5 साल में योगी की सेना अखिलेश की हो गई …. जिस संगठन ने योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिंदू बनाया, उसके सेनापति समेत 90% कार्यकर्ता सपाई हो गए
हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह अब अखिलेश यादव के साथ देखे जा रहे हैं। वह खुलकर कह रहे हैं कि अब सपा में हैं। उनके जैसे न जाने कितने लोगों ने हिंदू युवा वाहिनी से अलग सपा का साथ पकड़ लिया है। पूर्व सदस्य बताते हैं कि अब हिंदू युवा वाहिनी खत्म हो गई है।
संगठन के खत्म होने के कारण कई हैं। सूत्रों का ये भी कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की ओर से 2017 में साफ तौर पर निर्देश दिए गए थे कि हिंदू युवा वाहिनी का विस्तार न हो, इसे खत्म किया जाए। आइए जानते हैं, कैसे धीरे-धीरे इसका अस्तित्व कम हुआ और सदस्य सपा में जुड़ते गए।
सपा में पहुंचे हिंदू युवा वाहिनी के प्रमुख सदस्य
सुनील सिंह, सौरभ विश्वकर्मा, चंदन विश्वकर्मा ने 15 साल तक हिंदुत्व का झंडा उठाया। अब यह तीनों ही अखिलेश यादव के साथ हैं। 2017 में विधानसभा चुनाव में टिकट के बंटवारे के मुद्दे को लेकर इन तीनों का योगी आदित्यनाथ से मतभेद हो गया था, जिसके बाद योगी आदित्य नाथ ने उन्हें संगठन से बाहर निकाल दिया। बताया कि उन पर रासुका लगाई। अलग-अलग मामलों में जेल भी भेजा।
युवा वाहिनी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बोले- योगी ने नजरंदाज किया
हिंदू युवा वाहिनी के बनने के बाद ही सुनील सिंह संगठन से जुड़ गए। वह प्रदेश अध्यक्ष रहे। वे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें व अन्य सदस्यों को नजरअंदाज किया। प्रदेश नेतृत्व का दबाव बढ़ने के बाद धीरे-धीरे जिला इकाइयां भंग होने लगीं। सदस्य अलग होकर सपा से जुड़ने लगे। आज ज्यादातर कार्यकर्ता सपा के साथ हैं। उन्होंने ये भी बताया कि हिंदू युवा वाहिनी के बनने के बाद योगी की एक आवाज में सेना जी जान से उनके लिए जुट जाती थी।
ऐसे खत्म होती गई युवा वाहिनी
- 2018 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के तीन जिलों- बलरामपुर, मऊ और आज़मगढ़ में इकाइयां भंग हो गईं।
- बलरामपुर में युवा वाहिनी का मजबूत आधार हुआ करता था।
- प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर संगठन की मऊ जिला इकाई निष्क्रिय हो गई।
- प्रदेश नेतृत्व की उपेक्षा के चलते खुद ही छोड़कर जाने लगे सदस्य।
संगठन से योगी को ये हुआ फायदा ?
- योगी आदित्यनाथ ने 1998 में पहला लोकसभा चुनाव 26 हजार वोट से जीता था।
- 1999 में हुए दूसरे चुनाव में उनकी जीत का अंतर महज सात हजार था।
- हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना के दो साल बाद यानी 2004 में ही जीत का अंतर 1.42 लाख हो गया।
- 2009 और 2014 के लोक सभा चुनावों में वे 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीते।
खत्म होने के कारण, उनके पूर्व सदस्यों के हवाले से समझें
- RSS के निर्देश पर हिंदू युवा वाहिनी को भंग किया गया।
- योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके विस्तार को रोकने का काम शुरू हो गया।
- शिवसेना जैसा एक हिंदू संगठन पहले ही राजनीतिक दल के रूप में भाजपा के लिए चुनौती हैं।
- योगी आदित्यनाथ की ही ओर से सदस्यता अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
- इसके बाद एक-एक कर हिंदू युवा वाहिनी की इकाइयां भंग की गईं।