सुंदर दिखने का फितूर ….. 90 फीसदी लड़कियां फोटो पर फिल्टर लगाकर करती हैं सोशल मीडिया पर पोस्ट
- तेरह साल की 100 में से 80 लड़कियां फोटो में करेक्शन करने वाले ऐप का इस्तेमाल करती हैं।
मिस यूनिवर्स के बाद मिस वर्ल्ड कॉन्टेस्ट चर्चा में है। ऐसी प्रतियोगिताओं का ताज ‘ब्रेन और ब्यूटी’ के मामले में अव्वल लड़की के सिर पर ही सजता है। हर लड़की को सुंदर दिखने का शौक होता है। शायद यही वजह है कि ढेरों लड़कियां फिल्टर्स की मदद से अपनी फोटो को सुंदर बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रही हैं। यूके की एक यूनिवर्सिटी के अनुसार 100 में से 90 लड़कियां फोटो पोस्ट करने से पहले फिल्टर्स टूल्स का इस्तेमाल करती हैं।

तीखी नाक और उभरे हुए गालों की ख्वाहिश
फोटो अपलोड करने के पहले लड़कियां अपने चेहरे की कमियों को छिपाने के लिए कई तरह के फिल्टर्स का इस्तेमाल कर रही हैं। कोई अपनी मोटी नाक को पतला और कोई सांवले काॅम्पलेक्शन को गोरा दिखाने की कोशिश करती है। मोबाइल में मौजूद फोटो करेक्शन टूल्स और फिल्टर्स की मदद से यह काम चुटकियों में हो जाता है। स्टडी में पाया गया कि करीब 90% महिलाएं फोटो अपलोड करने के पहले फोटो फिल्टर्स की मदद से खासतौर स्किन टोन को ठीक करती हैं। नाक और ‘जॉ लाइन’ की शेप को सुधारती हैं। कुछ माेटी महिलाएं तो, फोटो अपलोड करने के पहले इन्हीं टूल्स की मदद से बॉडी को स्लिम तक बनाती हैं ताकि सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड होते ही वे ढेरों ‘लाइक्स’ बटोर सकें।

सर्जरी से भी सुधार रही हैं सूरत
सुंदर दिखने के धुन में सर्जरी तक कॉलेज में आते ही सोशल मीडिया पर छाने का जूनून सवार हो जाता है। दोस्तों के बीच पॉपुलर होने का ‘पीअर प्रेशर’ भी होता है। गुरूग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल के काॅस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनदीप कहते हैं कि पिछले 3-4 सालों से यह देखा जा रहा है कि 14 से 15 साल की उम्र से ही सुंदर दिखने का प्रेशर शुरू हो जाता है। इस वजह से कम उम्र में की लड़कियां भी कॉस्मेटिक सर्जरी चुनने लगती हैं। सर्जरी के लिए आनेवाली ज्यादातर लड़कियां नाक को तीखा बनाना चाहती हैं, उभरे हुए होंठ की ख्वाहिश जताती हैं। इसमें ‘पॉइंटेड चिन’ और ‘हाई चीक बोन्स’ की चाहत भी शामिल है। डार्क स्किन टोन की लड़कियां साफ रंगत की फरमाईश करती हैं। डॉ. मनदीप बताते हैं कि कई लड़कियां सर्जरी होते ही सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदलने में देर नहीं लगाती। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि चेहरे में आए बेहतर बदलाव की वजह से उनका आत्मविश्वास पहले से अधिक बढ़ जाता है।

और क्या-क्या करते हैं इंटरनेट पर
बड़ी संख्या में टीनएजर्स और यूथ किसी न किसी सोशल मीडिया साइट्स से जुड़े हैं। ‘टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के जेन Y’ सर्वे के अनुसार 12 से 18 साल की उम्र के लोगों में से ज्यादातर ‘पोस्ट लिखने के लिए’ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद ‘चैट करने’ और फिर ‘फोटो अपलोड’ करने वालों का नंबर आता है। आज करीब 70 % भारतीय शहरी युवाओं के पास अपना मोबाइल फोन है। वहीं 50% के घरों में इंटरनेट की सुविधा मौजूद है।
इंस्टाग्राम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 14 करोड़ लोग इंस्टाग्राम पर हैं, जो कि यूएस के बराबर है। इंस्टाग्राम इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं की संख्या 50% है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट डॉ. सीमा गुप्ता का कहना है कि आज बड़ी संख्या में किशोर और युवा इंस्टाग्राम पर हैं। इन महिलाओं में अपनी फोटो अपलोड करने को लेकर क्रेज है। टि्वटर की तुलना में इंस्टाग्राम इनको अधिक पसंद आता है। एक अनुमान के अनुसार केवल इंस्टाग्राम पर ही 10 करोड़ फोटो रोज पोस्ट होते हैं।

सुंदर दिखना सीधा संबंध आत्मसम्मान और आत्मविश्वास से
मनस्थली वेलनेस क्लीनिक की फाउंडर एंड साइकेट्रिस्ट डॉ. ज्योति कपूर स्वीकारती हैं कि इस तरह के टूल्स का इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर लड़कियों को अपने चेहरे-मोहरे में कमी नजर आती है। उन्हें अपनी बॉडी या फेस को लेकर कॉन्फिडेंस नहीं होता। उन्हें लगता है कि बिना एडिट किए पोस्ट की गई तसवीरों को सोशल मीडिया पर कोई पसंद नहीं करेगा। अस्वीकार किए जाने के प्रेशर से बचने के लिए वह फोटो को फिल्टर्स से ठीक करती हैं। साल 2021 में पर्सनल केयर ब्रांड ‘डव’ की ओर से कराए गए सर्वे में पाया गया कि सौ में 72 लड़कियों पर सुंदर दिखने का दबाव होता है। तेरह साल की 100 में से 80 लड़कियां फोटो में करेक्शन करने वाले ऐप का इस्तेमाल करती हैं।

इस ब्यूटी ब्रांड ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया कि लड़कियां यह स्वीकारती हैं कि सही इमेज पोस्ट करने से उनका कॉन्फिडेंस अधिक बढ़ता है इसलिए पेरेंट्स, टीचर्स और यूथ लीडर्स की मदद से बॉडी इमेज को लेकर जो भी तनाव हो, उससे बाहर निकलने की कोशिश की जानी चाहिए। यह डॉ. ज्याेति इस बात पर जोर देती हैं कि लड़कियां अपनी खूबसूरती का अहसास अपनी काबिलियत से जोड़कर करें दुनिया की नजर में सांवली और मोटी होने की बात को पूरी तरह इग्नोर करें। लड़कियों को यह समझना होगा कि अगर केवल ‘ब्यूटी’ से काम चलता तो, विश्व स्तरीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ का फॉर्मूला बेमानी हो जाता इसलिए नेचुरल ब्यूटी को स्वीकारे। अपने अंदर छिपे टैलेंट को पहचाने, उभारे और अहमियत दें।