योग्यता बढ़ाने की कोशिश करें और ध्यान रखें कि हम अपनी योग्यता का क्या परिणाम दे रहे हैं

कहानी – प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रबंधन में सभी अंग्रेज थे। प्रोफेसर जगदीशचंद्र बसु वहां पढ़ाया करते थे। प्रोफेसर बसु बहुत अनुभवी और अद्भुत प्रतिभा के धनी भी थे।

कॉलेज में प्रोफेसर बसु से कम योग्य गौरे प्रोफेसरों को अधिक वेतन मिलता था और इन्हें कम। इस वजह से प्रोफेसर बसु ने वेतन लेने से इंकार कर दिया। कॉलेज के प्रबंधन ने इन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रोफेसर बसु ने कहा, ‘मुझे वेतन मेरी योग्यता अनुसार मिलना चाहिए।

समय बीतता गया, कई वर्ष बीत गए। कलकत्ता (कोलकाता) में रहने के लिए इनके पास अब धन भी नहीं था। अपनी पत्नी के साथ कोलकाता से दूर एक ऐसी जगह पर रहने लगे, जहां रहने का खर्च कम होता था। नाव में बैठकर नदी पार करके पढ़ाने जाते।

एक दिन उनकी पत्नी आबला ने कहा, ‘आप वेतन क्यों स्वीकार नहीं करते?’

प्रोफेसर बसु ने कहा, ‘मैं अपनी योग्यता का भरपूर उपयोग शिक्षा जगत के लिए कर रहा हूं और स्वयं इस काम के लिए समर्पित हूं, फिर भी मुझे कम वेतन दे रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं गौरा नहीं हूं।’

तीन वर्षों तक वे संघर्ष करते रहे और इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने अपनी गलती मानी और उनका वेतन बढ़ाया और वही वेतन दिया, जिसकी वे मांग कर रहे थे।

इसके बाद प्रोफेसर बसु ने अपनी पत्नी से कहा, ‘आबला, बात केवल धन की नहीं थी। बात योग्यता की थी। मैं लंदन डॉक्टरी पढ़ने गया, लेकिन स्वास्थ्य की वजह से पढ़ नहीं सका। फिर भी मैंने मेरी खोज में कोई कमी नहीं रखी।’

प्रोफेसर बसु भारत के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने बहुत गहराई से शोध किए। रेडियो सिग्नल, प्लांट फिजियोलॉजी जैसे अनेक काम इनके नाम पर दर्ज हैं।

सीख – प्रोफेसर बसु ने हमें सीख दी है कि अगर हम योग्य हैं तो हमें अपनी योग्यता पूरा उपयोग करना चाहिए। अपनी योग्यता के मान के लिए जो उचित पारिश्रमिक है, वही लेना चाहिए। हमें अपनी योग्यता का अवलोकन करना चाहिए, उसे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। हम अपनी योग्यता का जो परिणाम दे रहे हैं, उसके अनुसार ही वेतन मांगना चाहिए।

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