घर-घर शौचालय’ की हकीकत … CM आज जिस गांव में आएंगे, वहां 80% लोग जा रहे खुले में शौच; पक्की सड़कें, नालियां तक नहीं, गर्मियों में जलसंकट

पिछले विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ पर भाजपा के एजेंट रहे बृजेश मर्सकोले के घर के असल हालात …. 

केसली ब्लॉक के तुलसीपार ग्राम पंचायत के आदिवासी बाहुल्य बसा गांव में सुविधाओं का अभाव है। अब यहां तमाम अधिकारी व भाजपा नेता दिन-रात ढेरा डाले हुए हैं। क्योंकि, रविवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान यहां भाजपा की बूथ विस्तार योजना के तहत आदिवासी लोगों के साथ बैठक लेंगे। बसा गांव टड़ा से 8 किलोमीटर दूर है। जिसमें से 6 किमी का रास्ता कच्चा है। यहां सीएम के आने से ठीक पहले गिट्टी बिछाई जा रही है।

गांव के अंदर भी एक भी पक्की सड़क नहीं है। खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं, लोग गर्मियों में पीने के पानी तक के लिए परेशान होते हैं, लेकिन अब जैसे ही सीएम का दौरा इस गांव में तय हुआ तो गांवों की कच्ची गलियों में साफ-सफाई होने लगी। खंभों की लाइटें सुधरने लगी। गांव की आंगनवाड़ी के पास नया बोर हो रहा है, प्राइमरी स्कूल के पास बिगड़ा हैंडपंप सुधारा जा रहा है। पंचायत द्वारा लोगों के घर-घर कर्मचारी भेजकर उनकी समस्याएं पूछी जा रहीं हैं। प्रशासनिक अधिकारियों और भाजपा नेताओं ने पूरे गांव को हाईजैक सा कर लिया है, ताकि रविवार को सीएम के सामने कोई ग्रामीण अपना मुंह न खोल सकें।

5 प्रमुख समस्याएं : शौचालयों की दीवारें गिरीं तो फिर वापस नहीं बनाई, दो माह ही आया नलों से पानी, नेटवर्क भी नहीं
नल-जल योजना के तहत 3 साल पहले लाइन बिछी, दो माह ही आया नलों में पानी: गांव के माखनलाल ने बताया कि गांव में पानी की बहुत कमी है। गर्मियों में महिलाओं को दो से तीन किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। गांव में 7 हैंडपंप हैं, लेकिन पठारी क्षेत्र होने से गर्मियों में इनमें पानी नहीं आता। दो-तीन हैंडपंप बिगड़े पड़े हैं। नल-जल योजना के तहत तीन साल पहले आधे गांव में लाइन बिछाई गई थी। बोर में मशीन डालकर दो माह पानी की सप्लाई हुई।

खुले में शौच मजबूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घर-घर शौचालय बनाने की योजना के तहत करीब 8 साल पहले बसा गांव में लोगों के घर-घर शौचालय बनाए गए थे। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। सिंगल ईंट की दीवार उठाकर थोड़ी सीमेंट, थोड़ी बालू और मिट्टी मिलाकर क्रांकीट मसाला तैयार कर शौचालय बना दिए गए। जिनका गेट पकड़ने से शौचालय की दीवारें हिलती थी। इनके अंदर जाने में भी ग्रामीणों को दीवार गिरने का डर लगता था। एक-दो माह ही शौचालय की दीवारें टिक सकीं और फिर कुछ हवा में गिर गई तो कुछ में दरारें आ गईं। गांव में अब दो-चार घरों में ही शौचालय हैं। वह भी लोगों ने अपने पैसों से तैयार करवाएं हैं। बाकी लोग खुले में ही शौच के लिए जाते हैं।

मंहगाई के कारण नहीं भरवाते गैस सिलेंडर

गांव की अभी आधे घरों में ही उज्जवला योजना के तहत फ्री गैस कनेक्शन मिले हैं। बाकी लोगों को गैस कनेक्शन मिलने का इंतजार है। रामस्वरूप गौड़, कमलेश और सुरेश गौड़ ने बताया कि उन्हें अब तक उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं मिला है। जिन्हें मिला है, मंहगाई के कारण उन्होंने दूसरी बार सिलेंडर नहीं भरवाया। गांव की महिला कलस्ता ने बताया कि उन्होंने दो माह से गैस टंकी नहीं भरवाई है।

गांवों में पक्की सड़कें व नालियां भी नहीं

बसा गांव में पक्की सड़कें व नालियां भी नहीं बनी हैं। गांव को टड़ा से जोड़ने वाली मुख्य सड़क भी कच्ची है। जहां सीएम के आने से पहले गिट्टी बिछाई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में गांव के पास स्थित पुलिया में मिट्टी का कटाव होने से रास्ता बंद हो जाता है। तब गांव के सभी लोग मिलकर वहां मिट्टी का भराव करते हैं। तब जाकर आवागमन शुरू होता है।

गांवों में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं

मोबाइल फोन के नेटवर्क की भी गांव में बड़ी समस्या है। गांव में बीएसएनएल सहित अन्य कंपनियों के नेटवर्क ही नहीं रहते। इस वजह से अधिकांश आनलाइन कार्य गांवों में नहीं हो पाते। ग्रामीण गांव में टेलीकॉम कंपनी का टावर लगाने की मांग कर रहे हैं ताकि नेटवर्क की समस्या हल हो सकें।

मुख्यमंत्री जिस घर में रुकेंगे वहां टूटा पड़ा है शौचालय
सीएम दोपहर 12 से तीन बजे तक बसा गांव में रहेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ पर भाजपा के एजेंट रहे बृजेश मर्सकोले के घर सीएम भोजन करेंगे। बृजेश ने बताया कि उन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला है लेकिन उसे दोबारा भरवाया नहीं। कारण स्पष्ट है कि मंहगाई के कारण उसे भरवा नहीं सके। इसलिए अब सीएम को चूल्हे पर पका हुआ भोजन कराएंगे। बृजेश ने बताया कि वे 25 लोगों का भोजन तैयार करा रहे हैं। सीएम को चटाई पर बैठाकर पत्तल में भोजन कराएंगे। सीएम जिस भाजपा कार्यकर्ता के यहां भोजन करेंगे उसके घर में तक शौचालय नहीं है।

सीएम ने बसा गांव इसलिए चुना
भाजपा की केन्द्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति अभी आदिवासियों के इर्दगिर्द ही घूम रही है। केसली ब्लॉक आदिवासी बाहुल्य है। बसा गांव में कुल 82 घर हैं। इनमें से यादव समाज के चार, ब्राह्मण और दलित का एक-एक घर छोड़ दें तो शेष सभी घर आदिवासियों के ही हैं। आसपास के झिरियाखेड़ा, तुलसीपार, खपड़ाखेड़ा और बेरखेड़ी इन सभी गांव का बूथ बसा गांव में हैं। चुनाव में यहां से भाजपा को बढ़त मिलती रही है।

शौचालय में लोगों ने कंडे भर दिए
शौचालय सभी घरों में बनाए गए थे लोगों ने उनमें कंडे भर दिए और कुछ लोगों ने मिटा दिए। लोगों को उज्जवला के तहत गैस कनेक्शन मिले हैं लेकिन वे दोबारा सिलेंडर भरवा नहीं रहे। कुटी कितने लोग वंचित हैं, इसकी जानकारी मुझे भी नहीं है।

– भरत सिंह यादव, सरपंच, ग्राम पंचायत, तुलसीपार

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