दलों ने खड़ी की डिजिटल फौज …. 10 लाख से अधिक योद्धा, 300 से अधिक वॉर रूम; आईआईएम पास आउट और आईआईटियन इसके सेनापति
कोरोना के चलते यूपी इलेक्शन सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गया है। प्रचार के लिए पार्टियां अलग-अलग तरीके अपना रही हैं। कांग्रेस ने देश के टॉप आईटी प्रोफेशनल को हायर करके ऑनलाइन डांस टैलेंट, बटन दबाओ-स्कूटी पाओ, डिजिटल मैराथन जैसे अभियान चलाने की योजना बना रखी है तो भाजपा प्रदेश के पौने दो लाख बूथ में से 500 से ज्यादा मतदाता वाले सभी 1 लाख बूथों तक वर्चुअली पहुंचने की तैयारी कर चुकी है।
समाजवादी पार्टी ने भी सोशल मीडिया को खासी तवज्जो दी है। उसके वॉर रूम में 100 से ज्यादा आईआईएम-आईआईटी पासआउट प्रोफेशनल कमान संभाल चुके हैं। बहुजन समाज पार्टी ज्यादा शोर नहीं कर रही है लेकिन उसके कार्यकर्ता भी सोशल मीडिया पर पकड़ बनाने के लिए खासे प्रयासरत हैं। लगभग 50 हजार ग्रुप बनाकर टॉप 5 में शामिल हैं।
आइए जानते हैं, चारों प्रमुख पार्टियों के डिजिटल वॉर रूम और उसके काम करने के तरीके के बारे में…
1. कांग्रेस का हर जिले में वॉर रूम
कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश चुनाव के लिए सोशल मीडिया कैंपेन चलाने वाली एक छत्तीसगढ़ की निजी कंपनी को भी शामिल किया है। इसके अलावा पूरे देश से आईटी सेक्टर के सबसे बेहतर 1500 प्रोफेशनल को सेलेक्ट किया और इन्हें चुनावी कैंपेन के लिए नियुक्त किया है। इनके साथ कांग्रेस के वालंटियर भी काम कर रहे हैं। इनकी रिपोर्टिंग सोशल मीडिया प्रभारी के माध्यम से प्रियंका गांधी के ऑफिस को है। कांग्रेस ने इसके लिए दो साल पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। यही कारण है कि उनके ह्वाट्सएप आदि पर 75 हजार से ज्यादा सक्रिय ग्रुप हैं।
कांग्रेस की ये है तैयारी
- व्हाट्सअप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से 2 करोड़ लोगों तक पहुंचना।
- स्टेट कमेटी कैंपेन को लीड कर रही है। इसमें 1500 सदस्य हैं, जिसमें 500-500 सदस्यों की 3 टीमें हैं।
- 8-8 घंटे शिफ्ट में काम हो रहा है। इसे क्यूआरटी यानी क्यूक रिस्पांस टीम नाम दिया गया है।
- 20-20 स्टेट सदस्यों को एक-एक जिले का प्रभारी बनाया गया है।
- इस स्टेट कमेटी के तहत सभी 75 जिलों में 5 सदस्यीय वॉर रूम काम करता है।
- इसके बाद 350 तहसीलों में भी हर तहसील में 5 सदस्यीय टीम है।
- तहसीलों की टीम 826 ब्लॉक के 2-2 सदस्यों को नियंत्रित करती है।
- इन ब्लॉक के सदस्यों ने ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रुप बनाए हैं, जिनसे प्रदेश की 58 हजार से ज्यादा पंचायतें कवर होती हैं।
- कोई भी मैसेज तभी सोशल मीडिया पर आता है जब स्टेट कमेटी उसे एम्प्रूव करती है।
- प्रिंयका का लाइव सेशन, इनामी प्रतियोगिता भी
