bhopal…. नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ …… सात साल में तलाशी सात जगह, लेकिन अब जिंसी में ही चलेगा जानवरों का कत्लखाना

‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ यह कहावत राजधानी के स्लाटर हाउस मामले में एकदम फिट बैठती है। 2014 में एनजीटी में एक याचिका दायर की गई, जिसमें मांग की गई कि जिंसी स्थित स्लाटर हाउस से प्रदूषण और गंदगी फैल रही है, इसलिए इसे शहर से बाहर स्थापित किया जाए। 20 मार्च 2015 को एनजीटी ने स्लाटर हाउस बंद कर 31 मार्च 2016 तक इसे शहर से बाहर बनाने के निर्देश दिए।

इसके बाद सात साल तक स्लाटर हाउस को आदमपुर छावनी, मुगालिया कोट, स्टड फार्म, बैरसिया, झिरनिया में अलग-अलग सात स्थानों पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव बनता रहा। लेकिन, भारी विरोध के बाद यह रद्द होता रहा। इसी साल 8 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनजीटी ने अपने आदेश को रिव्यू किया और राज्य सरकार की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फिलहाल इसी स्थान पर आधुनिक स्लाटर हाउस बनाने की अनुमति दे दी।

नगर निगम ने इसके लिए एजेंसी की तलाश शुरू कर दी है। दो साल के भीतर यहां ऐसा स्लाटर हाउस तैयार होना है। दावा है कि इसमें कोई भी वेस्ट बाहर नहीं जाएगा। इस स्लाटर हाउस में अधिकतम 100 बड़े और 100 छोटे जानवरों की स्लाटरिंग होगी।

रहवासी खुद तय करेंगे अगली रणनीति

अरेरा हिल्स स्थित ग्रीन मीडोज के रहवासी जिंसी पर ही आधुनिक स्लाटर हाउस बनाने के निर्णय का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय रहवासी रिटायर्ड एडीजी अजित श्रीवास्तव ने कहा कि शहर के बीच में ही स्लाटर हाउस संचालन तो पूरी तरह गलत है। जीरो वेस्ट स्लाटर हाउस व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। हम एनजीटी के फैसले और राज्य सरकार व नगर निगम के निर्णयों का अध्ययन कर रणनीति तय करेंगे।

ऐसे चला विरोध और अनुमति का सफर

  • मई 2016 : स्लाटर हाउस को आदमपुर छावनी शिफ्ट करने का निर्णय हुआ। इस पर स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा विरोध में उतर आए। इस पर निगम ने इसे मुगालिया कोट ले जाने का निर्णय लिया। यह गांव भी शर्मा के हुजूर विधानसभा में शामिल है। यहां विरोध किया।
  • 31 अगस्त 2016 : तत्कालीन सीएस अंटोनी डिसा एनजीटी में पेश हुए। उन्होंने स्लाटर हाउस के पास स्टड फार्म की जमीन पर स्लाटर हाउस बनाने की बात कह दी। इस पर ग्रीन मीडोज के रहवासी सड़कों पर उतर आए। इसके बाद बैरसिया में शिफ्टिंग की बात होने पर भाजपा विधायक विष्णु खत्री ने विरोध कर दिया।
  • अक्टूबर 2019 : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पुत्र तत्कालीन नगरीय आवास एवं विकास मंत्री जयवर्धन सिंह को पत्र लिखकर आदमपुर छावनी में स्लाटर हाउस बनाने पर एतराज जताया। यहां के ग्रामीणों ने पत्थरबाजी करके कॉन्ट्रेक्टर को यहां काम करने से रोक दिया।
  • नवंबर 2019 : सरकार ने एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इधर, नई जमीन तलाशने का काम भी जारी रहा। छह महीने पहले झिरनिया में जमीन फाइनल हुई तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अनुमति देने से इनकार कर दिया।
  • 8 अक्टूबर 2021 : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनजीटी ने अपने आदेश को रिव्यू किया और राज्य सरकार की स्लाटर हाउस मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा स्वीकार करते हुए जिंसी में ही स्लाटर हाउस को अत्याधुनिक रूप देने की अनुमति दे दी।

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