Gwalior… अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई शुरू….

साल 2016 तक की 429 अवैध कॉलोनियों को मिलेगा वैध का दर्जा, आदेश आने के बाद शुरू हो जाएगा काम…..

प्रदेश के शहरी विकास और आवास विभाग ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। हाल ही में प्रदेश की छह कॉलोनी वैध करने का ड्राफ्ट फाइनल कर लिया गया है। ग्वालियर नगर निगम सीमा में 2016 तक 696 अवैध कॉलोनियों की पहचान की गई थी। इनमें से सिर्फ 429 कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। नई व्यवस्था में डायवर्सन और नजूल एनओसी से राहत की गुंजाइश मिल सकती है। हालांकि अवैध मकान को ‌वैध करने में फ्रंड एमओएस में 3 मीटर खुली जगह छोड़े जाने की बाध्यता अड़चन पैदा कर सकती है, क्योंकि इस संबंध में कोई साफ निर्देश नहीं हैं।

इधर, नगर निगम ने 31 दिसंबर 2016 के बाद बनी अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी कर ली है। ऐसी 40 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों की पहचान हो चुकी है। इनमें से पूर्व में 15 कॉलोनियों को बसाने से पहले उजाड़ दिया गया। हालांकि निगम के ग्रामीण वार्डों में अवैध कॉलोनियां बस रही हैं। प्रदेश सरकार ने उपचुनाव से पहले 31 दिसंबर 2016 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करना तय कर लिया था। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश भर से दावे-आपत्तियों को मंगाया था। हाल में ही ड्राफ्ट को फाइनल कर लिया गया है। अब नगर पालिक निगमों में आदेश पहुंचते ही कॉलोनियों को नई व्यवस्था के तहत वैध करने का काम शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि समझौता योजना में 170 लोगों ने आवेदन कर दिया है। इनसे दो करोड़ जमा करा लिए गए हैं।

पूर्व में भी हो चुका है काम: पिछली भाजपा सरकार में अवैध काॅलोनियों को वैध करने का काम विधानसभा चुनाव के पहले 2018 में किया गया था। तब 696 अ‌वैध काॅलोनियों की सूची तैयार की गई थीं। निगम ने इसमें से 429 को वैध करने के लिए पात्र माना था। शेष को वैध करने का काम भी शुरू किया गया, लेकिन फिर मामले को रोकना पड़ा। पूर्व में निगम ने वैध कॉलोनियों में विकास के लिए 1.40 करोड़ खर्च किए, इसमें 20 लाख ऑर्किट्रेक्चर को दिए। निगमायुक्त किशोर कन्याल ने कहा कि अवैध कॉलोनी को वैध करने के संबंध में शासन से जो आदेश मिलेंगे। उस पर प्लान बनाकर एक्शन लिया जाएगा।

कॉलोनियों को वैध करने में ये हो सकती है व्यवस्था
अवैध से वैध होने वाली काॅलोनियों में 70% से ज्यादा कम आय वर्ग के लोग रह रहे हैं, तो वहां 80% राशि नगरीय निकाय खर्च करेगा। विकास कार्यों की शेष 20% राशि भूखंड-भवन स्वामी से ली जाएगी, अन्य कालोनियों में 50-50% राशि विकास के लिए खर्च की जाएगी। इसमें नगरीय निकाय 50% व भूखंड-भवन स्वामी 50% राशि देगा। विकास कार्यों में सांसद, विधायक निधियों का यूज किया जाएगा।

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