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए प्रोग्राम डिजाइन कर लिए हैं। जैसे कि डिजिटल मैराथन। इसमें जुड़ने वालों से सवाल पूछे जाएंगे जो सबसे तेज जवाब देगा उसे स्कूटी इनाम में मिलेगी। इसी तरह घोषणाओं और प्रतिज्ञाओं को लेकर प्रतियोगिता पर प्रोग्राम डिजाइन किया गया है। डांस टैलेंट से लेकर बटन दबाओ और स्कूटी पाओ जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जोड़ने के लिए रोज 2 प्रतियोगिताएं होंगी। सोशल मीडिया प्रभारी अभय कहते हैं कि प्रियंका गांधी को लेकर दो दर्जन से ज्यादा ऑनलाइन सेशन प्लान किए हैं।
2. भाजपा के टारगेट में भविष्य के वोटर भी
इस बार भाजपा सोशल मीडिया का टारगेट सिर्फ युवा वोटर ही नहीं बल्कि भविष्य के वोटर भी हैं। ऑनलाइन क्लासेस के चलते सभी बच्चों के हाथों में मोबाइल है। भाजपा इसका उपयोग करने की योजना बना चुकी है। भाजपा का कहना है कि परिवार को जोड़ते हैं तो बच्चों को जोड़ने से पीछे क्यों हटेंगे। हमें सिर्फ वोटर से मतलब नहीं है। जब 16 साल के बच्चे को हम जोड़ेंगे तो 11 साल का बच्चा भी अपने भाई से अलग नहीं जाएगा। जब बच्चे जुड़ेंगे तो माता-पिता भी जुड़ेंगे। इससे पूरा परिवार हमसे जुड़ेगा।
भाजपा का लक्ष्य एक लाख पोलिंग बूथ
भाजपा ने पौने 2 लाख पोलिंग बूथ में से एक लाख 40 हजार बूथ तक सोशल मीडिया का स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया के लिए पूरे प्रदेश में 10 हजार तो केवल पदाधिकारी नियुक्त हैं। सोशल मीडिया के स्ट्रक्चर के बारे में उत्तरप्रदेश भाजपा के सोशल मीडिया प्रमुख अंकित सिंह चंदेल कहते हैं कि हमने 2014 से की गई तैयारी को और आगे बढ़ाया। हमारा अपना सोशल मीडिया का स्ट्रक्चर है। हम कभी भी प्रोफेशनल या बाहरी लोगों पर डिपेंड नहीं रहे हैं। हलांकि, सूत्र बताते हैं कि भाजपा केवल अपने सोशल मीडिया विंग पर ही डिपेंड नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान हजरतगंज के सूरज दीप कॉम्पलेक्स में एक वॉर रूम बना था जिसमें 50 आईआईटी प्रोफेशनल्स ने दो महीने तक काम किया था। मुख्यमंत्री निवास से भी सोशल मीडिया विंग को एक कंपनी के माध्यम से मैनेज किया जाता है। सूत्रों की मानें तो किसी भी विधायक को सीधे फोटो शेयर करने का हक नहीं है। यहां तक कि विधायक-राज्यपाल से मुलाकात के फोटो भी सोशल मीडिया विंग के माध्यम से ही शेयर करने का नियम बना है।
भाजपा की सोशल मीडिया टीम ऐसे कर रही काम
- सोशल मीडिया स्ट्रक्चर में प्रदेश स्तर की टीम जोन स्तर की टीम को लीड करती है।
- फिर जोन स्तर की टीम जिला स्तर की टीम की प्रभारी होती है।
- जिला स्तर की टीम विधानसभा स्तर की टीम और विधानसभा स्तर की टीम संगठन मंडल संरचना स्तर (एक विधानसभा में 4 मंडल की संरचना होती है) की टीम का प्रभार संभालती है।
- हर मंडल पर दो पदाधिकारियों के नेतृत्व में गठन हुआ है।
- 10 हजार पदाधिकारियों की संरचना है। हर बूथ पर 5 सदस्य हैं। कु
- ल पौने 2 लाख बूथ हैं जिनमें से 1 लाख 40 हजार बूथों पर हमारी संरचना है।
- एक ट्री के हिसाब से काम किया जाता है। स्टेट से जोन को बोला जाता है। जोन जिलों को कॉआर्डिनेट करता है।
- जिले मंडलों के साथ मीटिंग करके उन्हें बताते हैं। मंडल स्तर से बूथ स्तर तक संदेश पहुंचाया जाता है।
- यही सिस्टम नीचे से सलाह देने के लिए काम करता है।
