर्सेंट है। पाकिस्तान की बात करें तो वहां
अमेरिका, जापान, ब्राजील समेत दुनिया के 5 देश ऐसे हैं, जिसपर GDP की तुलना में भारत से ज्यादा कर्ज है।
अमेरिका पर GDP का कुल 133% कर्ज है, जापान पर 254%
जापान में सबसे ज्यादा GDP की तुलना में कुल कर्ज 254% है। दूसरे नंबर पर अमेरिका है जहां देश के कुल GDP का 133% कर्ज है। फ्रांस 115% के साथ इस मामले में तीसरे नंबर है। ब्रिटेन में कुल GDP के कर्ज मामले में 104% के साथ चौथे नंबर पर है। ब्राजील पांचवे नंबर है और यहां 98% कर्ज है। वहीं, भारत 89% के साथ छठे नंबर पर है। पड़ोसी देश चीन में कुल GDP का 61.7% कर्ज है।
अमेरिका में हर व्यक्ति पर करीब 17 लाख रुपये कर्ज
समान्य तौर पर देखें तो अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर देश है, लेकिन कर्ज के डेटा को देखें तो अमेरिका में GDP की तुलना में कर्ज सबसे ज्यादा है। BBC रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बीते साल अमेरिका का GDP 21.44 ट्रिलयन डॉलर का था, लेकिन अमेरिका पर कर्ज 27 ट्रिलियन डॉलर का था। अमेरिका के कुल 32 करोड़ आबादी पर इस कर्ज को बांट दिया जाए तो करीब 17 लाख रुपए (23500 डॉलर) हर व्यक्ति पर यह कर्ज होता है।
अमेरिका पर कर्ज बढ़ने की बड़ी वजह
अमेरिका पर 2019 से 2021 तक कर्ज बढ़ने के कई वजह हैं। एक तो विकसित देश कर्ज बाजार में पैसा लगाकर रेवेन्यू कमाने के लिए करते हैं, लेकिन सरकार पर बेरोजगारी बढ़ने, ब्याज दर में कटौती आदि की वजह से भी कर्ज बढ़ते हैं। ब्याज दर में कटौती से अमेरिका में महंगाई बढ़ी। सरकार ने खर्च पर रोक न लगाकर कर्ज लेकर उसकी भरपाई की। कॉरपोरेट टैक्स 2019 में 35% से घटाकर 21% कर दिया गया। साथ ही दुनिया में ताकतवर कहलाने के लिए भी अमेरिका ने बीते दशक में काफी पैसा खर्चा किया है।