स्वास्थ्य पर अल्कोहल के प्रभाव……..

अल्कोहल उपभोग के अल्पकालिक प्राभावों में विषाक्तता, निर्जलीकरण और अंततः शराब विषाक्तीकरण शामिल है। अल्कोहल के दीर्घकालिक प्राभावों में जिगर और मस्तिष्क में चयापचय परिवर्तन और संभावित लत (मदव्यसनिता) शामिल हैं।

 

अल्पकालिक प्रभाव

अल्कोहल विषाक्तता मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिससे अभद्र् भाषा, फूहड़ता, असजगता जैसी विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं। अल्कोहल इंसुलिन के उत्पादन को उत्तेजित करता है, जो ग्लूकोज चयापचय को बढ़ाता है और जिससे रक्त शर्करा में कमी, चिड़चिद्ापन और संभवतः मधुमेह से मौत की शिकायत हो सकती है; सामान्यतः गंभीर अल्कोहल विषाक्तता घातक भी हो सकती है। 0.४५ अल्कोहल युक्त रक्त LD50 प्रस्तुत करता है, या 50 % परीक्षणों में घातक बताई गई मात्रा है। यह नशे के स्तर (0.08%) का लगभग छह गुणा है, लेकिन वैसे लोग जो इतने उच्च स्तर पर अल्कोहल का सेवन बहुत कम करते हैं, उन्हें जल्दी-जल्दी अल्कोहल की अत्यधिक मात्रा को उपभोग करने पर कम सहनशीलता के कारण उल्टी और/या बेहोशी बहुत जल्दी आ जाती है।[19] हालांकि, स्थायी रूप से अधिक सेवन करने वाले लोग, अपनी उच्च सहिष्णुता के कारण गंभीर स्वास्थ्य खतरों के बावजूद, .4 % से उच्च स्तरों पर भी सचेत रहते हैं।

इसके अलावा, अल्कोहल हाइपोथालमस से वासोप्रेसिन के निर्माण को सीमित कर देता है और पिट्यूटरी ग्रंथि से हार्मोन स्राव को भी कम कर देता है। अल्कोहल की अत्यधिक मात्रा का उपभोग करने पर गंभीरनिर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इससे मूत्र और उल्टी में जल की सांद्रता बढ़ जाती है और तीव्र प्यास के कारण हैंगओवर हो सकता है।

हृदय रोग

एक अध्ययन से पता चला है कि एक सप्ताह में तीन य इससे अधिक बार अल्कोहल की औसत मात्रा का सेवन करने वाले व्यक्ति में मद्यपान न करने वालों की अपेक्षा हृदय आघात होने की 35 % कम संभावना होती है और 12 वर्षों के अध्ययन अल्कोहल सेवन की मात्रा एक ड्रिंक बढ़ लेने वाले व्यक्तियों को हृदय आघात से 22 % कम जोखिम होता है।

शराब की 1 या 2 इकाई (वाइन के सामान्य गिलास का आधा या पूरा) का दैनिक सेवन 40 वर्ष से अधिक के पुरुषों और रजोनिवृत्ति तक पहुंच चुकी महिलाओं में कोरोनरी हृदय रोग के कम जोखिम से संबद्ध है।[20] हालांकि, महिलाओं द्वारा महीने में एक बार शराब का सेवन किए जाने से, संभावित सुरक्षात्मक प्रभावों को दूर करते हुए, उनमें हृदय आघात की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।[21]

बढ़ती दीर्घायु लगभग पूरी तरह से लघु हृदय रोग का परिणाम है।[22]

जड़बुद्धिता

दीर्घकालिक सामान्य या अल्पकालिक अतिशय (अधिक सेवन) को जड़बुद्धिता से लिंक किया गया है, यह अनुमान लगाया गया है कि जड़बुद्धिता के 10% से 24% मामलों का कारण श्रब का उपभोग है और महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा खतरा है।[23][24] मद्यव्यसनिता वेर्निके-कोर्साकोफ सिंड्रोम नामक अल्कोहल से संबंधित जड़बुद्धिता के प्रकार से जुड़ा हुआ है, जो थियामिन (बिटामिन B1) की कमी के कारन होता है।[25]

