बनारस के पुलिस महकमे से खबरें ….. कमिश्नरेट के थानों को मिले 417 पुरुष और 101 महिला कांस्टेबल
वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस लाइन में प्रशिक्षित हुए रिक्रूट आरक्षियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए वरुणा और काशी जोन के थानों में तैनात किया गया है। बुधवार को वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस परिवार को 417 पुरुष और 101 महिला कांस्टेबल एलाट हुए हैं। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि इन कांस्टेबल को अलग-अलग थानों को आवंटित किया गया है। इनके आने से शहर की कानून व्यवस्था और पुलिस की दृश्यता में सुधार आएगा।
पुलिस परिवार में हम अपने नए साथियों का स्वागत करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। थानों में इन कांस्टेबल की ड्यूटी के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश सभी थाना प्रभारियों को भेजा गया है।
इंस्पेक्टर कैंट लाइन हाजिर किए गए
ड्यूटी में लापरवाही बरतने और शिथिल रवैये के कारण पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बुधवार को इंस्पेक्टर कैंट राजेश कुमार सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। इंस्पेक्टर कैंट के पद पर अब तक क्राइम ब्रांच में तैनात रहे इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह को तैनात किया गया है।
5 साल से रचा था गुमशुदगी का नाटक, पकड़ा गया
शादी के बाद पत्नी से अनबन और फिर मुकदमेबाजी शुरू हुई तो एक युवक ने अपने मां-बाप के साथ मिलकर गजब की साजिश रची। हालांकि सारनाथ थाने की पुलिस ने उसके नाटक का भंडाफोड़ करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके मां-बाप की तलाश जारी है। एडीसीपी वरुणा जोन प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि आजमगढ़ जिले के चनैता गांव के मूल निवासी और वाराणसी में सारनाथ थाना के बेनीपुर में रहने वाले 19 नवंबर 2009 को हुआ था।
पत्नी प्रियंका से अरविंद की नहीं बनी तो दोनों में मुकदमेबाजी शुरू हो गई। प्रियंका को मकान में रहने की जगह न देनी पड़े इसके लिए अरविंद के पिता लक्ष्मी शंकर उपाध्याय और मां राधिका ने साजिश रच कर उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया।
12 अप्रैल 2017 को अरविंद के पिता ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट सारनाथ थाने में दर्ज कराई और इसके बाद 2020 में बेनीपुर का अपना मकान भी बेच दिया। इस बीच अदालत ने प्रियंका के मुकदमे के आधार पर अरविंद के खिलाफ समन जारी किया तो उसके मां-बाप उसकी गुमशुदगी का हवाला देने लगे। पुलिस को अरविंद के मां-बाप पर शक हुआ तो तफ्तीश शुरू हुई। आखिरकार अरविंद आजमगढ़ के भंवरपुर से पकड़ा गया।