सैलरी में असमानता ….. मप्र के आईएएस-आईपीएस को वेतन में हर साल 1.80-2.40 लाख का नुकसान

एक जनवरी 2004 के बाद अखिल भारतीय सेवा में आए मप्र कैडर के अधिकारियों काे केंद्र के समान डीए नहीं मिलने से हर साल वेतन में करीब 1.80 लाख रुपए और एनपीएस में 30 से 50 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। केंद्र अपने कर्मचारियों को 31 फीसदी डीए दे रहा है, जबकि मप्र में 20 फीसदी दिया जा रहा है।

दो साल पहले तक जब भी केंद्र महंगाई भत्ता (डीए) घोषित करता था, उसी तारीख से उतना ही डीए अखिल भारतीय सेवा के मप्र कैडर के अधिकारियों को भी मिल जाता था। अब केंद्र और राज्य में डीए असमान हो गया है। कोरोना को बड़ी वजह बताया जा रहा है।

2004 बैच के अधिकारियों के एक दल ने तीन दिन पहले आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष आईसीपी केशरी से मिलकर केंद्र के समान डीए मिलने की बात उठाई है। अफसरों के दल ने कहा कि उन्हें 11 फीसदी डीए का नुकसान हर माह हो रहा है, जिससे उनकी पेंशन प्रभावित होगी। नेशनल पेंशन स्कीम में जो उनके वेतन का 10 फीसदी अंश और सरकार का 14 फीसदी हिस्सा जमा होता है, वह भी डीए में अंतर की वजह से कम हो गया है।

  • 31 फीसदी डीए देता है केंद्र अपने कर्मचारियों को
  • 20 प्रतिशत डीए मध्यप्रदेश में दिया जा रहा है
  • 2004 के बाद सेवा में आए अफसरों को नुकसान

11% डीए राशि का नुकसान

अखिल भारतीय सेवा (आईएएस, आईपीएस और आईएफएस) के अफसरों को हर माह 11 प्रतिशत डीए की राशि का नुकसान हो रहा है। प्रभावितों की संख्या करीब एक हजार है। यह पैसा हर माह के वेतन में करीब 15 से 20 हजार रुपए बैठता है। चूंकि केंद्र सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों की पुरानी पेंशन एक जनवरी 2004 से बंद कर दी है।

लिहाजा इसके बाद सेवा में आए अफसरों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू की गई। इसमें अधिकारी के वेतन से 10 फीसदी हिस्सा काट कर एनपीएस में जमा कर दिया जाता है। सरकार 14 फीसदी पैसा डालती है। यानी एनपीएस में हर माह वेतन का 24 फीसदी पैसा जमा होता है।

ऐसे समझें…नुकसान का क्या है गणित

उदाहरण के लिए अधिकारी का वेतन एक लाख रुपए है तो वेतन से 10 फीसदी की हिस्सेदारी 10 हजार रुपए और सरकार के 14 प्रतिशत के हिसाब से 14 हजार रुपए एनपीएस में जमा होेते हैं। मौजूदा स्थिति में मप्र के अधिकारियों के वेतन का निर्धारण वर्तमान महंगाई दर (20%डीए) से हो रहा है। मूल वेतन एक लाख रुपए है तो डीए की राशि मिलाकर वेतन 1 लाख 20 हजार रुपए हो जाता है।

इसकी दस फीसदी राशि 12 हजार रुपए वेतन से एनपीएस में काटी जा रही है। सरकार 14% के हिसाब से 16 हजार 800 रुपए अपना अंश जमा कर रही है। यानि एनपीएस में कुल 28 हजार 800 रुपए जमा होते हैं। वहीं केंद्र में पदस्थ अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को 31 फीसदी डीए मिल रहा है।

तब वेतन एक लाख 31 हजार रुपए होता है। अफसरों का 10% यानी 13100 रुपए और सरकार का 14% के हिसाब से 18340 रुपए होता। तब कुल 31 440 रुपए एनपीएस में जमा होते। साफ है कि एनपीएस में अधिकारियों को 2640 रुपए का नुकसान हर माह हो रहा है।

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