मस्तिष्क पर शराब के विषाक्त प्रभाव न्यूरोटोक्सिक प्रभावों, पोषण संबंधी अपूर्णता से परस्पर संपर्क, निर्लिप्तता के न्यूरोटोक्सिसिटी के कारण होते हैं।[26] चूहों में, शराब की विस्तृत खपत से “शारीरिक क्षति नहीं होती थी”, लेकिन निर्लिप्तता पौषणिक नुकसान से जुड़ा था।[26] शराब न्यूरोट्रांस्मीटर ग्लूटामेट में हस्तक्षेप करता है, औए मस्तिष्क में ग्लूटामेट रिसेप्टर्स की संख्या (अपरेगुलटिंग) को बढ़ाता है। जब अल्कोहल का सेवन कम किया जाने लगता है, तो ग्लूटामेट रिसेप्टर्स अतिसक्रिय और न्यूरोटोक्सिक हो जाते हैं।[25] निर्लिप्तता में योगदान देने वाले अन्य प्रभावों में GABA की सुविधा, कुछ वोल्टेज संवेदनशील कैल्शियम चैनल के अपरेगुलेशन और डोपामाइन रीलीज़ शामिल हैं।[26]

55 वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों में, दैनिक कम से सामान्य सेवन (एक से तीन ड्रिंक) विकसित हो रहे जड़बुद्धिता की प्रायिकता में 42 % की गिरावट आई थी और संवंहनी जड़बुद्धिता के जोखिम में 70 % कमी आई थी।[27] शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अल्कोहल मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस क्षेत्र में एसिटीकोलिन के रिलीज को प्रोत्साहित करता है।[27]

कैंसर

शराब की खपत से सात विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा होता है: मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, पेट का कैंसर, संक्रमण कैंसर, स्तन कैंसर, आंत्र कैंसर, यकृत कैंसर.[28] प्रतिदिन 3 इकाई अल्कोहल (लेजर का एक पिंट या वाइन का बड़ा गिलास) के सामान्य सेवन से भी कैंसर के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।[28] भारी मात्रा में पीने वालों को यकृत के सिरोसिस के कारण यकृत कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।[28]

एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि सभी कैंसर मामलों में 3.6% अल्कोहन सेवन के कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 3.5 % वैश्विक मृत्यु होती है।[29] ब्रिटेन के एक अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में अल्कोहल से 6% कैंसर निधन होते हैं, जो कि प्रतिवर्ष 9,000 लोगों की मृत्यु के बराबर है।[28]

जो महिलाएं नियमित रूप से शराब का उपभोग करती हैं, उनमें ऊपरी पाचन पथ, मलाशय, यकृत और स्तन के कैंसर का खतरा अधिक होता है।[30][31] पुरुषों और महिलाओं दोनों में, दो या इससे अधिक ड्रिंक्स का सेवन करने पर अग्नाशय के कैंसर का खतरा 22 % बढ़ जाता है।[32]

रेड वाइन में रेजवेराट्रोल होता है, जिसके प्रयोगशाला सेल में कुछ कैंसर-रोधी प्रभाव होते हैंविरोधी कैंसर प्रभाव में जो कुछ है, हालांकि, अब तक किए गए अध्ययन के आधार पर, वहाँ मनुष्य नहीं है मजबूत सबूत है कि लाल रंग में कैंसर सकता है शराब के खिलाफ की रक्षा करना। [33]

