वीरांगना की समाधि पर सिंधिया ……. महिला कांग्रेस बोली- समाधिस्थल को धोकर शुद्ध करना पड़ेगा

ज्योतिरादित्य के लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचने के बाद राजनीति, महिला कांग्रेस बोली- समाधिस्थल को धोकर शुद्ध करना पड़ेगा……

रविवार को केन्द्रीय मंत्री व सिंधिया घराने के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस अंदाज में वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचकर माथा टेका है उससे उनके भाजपा में चाहें सारे संस्कार पूरे हो गए हो, लेकिन महिला कांग्रेस ने उन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ग्वालियर में महिला कांग्रेस की शहर जिलाध्यक्ष रूचि गुप्ता ने सिंधिया के समाधि स्थल पर जाने से वीरांगना की आत्मा के दुखी होने की बात कही है।
साथ ही कहा है कि महिला कांग्रेस समाधि स्थल को धोकर शुद्ध करेंगी। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोर पकड़ रही है कि आखिरकार सिंधिया घराने के मुखिया इस तरह अचानक लक्ष्मीबाई की समाधि क्यों पहुंचे और इसके पीछे क्या बजह रही। साथ ही इसके राजनीतिक मायनों पर भी बात हो रही है।
क्या है पूरा मामला
– रविवार (26 दिसंबर) को केन्द्रीय मंत्री व सिंधिया घराने के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में एक दिन के प्रवास पर आए थे। उन्होंने कई कार्यक्रम में भाग लिया जो पहले से निर्धारित था। पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक कार्यक्रम किसी को नहीं पता था। रविवार शाम 5.30 बजे वह अचानक अपने कट्‌टर समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पहुंच गए, जबकि कुछ देर पहले ही वह पास में एलीवेटेड रोड का निरीक्षण करके गए थे। इसके बाद उन्होंने वहां पहुंचकर वीरांगना को नमन किया और माथा भी टेका। एक परिक्रमा लगाई और वहां से बाहर निकल आए। उनका इस तरह आना ही राजनीतिक गलियारों मंे चर्चा बना हुआ है। सिंधिया घराने को जानने वाले लोग बताते हैं कि इस तरह अचानक और सिर्फ माथा टेकने वह पहली बार ही पहुंचे हैं। कुछ वर्ष पूर्व जब वह कांग्रेस में थे तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के साथ रोड शो करते हुए वहां तक पहुंचे थे। पर इस तरह व्यक्तिगत रूप से वह पहली बार ही आए हैं।
क्यों खास माना जा रहा है सिंधिया के लक्ष्मीबाई समाधि पर जाना
– झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और सिंधिया घराने का एक दूसरे से पुराना कनेक्शन है। इतिहास के जानकारी डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि इतिहास में महारानी लक्ष्मीबाई और सिंधिया राजवंश के बीच कोई विवाद का जिक्र नहीं है। पर साहित्य के जानकारों ने लक्ष्मीबाई और सिंधिया घराने के विवाद के बारे में बताया है। जिसके बाद सिंधिया घराने से लक्ष्मीबाई की समाधि पर कोई नहीं जाता है ऐसा लोगों का मानना है। कवि सुभद्रा कुमारी चौहान की वीरांगना पर वीररस में लिखी गई कविता में दोनों का जिक्र किया गया है। कविता की लाइन कुछ इस प्रकार हैं…
‘रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेजों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’

सिंधिया के समाधि पर जाने के सियासी मायने क्या हैं
– सिंधिया घराने के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए। यहां उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया गया। सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया गया, क्योंकि उनके कारण भाजपा फिर सरकार में लौटी। पर सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से भाजपा के हिंदू कट्‌टर वादी नेता उनको टारगेट करने लगे थे। साथ ही कांग्रेस भी निशाना साधती थी। वीरांगना के समाधि स्थल पर जाने या आने का न्यौता दिया जाता था। अब जब इस अंदाज में सिंधिया ने वहां एन्ट्री की है। उससे भाजपा में अंदर के सियासी दांवपेच को विराम मिलेगा। साथ ही यह भारतीय जनता पार्टी के सारे संस्कार पूरे करने पर सिंधिया का कोई विरोध नहीं बचेगा। इसके अलावा कांग्रेस के पास भी शुरूआती विरोध के बाद कुछ कहने के लिए नहीं बचेगा। अब सिंधिया का राजनीतिक भविष्य भाजपा में और सुरक्षित माना जाएगा।
कांग्रेस ने किया पलटवार, महिला कांग्रेस बोली-समाधि स्थल को धोना पड़ेगा
– केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस तरह समाधि स्थल पर पहुंचने के बाद महिला कांग्रेस आक्रोशित है। ग्वालियर महिला कांग्रेस की शहर जिलाध्यक्ष रूचि गुप्ता का कहना है कि सन 1857 में सिंधिया घराने ने गद्दारी की थी। वही गद्दारी सन 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की है। अब वह लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए हैं। बताए आज क्या आवश्यक्ता पड़ गई वहां जाने की। क्या मजबूरी थी लक्ष्मीबाई को नमन करने की। वीरांगना लक्ष्मीबाई की आत्मा दुखी होगी। इसलिए हम जल्द समाधि स्थल को धोकर शुद्ध करेंगे। बादल भी हो रहे हैं हो सकता है प्रकृति खुद बारिश कर समाधि स्थल को शुद्ध कर दें।

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