- अगर नीचे से कोई मुद्दा या सलाह आता है तो उसे स्टेट कमेटी तक पहुंचाया जाता है।
3. सपा के डिजिल फोर्स रूम में आईआईटियन संभाल रहे कमान
समाजवादी पार्टी ने प्रदेश कार्यालय स्थित जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में सोशल मीडिया का वॉर रूम तैयार किया है। इसे डिजिटल फोर्स रूम नाम दिया है। यहां विदेशी माइक्रोफोन और उपकरणों से लैस स्टूडियो और सोशल मीडिया के लिए आवश्यक सर्वर रूम भी है। इसमें प्रोफेशनल टीम के अलावा अखिलेश सहित केवल 9 नेताओं को जाने की अनुमति है। इसे खुद अखिलेश यादव और उनके आईआईएम पासआउट पूर्व मंत्री-सपा राष्ट्रीय सचिव अभिषेक मिश्रा संभाल रहे हैं। अभिषेक मिश्रा के नेतृत्व में सोशल मीडिया की अलग-अलग ब्रांच बनाई गई हैं। एक ब्रांच को पूर्व मंत्री नावेद सिद्दीकी लीड कर रहे हैं। नावेद सिद्दीकी बताते हैं कि वे सपा की बायसिकल टीवी के हेड भी हैं। यहां फिल्म, डाक्यूमेंट्री, वीडियो एडिटिंग, प्रोडक्शन से लेकर स्पार्कलर, लायनर्स बनाए जाते हैं।
सपा ऐसे कर रही सोशल मीडिया पर प्रचार का काम
- लगभग 7 महीने से यहां रात-दिन काम चल रहा है।
- कोई भी वीडियो एक मिनट से ज्यादा का नहीं बनाया जा रहा है।
- सभी चैनलों से लेकर विपक्ष के हर मूवमेंट पर ध्यान रखा जा रहा है।
- यहां से तैयार कंटेंट बूथ अध्यक्ष तक तुरंत पहुंच जाता है और बूथ अध्यक्ष एक-एक गांव में पहुंचा देता है।
- मोदी-योगी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचा रहे हैं। अपना स्तर ऊंचा रख रहे हैं। सेंटीमेंट टच नहीं कर रहे हैं।
- सोशल मीडिया का सेक्शन अलग से है जहां लगभग 100 से ज्यादा प्रशिक्षित, अनुभवी लोग 24 घंटे काम कर रहे हैं।
- दो तरह से स्ट्रक्चर तैयार किया है। पहला, प्रदेश कार्यालय से दी जाने वाली सामग्री पोस्ट करके लोगों तक पहुंचाना और दूसरा विधानसभा प्रत्याशी और संभावित प्रत्याशी स्तर पर काम करना।
4. बसपा को किंगमेकर बनने की उम्मीद, प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने की तैयारी
बसपा को उम्मीद है कि उसके समर्थन से ही सरकार बनेगी। बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि हम वैट एंड वॉच की स्थिति में हैं। सोशल मीडिया की बात की जाए तो बसपा प्रदेश प्रवक्ता परेश मिश्रा कहते हैं कि हमारी कई कंपनियों से बात चल रही है। हम भी प्राफेशनल्स हायर करेंगे। इसके अलावा हमारे कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया की कमान संभाल ली है। हमारे स्टेट वॉर रूम में 50 सोशल मीडिया एक्सपर्ट कार्यकर्ता पूरे समय रहते हैं। स्टेट के बाद हमारे विधानसभावार प्रत्याशियों के सोशल मीडिया वॉर रूम बने हैं। उनके हजारों ग्रुप लोगों को हमसे जोड़ते हैं। हम एलईडी लगाकर बहनजी के वर्चुअल भाषण करवाएंगे। सोशल मीडिया को हम पहली बार ही राजनीति में उपयोग करने लाए थे। पिछले 3 दिन में हमारे हैशटैग टॉप 5 में ट्रेंड करते रहे हैं। बसपा के फॉलोअर ही काम कर रहे हैं। हम प्रशांत किशोर स्टाइल में वर्क करके मैनेज करते हैं।