मद्यव्यसनिता

शराब की आनुवंशिक प्रवृत्ति है आंशिक रूप से माना जा रहा करने के लिए, प्रवृत्ति ऐसे व्यक्तियों के साथ शराब के लिए हो सकता है एक प्रतिक्रिया जैव रासायनिक अलग है, हालांकि इस विवादित है। शराब की लत भी कुपोषण हो सकती है क्योंकि यह पाचन और सबसे पोषक तत्वों की चयापचय को बदल सकते हैं। गंभीर thiamine कमी riboflavin, फोलेट की कमी के कारण आम है, विटामिन बी 6 और सेलेनियम और सिंड्रोम है Korsakoff नेतृत्व कर सकते हैं करने के लिए। मांसपेशियों की ऐंठन, मिचली, भूख की कमी, तंत्रिका संबंधी विकार और अवसाद के कुछ सामान्य लक्षण हैं। यह भी ऑस्टियोपोरोसिस के लिए नेतृत्व कर सकते हैं और हड्डी करने के लिए डी (विटामिन ए की कमी के कारण विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण भंग होने में मदद करता है).

मधुमेह

वृद्ध महिलाओं द्वारा कम मात्रा में प्रतिदिन शराब का सेवन किए जाने पर उनमें रक्त शर्करा स्तर में कमी की वजह से मधुमेह को रोकने की क्षमता समाप्त या बहुत कम हो जाती है।[34] हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान दिया था कि अध्ययन में शुद्ध इथेनॉल का उपयोग हो और प्रतिदिन लिए जाने वाले मादक पेय में चीनी सहित, योज्य शामिल हो, जो कि इसके प्रभाव को कम करें। [34]

मधुमेह के रोगियों को चीनी युक्त पेय, मीठे वाइन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। [35]

सदमा

एक अध्ययन से पता चला है कि नियमित रूप से सामान्य मात्रा में शराब का सेवन करने वालों की तुलना में आजीवन शराब से दूर रहने वाले लोगों को संभवतः 2.36 गुणा ज्यादा सदमे का शिकार होने की संभावना होती है। भारी मात्रा में शराब पीने वाले लोगों को सामान्य मात्रा में सेवन करने वालों की तुलना में 2.88 गुणा अधिक खतरा होता है।[36]

दीर्घायु

वृद्ध द्वारा अल्कोहल का सेवन किए जाने पर वे दीर्घायु होते हैं, संभवतः इससे कोरोनरी हृदय रोग में कमी आती है।[22]

48 वर्ष से अधिक आयु वाले डॉक्टरों पर किए गए एक अध्ययन में पता चला कि प्रतिदिन अल्कोहल की 2 इकाई के सेवन (वाइन का एक नियमित गिलास) जिसके परिणामस्वरूप वे दीर्घायु हुए और इससे हृदय रोग और श्वसन संबंधी रोगों से होने वाले मृत्यु की दर कम हुई। [37] कुल निधन में केवल 5 % निधन शराब के सेवन के कारण हुए थे, लेकिन ये आंकड़ें प्रतिदिन 2 इकाई से अधिक का सेवन करने वालों में बढ़े हैं।[37]

मृत्यु दर

रोग नियंत्रण के लिए अमेरिकी केंद्रों की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका में २००१ के दौरान 75,754 मृत्यु शारब के उच्च और मध्यम सेवन के कारण हुई थी। कम उपभोग का असर कुछ फायदेमंद है, इसलिए 59,180 मौतों के लिए शराब को जिम्मेदार ठहराया गया था।

ब्रिटेन में, प्रतिवर्ष 33,000 मौतों के लिए भारी मात्रा में सेवन को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

स्वीडन में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 29 % से 44 % “अप्राकृतिक” मौत (जो बीमारी के कारण नहीं हुए थे) शराब से संबंधित थे; मौतों के कारणों में आत्महत्या, चक्कर आना, यातायात दुर्घटना, दम घुटना, नशा और हत्या शामिल हैं।[40]

