संजय निषाद की योगी को दो-टूक …. अगर हमें आरक्षण नहीं; तो यूपी चुनाव में भाजपा को हमारा समर्थन नहीं
यूपी चुनाव में बीजेपी जातिगत समीकरण बैठाने में लगी है। इस बीच निषाद आरक्षण के मुद्दे पर पार्टी नेताओं के बदले हुए सुर सामने आए हैं। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने सीएम योगी और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से दो टूक कह दिया है। आरक्षण की घोषणा नहीं, तो समर्थन भी नहीं।
दरअसल लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली मैदान में 17 दिसंबर को महारैली हुई थी। निषाद समाज के लोगों को उम्मीद थी कि गृहमंत्री अमित शाह मंच से आरक्षण देने की घोषणा करेंगे। ऐसा नहीं हुआ। संजय निषाद ने नाराजगी जाहिर करते हुए 18 दिसंबर की सुबह सीएम योगी को चिट्ठी लिखी। फिर शाम से लेकर देर रात तक बैक-टू-बैक बैठकों का दौर चला। इनका मुख्य एजेंडा निषाद आरक्षण ही रहा।
अब निषाद अपनी ही निषाद पार्टी के खिलाफ होने लगे

बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद पहली चुनावी रैली लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली मैदान में हुई। गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, संतकबीरनगर, मऊ, मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, इलाहाबाद, फतेहपुर, सहारनपुर और हमीरपुर से हजारों लोग लखनऊ पहुंचे। आस थी कि आरक्षण को लेकर गृहमंत्री घोषणा करेंगे। ऐसा नहीं होने से निषाद समाज के लोग अपनी ही पार्टी के खिलाफ नाराजगी दिखा रहे हैं।
बीजेपी, अमित शाह और योगी के खिलाफ नारेबाजी भी हुई। अब संजय निषाद ने भी अपने लोगों के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया है।
चिठ्ठी में लिखा ‘मुद्दों की वकालत करने वाली बीजेपी हमारी जज बन गई’

निषाद और 17 उपजातियों के 18% वोटर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संजय निषाद ने लिख दिया कि पहले आरक्षण, फिर वोट- ‘मेरे कार्यकर्ता मुझ पर भरोसा करके रैली में आए थे। इसलिए मैंने मंच पर कहा था कि बीजेपी हमारे मुद्दों की वकालत करती आई है। अब वही बीजेपी हमारी जज बन गई है’।
उन्होंने लिखा कि गृहमंत्री को आरक्षण के विषय पर कुछ न कुछ तो कहना ही चाहिए था। सिर्फ इतना कहने से काम नहीं चलेगा कि सरकार आने पर मसला हल करेंगे।
पूरा निषाद समाज अमित शाह, सीएम योगी और मुझसे खुश था। अगर आरक्षण की घोषणा होती, तो निश्चत ही 2022 में बीजेपी को समाज का पूरा समर्थन मिलता। मगर, ऐसा नहीं हुआ। इसलिए अब समाज के लोग कह रहे हैं कि आरक्षण नहीं तो वोट नहीं। हमारे कुछ लोग बीजेपी का साथ छोड़ने के लिए भी कह रहे हैं। यूपी विधानसभा की 160 सीटों पर निषाद जगे हुए हैं। इन लोगों का ख्याल रखते हुए आरक्षण की घोषणा जरूरी है।
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ ही हैं बीच की कड़ी

बीजेपी पूर्वांचल में राजभर समाज के बाद निषादों का साथ नहीं छूटने देना चाहती है। इसलिए, संजय निषाद की चिट्ठी के बाद बैठकों का दौर शुरू हुआ है। एक ही दिन में 3 बैठकें की गईं। 2 बैठक सीएम योगी के साथ हुईं। बात नहीं बनी तो फिर तीसरी बैठक कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के साथ की गई। सूत्रों की मानें तो मंत्री सिद्धार्थ ही इस पूरे गठबंधन के बीच की कड़ी हैं। संजय निषाद का दबाव है कि चुनाव से पहले आरक्षण की घोषणा की जाए।
गठबंधन का नारा था सरकार बनाओ, अधिकार पाओ

प्रदेश में लंबे समय से निषाद समाज को अनुसूचित जाति में शामिल कर आरक्षण देने की मांग उठ रही है। दिसंबर 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने केवट, बिंद, मल्लाह, नोनिया, मांझी, गौंड, निषाद, धीवर, कहार, कश्यप, भर और राजभर सहित 17 जातियों को ओबीसी की श्रेणी से एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।
हालांकि, बसपा ने इस प्रस्ताव को कोर्ट में चुनौती दे दी। जिसके कारण यह मुद्दा आज तक हल नहीं हो पाया है। इसी मुद्दे को हल करने के लिए निषाद पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन कर सरकार बनाओ, अधिकार पाओ का नारा दिया था। 5 साल बीत जाने के बाद भी निषाद समाज के हाथ अभी भी खाली हैं।