फतेहपुरसीकरी में सलीम चिश्ती की दरगाह में बवाल, फायरिंग
लपकों के खिलाफ पुलिस के अभियान ने बुधवार को शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में बवाल करा दिया। लपकों ने पुलिस टीम पर लाठी-डंडों से हमला बोल दिया। दरोगा और सिपाही जख्मी हुए हैं। पुलिस टीम को जान बचाकर भागना पड़ा। आरोप है कि जान बचाने के लिए पुलिस ने फायरिंग की। बवाल की सूचना पर पुलिस बल ने पहुंचकर स्थिति को संभाला।
घटना शाम करीब सवा चार बजे की है। 26 मई से शेख सलीम चिश्ती का सलाना उर्स प्रारंभ हुआ है। दरगाह परिसर में लोगों ने दुकान लगाना शुरू कर दिया है। शाम के समय थाना पुलिस लपकों पर शिकंजे के लिए दरगाह परिसर में पहुंची थी। पुलिस ने इंतजार के लड़के सेठू को पकड़ लिया। उसे अपने साथ थाने लाने लगी। सेठू ने खुद को दुकानदार बताया। बताया कि उसने मार्बल के सामान की दुकान लगाई है। पुलिस ने उसकी बात नहीं मानी। पुलिस उसे अपने साथ थाने ले गई। कुछ देर बाद पुलिस ने एक और युवक को पकड़ लिया। उसने भी खुद को दुकानदार बताया। पुलिस उसे थाने लेकर आने लगी। युवक ने शोर मचा दिया। दुकानदार जमा हो गए। पुलिस को घेर लिया। पुलिस ने दुकानदारों को खदेड़ने का प्रयास किया। वे आक्रोशित हो गए। मारपीट शुरू कर दी। लाठी डंडे निकाल लिए। पुलिस कर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। अफरा-तफरी मच गई। पर्यटक दहशत में आ गए। जान बचाने के लिए बाहर की तरफ भागने लगे।
पुलिस कर्मियों ने परिसर में पड़े बांस उठा लिए। उनसे भीड़ को खदेड़ने का प्रयास किया। आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने हवाई फायरिंग भी की। जिससे और ज्यादा दहशत फैल गई। सूचना पर थाने से फोर्स पहुंचा। मारपीट में दरोगा चंद्रपाल सिंह और सिपाही अनुज कुमार को चोटें आई थीं। उन्हें इलाज के लिए भेजा गया। फोर्स आने पर दुकानदारों की भीड़ तितर-बितर हो गई।
दुकानदार उठा रही है पुलिस
उर्स में दुकान लगा रहे दुकानदारों का आरोप है कि पुलिस दुकानदारों को पकड़ रही है। फतेहपुरसीकरी में लपकागिरी पुलिस से सेटिंग के बिना संभव नहीं है। इस समय दरगाह परिसर में ही दुकानें लगी हुई हैं। ग्राहक अपने आप दुकानों पर रुक रहे हैं। पुलिस पता नहीं दुकानदारों को क्यों उठा रही है।
फायरिंग नहीं हुई है
पुलिस ने लपकागिरी के शक में एक युवक को पकड़ा। दुकानदार उसके समर्थन में एकजुट हो गए। पुलिस पर हमला बोल दिया। लाठी-डंडे चलाए। पुलिस ने बचाव में टीयर गैस छोड़ी थी। फायरिंग का आरोप बेबुनियाद है। मारपीट करने वालों के खिलाफ मुकदमा लिखा जा रहा ह
सीकरी में कई बार पिट चुकी है पुलिस
फतेहपुरसीकरी। शेख सलीम चिश्ती का सालान उर्स है। दरगाह परिसर में ही दुकानें उठा दी गई हैं। बांस बल्लियां लगाकर दुकानें बनाई जा रही हैं। संरक्षित स्मारक में लग रहे इस बाजार की अनुमति तक नहीं ली गई है। संबंधित विभाग खामोश हैं। नियम ताक पर रख दिए गए हैं। भीड़ इतनी है कि पुलिस समझ ही नहीं पा रही कौन लपका है और कौन दुकानदार।
फतेहपुरसीकरी में पहली बार बवाल नहीं हुआ है। पिछले महीने गद्दी को लेकर दो पक्ष भिड़े थे। खादिमों में आपस में मारपीट हुई थी। पुलिस ने अपनी तरफ से मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वर्ष 2005 में डीआईजी प्रीतिंदर सिंह पर सीओ अछनेरा का चार्ज था। वह एएसपी अंडर ट्रेनिंग थे। उन्हें भी लपकों ने घेरा था। पिछले साल एसपी देहात पश्चिम की टीम पर पथराव किया गया था। टीम भी लपके पकड़ने पहुंची थी। सिपाहियों ने अपने बचाव में पिस्टल निकालकर हवा में लहराई थी। लपकों के संरक्षणदाताओं ने ऊपर से पथराव किया था।
पुलिस यह अच्छे से जानती है कि सीकरी में दुकान लगाने वाले और लपका गिरी करने वाले लोकल हैं। इस कारण उनके हौसले बुलंद है। कोई भी विवाद होने पर तत्काल भीड़ जमा हो जाती है। कार्रवाई के समय पुलिस कर्मियों की संख्या कम होती है। बाद में जब फोर्स पहुंचता है तो मौके पर बवाल करने वाले नहीं मिलते। इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है। पुलिस कार्रवाई के लिए शिकंजा कसती है तो नेता ही इनकी पैरवी में आ जाते हैं। पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ता है।जूते पहनकर आने का आरोप
पूर्व में कई बार ऐसा हुआ है जब मामले को आस्था से जोड़ा गया है। पुलिस कार्रवाई को पहुंची है। मारपीट हुई है। पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि पुलिस कर्मी जूते पहनकर आ गए थे। इस आरोप के लगते ही पुलिस बैकफुट पर आ जाती है। अपनी सफाई भी देती है मगर कोई सुनने को तैयार नहीं होता है।
पुलिस पर वसूली का आरोप
क्षेत्रीय दुकानदारों का कहना है कि पुलिस अच्छे से जानती है कि कौन दुकानदार है और कौन लपका। सीकरी परिसर में कोई बाहर वाला दुकान लगाने और लपका गिरी करने नहीं आता है। दुकानदारों से भी पुलिस वसूली करती है। कार्रवाई के डर से दुकानदार खामोश रहते हैं। दरगाह परिसर में अस्थाई दुकान लगाने वालों को दबाव में लेने के लिए पुलिस आई थी। उसने लपका बताते हुए दुकानदारों को उठाया इसलिए बवाल हुआ।