एक वैश्विक अध्ययन से पता चला कि वैश्विक स्तर पर सभी कैंसर में से 3.6 % अल्कोहल सेवन के कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 3.5% वैश्विक कैंसर मौतें होती हैं।[29] ब्रिटेन के एक अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में 6 % कैंसर से होने वाली मौतों का कारण शराब है, जो कि प्रतिवर्ष 9,000 से अधिक है।[28]

अल्कोहल मान्यताएं

अल्कोहल मान्यताएं मादक पेय का सेवन करने के दौरान महसूस किए जाने वाले प्रभावों और अनुभवों पर लोगों का विश्वास और व्यवहार है। काफी हद वे मानते हैं कि शराब से व्यक्ति का व्यवहार, क्षमता और भावनाएं प्रभावित होती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अगर अल्कोहल मान्यताएं बदली जाए, तो अल्कोहल का दुरुपयोग कम हो सकता है।[41]

अल्कोहल मान्यताएं यह पहचान कराती है कि विषाक्तता शराब पीने वाले के स्थान और समय की अवधारणा को प्रभावित करने का असल शारीरिक कारण है, जो मनोयंत्र क्षमताओं को कम करता है, संतुलन और अन्य प्रभावों में बाधा पहुंचाता है।[42] जिस ढंग और तरीके से विषाक्तता के शारीरिक प्रभावों से अल्कोहल मान्यताएं परस्पर संपर्क करती हैं, उनसे विशिष्ट व्यवहार में परिवर्तित होता है, यह स्पष्ट नहीं है।

यदि किसी समाज का मानना है कि विशाक्तता के कारण यौन व्यवहार, उपद्रवी व्यवहार, या आक्रमकता बढ़ती है, तब लोग ऐसा दिखाने लगते हैं कि वे नशे में हैं। लेकिन अगर एक समाज मानता है कि विषाक्तता से आराम मिलता है शांत व्यवहार बढ़ता है, तब आमतौर पर यह इन परिणामों की ओर इशारा करता है। अल्कोहल मान्यताएं एक ही समाज के भीतर भिन्न होती है, इसलिए ये परिणाम निश्चित नहीं हैं।[43]

लोग सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप होते हैं और कुछ समाजों को मानना है कि शराब पीने से असंयमता हो सकती है। हालांकि, जिस समाज के लोग मानते हैं कि अल्कोहल से असंयमता नहीं होती है, उस समाज में विषाक्तता के कारण असंयमता और गलत व्यवहार अधिक होते हैं।[42]

अल्कोहल मान्यताएं शराब की वास्तविक खपत के अनुपस्थिति में काम कर सकते हैं। अमेरिका में कई दशकों के अनुसंधान के बाद यह दिखाया गया कि पुरुष यौन क्रियाओं के लिए तब अधिक उत्तेजित होते हैं, जब वे सोचते हैं कि वे शराब पी रहे हैं, तब भी जब वे शरब न पी रहे हों. महिलाएं यौन क्रिया के लिए तब अधिक उत्तेजित होती हैं जब उन्हें भ्रम हो जाता है कि उनके पेय पदार्थ में अल्कोहल मिला हुआ है- हालांकि उनकी शारीरिक उत्तेजना का एक माप यह दिखाता है कि वे उस दौरान कम उत्तेजित होते हैं।

पुरुष प्रयोगशाला में तब अधिक आक्रामक होते हैं, जब वे टॉनिक पी रहे हों, लेकिन उन्हें विश्वास होता हि कि उनके पेय में अल्कोहल की मात्रा है। और वे तब कम आक्रामक हो जाते हैं, जब उन्हें लगता है कि वे टॉनिक जल पी रहे हैं, लेकिन वास्तव में उनके टॉनिक जल में अल्कोहल मिला होता है।[41]

शराब और धर्म

कुछ धर्म – विशेष रूप से इस्लामजैन धर्मबहाई विश्वास, दिन के संन्यासी के बाद-यीशु मसीह का चर्च, सातवें दिन सदस्य मसीह के आगमन का चर्च, वैज्ञानिक, मसीह का चर्च, संयुक्त पेंटेकोस्टल चर्च इंटरनेशनल, थेरावादाबौद्ध धर्म के अधिकांश महायाना विद्यालय, ईसाई धर्म के कुछ प्रोटेस्टेंट मूल्यवर्ग और हिंदू धर्म के कुछ संप्रदाय – कई कारणों से शराब के सेवन को रोकते, हतोत्साहित, या प्रतिबंधित करते हैं।

इयुकेरिस्ट या समान धर्म को मानने वाले समूह में कई ईसाई मूल्यवर्ग वाइन का उपयोग करते हैं और सामान्यतः शराब की अनुमति देते हैं। अन्य मूल्यवर्ग समान धर्म को मानने वाले समूह में अकिण्वित अंगूर के रस का उपयोग करते हैं और अपनी इच्छा से या तो अल्कोहल का सेवन करते हैं या इसका एकमुश्त निषेध करते हैं।

यहूदी धर्म में किद्दुश साथ ही फसह समारोह, पुरिम और अन्य धार्मिक समारोहों के लिए शबत पर वाइन का उपभोग करते हैं। शराब पीने की अनुमति है। कुछ प्राचीन यहूदी ग्रंथों, जैसे तल्मूड अवकाश (जैसे पुरिम) के दौरान आयोजन को अधिक आनंदमयी बनाने के लिए सामान्य सेवन को प्रोत्साहित करते हैं।

बौद्ध ग्रंथ दवाओं और अल्कोहल से परहेज की सलाह देते हैं, क्योंकि वे सतर्कता का निरोध करते हैं।

हालांकि, कुछ बुतपरस्त धर्मों में शराब और मादकता को देखने का नजरिया पूरी तरह से अलग है। वे सक्रिय रूप से प्रजनन क्षमता बढ़ावा देते हैं। ऐसा माना जाता था कि शराब यौन इच्छा बढ़ाता है और यौन संबंध बनाने के लिए किसी व्यक्ति से संपर्क करना आसान बनाता है। उदाहरण के लिए, नॉर्स बुतपरस्ती शराब को नॉर्स पुराण का सार मानती है। इस धर्म में मादकता एक महत्वपूर्ण प्रजनन संस्कार था।

कैंसर…..

शराब की खपत से सात विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा होता है: मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, पेट का कैंसर, संक्रमण कैंसर, स्तन कैंसर, आंत्र कैंसर, यकृत कैंसर.[28] प्रतिदिन 3 इकाई अल्कोहल (लेजर का एक पिंट या वाइन का बड़ा गिलास) के सामान्य सेवन से भी कैंसर के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। भारी मात्रा में पीने वालों को यकृत के सिरोसिस के कारण यकृत कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।[28]

एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि सभी कैंसर मामलों में 3.6% अल्कोहन सेवन के कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 3.5 % वैश्विक मृत्यु होती है।[29] ब्रिटेन के एक अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में अल्कोहल से 6% कैंसर निधन होते हैं, जो कि प्रतिवर्ष 9,000 लोगों की मृत्यु के बराबर है।[28]

जो महिलाएं नियमित रूप से शराब का उपभोग करती हैं, उनमें ऊपरी पाचन पथ, मलाशय, यकृत और स्तन के कैंसर का खतरा अधिक होता है।[30][31] पुरुषों और महिलाओं दोनों में, दो या इससे अधिक ड्रिंक्स का सेवन करने पर अग्नाशय के कैंसर का खतरा 22 % बढ़ जाता है।[32]

रेड वाइन में रेजवेराट्रोल होता है, जिसके प्रयोगशाला सेल में कुछ कैंसर-रोधी प्रभाव होते हैंविरोधी कैंसर प्रभाव में जो कुछ है, हालांकि, अब तक किए गए अध्ययन के आधार पर, वहाँ मनुष्य नहीं है मजबूत सबूत है कि लाल रंग में कैंसर सकता है शराब के खिलाफ की रक्षा करना

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